Diwali 2023: भारत में इस जगह ली थी माता सीता ने भू-समाधि, जमीन खोदने पर दिखता है अद्भुत नजारा

रामायण तो आप लोगों ने कई बार देखी होगा, लेकिन क्या आप जानते हैं कि आखिर माता सीता ने भू-समाधि कहां ली थी। 

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माता सीता की भू-समाधि को लेकर कई लोगों के मन में अलग-अलग सवाल हैं। कई मान्यताओं में माना गया है कि माता सीता ने उत्तर प्रदेश में भू-समाधि ली थी। उन्होंने संत कबीर नगर जिले में गंगा किनारे एक स्थान पर समाधि ली थी। वहीं कई मान्यताओं में यह भी कहा जाता है कि माता सीता ने उत्तराखंड के फलस्वाड़ी गांव में समाधि ली थी।

फलस्वाड़ी गांव में रहने वाले लोगों का मानना है कि जब भगवान राम ने मां सीता का त्याग कर किया था, तो माता ने यहीं भू समाधी ले ली। यहां पहले एक मंदिर था जो धरती में समा गया था। इस गांव में हर साल दिवाली के अवसर पर खास मेला लगता है। मेले के दौरान यहां लोगों द्वारा खुदाई की जाती है।

क्यों होती है खुदाई?

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यहां हाथों से आठ से दस फ़ीट की खुदाई की जाती है। यहां लोगों को मिट्टी में कुछ रेशे जैसी चीज मिलती है। कहा जाता है कि यह माता सीता के केश हैं। क्योंकि जब माता सीता भू समाधि ले रही थी तो भगवान राम उन्हें पकड़ने के लिए भागे। लेकिन केवल उनके बाल ही भगवान राम के हाथों में आ पाए।

उत्तराखंड सरकार द्वारा सीता माता का मंदिर बनाने का निर्णय लिया गया है। हालांकि स्पष्ट रूप से नहीं कहां जा सकता कि आखिर माता सीता ने कहां भू समाधि ली थी।

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क्यों माता को लेना पड़ा भू-समाधि?

वाल्मीकि जी द्वारा लिखी गई रामायण के अनुसार प्रभु राम अपने पिता के वचनों का पालन करने के लिए 14 वर्ष का वनवास करने गए थे। उनका साथ देने के लिए माता सीता और लक्ष्मण जी ने भीवनवास करने का फैसला किया। लेकिन इस दौरान माता सीता का रावण द्वारा अपहरण कर लिया गया था।

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माता सीता ने दी थी अग्नि परीक्षा

श्री राम ने अपनी पत्नी को रावण के चंगुल से बचाने के लिए हनुमान जी की सहायता ली रावण के साथ युद्ध किया। माता सीता को वापस लाने के बाद उनके ऊपक कई तरह के सवाल खड़े किए जाने लगे। जिसके चलते उन्होंने अपने पवित्रता का प्रमाण देने के लिए अग्नि परीक्षा दी।

लेकिन जब वह वापस अयोध्या पहुंची तो उनपर वहां भी लोगों द्वारा सवाल उठाए जाने, तो उन्होंने अपने आप को धरती में ही विलीन कर लिया था।

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