कभी ऐसा हुआ है कि आप कमरे में गई हों और आपको खर्राटों की आवाज सुनाई दी हो। शुरूआत में आपको यही लगा होगा कि यह खर्राटे किसी व्यस्क व्यक्ति के हैं, लेकिन वास्तव में आपका बच्चा खर्राटे ले रहा होता है। शुरूआत में आपको शायद अचंभा हुआ हो, लेकिन बाद में आपने उसे नजरअंदाज कर दिया हो। दरअसल, कुछ बच्चे थकावट होने पर या सामान्य सर्दी होने पर खर्राटे लेते हैं। लेकिन अगर बच्चा जोर-जोर से खर्राटे लेता है तो दूसरों की ही नहीं, अपनी नींद को भी प्रभावित कर सकता है। इतना ही नहीं, आपको इस बात का भी ध्यान रखना होगा कि बच्चा कितने समय के लिए खर्राटे लेता है। मसलन, अगर बच्चा कुछ समय के लिए खर्राटे लेता है तो आपको परेशान होने की जरूरत नहीं है, क्योंकि यह समस्या खुद ब खुद ठीक हो जाती है। लेकिन अगर बच्चा हर सप्ताह तीन-चार रातों में खर्राटे लेता है तो यह परेशानी का विषय हो सकता है। हालांकि, किसी भी चाइल्ड एक्सपर्ट से सलाह लेने से पहले यह जरूरी है कि आप इसके कारणों पर भी उतना ही ध्यान दें। तो चलिए आज हम आपको इन कारणों से रूबरू करवाते हैं-
सामान्य सर्दी-जुकाम
सर्दी-जुकाम होने पर बच्चों द्वारा खर्राटे लेने की समस्या बेहद आम है। दरअसल, जब बच्चे को जुकाम होता है, तो उसे Nasal congestion की समस्या का सामना करना पड़ता है, जिसके कारण बच्चे के लिए नाक से सांस लेना मुश्किल हो जाता है और वह मुंह से सांस लेता है। इस स्थिति में मुंह से सांस लेते समय उसे खर्राटे आते हैं।
मोटापा
आज के समय में मोटापे की समस्या सिर्फ व्यस्कों में ही नहीं देखी जाती, बल्कि गलत लाइफस्टाइल के कारण बच्चों को भी अब मोटापे की समस्या का सामना करना पड़ रहा है। मोटापा अपने साथ अन्य कई समस्याएं लेकर आता है। मसलन, जिन बच्चों का वजन अधिक होता है, उन्हें नींद के दौरान खर्राटों की समस्या होती है। अधिक वजन वाले बच्चे ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एपनिया (ओएसए) विकसित करते हैं, जो खर्राटों की विशेषता है। मोटापे से संबंधित ओएसए की सामान्य कॉम्पलीकेशन में अत्यधिक नींद आना, उच्च रक्तचाप का खतरा और हृदय संबंधी समस्याएं शामिल हैं।
एलर्जी
कई बार एलर्जी भी बच्चों में खर्राटे की वजह बन सकता है। एलर्जी राइनाइटिस और बच्चों में नींद की कमी के बीच एक संबंध देखा जाता है। एलर्जिक राइनाइटिस ओएसए, कम नींद, खराब नींद क्वालिटी, दांतों को पीसने या क्लिंजिंग और रात में आने वाले पसीने से जुड़ा हुआ है। एलर्जी के भड़कने से नाक और गले में सूजन हो सकती है जिससे सांस लेने में कठिनाई हो सकती है और खर्राटों का खतरा बढ़ सकता है।
अस्थमा
एलर्जी की तरह, अस्थमा सामान्य श्वास को रोक सकता है। ऐसे में अगर यह एयर वे के आंशिक रुकावटों का कारण बनता है, तो इससे बच्चे रात में सोते समय खर्राटे लेते हैं।
टॉन्सिल और एडेनोइड सूजन
जब टॉन्सिल या एडेनोइड सूज जाते हैं, तो वे एयरवे को बाधित करते हैं, जिसके परिणामस्वरूप खर्राटे आते हैं। सूजे हुए टॉन्सिल और बढ़े हुए एडेनोइड्स के सामान्य संकेतों में नींद के दौरान सांस लेने में रुकावट, मुंह से सांस लेना, सांस में बदबू आना, बार-बार सर्दी लगना और बेचैन नींद शामिल हैं। इस स्थिति में डॉक्टर से परामर्श लेना बेहद आवश्यक हो जाता है।
एनाटॉमिक असामान्यताएं
कुछ बच्चे जन्मजात नाक सेप्टम के साथ पैदा होते हैं, एक ऐसी स्थिति जिसमें सेप्टम डिसप्लेस हो जाती है। इससे सोते समय बच्चों के लिए सांस लेना मुश्किल हो सकता है और वह मुंह से सांस लेते हैं, जिसके कारण उन्हें खर्राटे आते हैं।
हवा का दूषित होना
हवा की गुणवत्ता आपकी सेहत पर विपरीत प्रभाव डालती है और इससे बच्चों को खर्राटों की समस्या हो सकती है। लो एयर क्वालिटी या अधिक दूषित हवा श्वसन के लिए एक चुनौती पैदा कर सकते हैं, जिसके कारण बच्चा मुंह से सांस लेता है और खर्राटे लेने लगता है। इस स्थिति से निपटने का सबसे अच्छा उपाय है कि आप बच्चे के कमरे में एयर प्यूरिफायर का इस्तेमाल करें, ताकि एयर क्वालिटी को बेहतर बनाया जा सके।
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Image Credit- Freepik
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