अनूठे चमत्कार: शिव मंदिर में पत्थरों को थपथपाने पर आती है डमरू की आवाज, जानें इसके पीछे का रहस्य

हम आपको एक ऐसे मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसके बारे में बोला जाता है कि मंदिर के पत्थरों को थपथपाने से डमरू की आवाज आने लगती है। सावन में दर्शन मात्र से हर मुराद होती है पूरी।

history of jatoli shiv temple solan and how to reach

सावन का पावन महीना शुरू हो चुका है। शिव भक्तों के लिए सावन का महीना बेहद ही खास समय होता है। पूरे महीने में शिव भक्त सुबह से भी प्रसिद्ध शिव मंदिर में पूजा-पाठ करने के लिए लाइन में लग जाते हैं। खासकर सावन के हर सोमवार को शिव मंदिरों में कुछ अधिक भी भीड़ रहती हैं।

भारत में ऐसे कई प्राचीन और विश्व प्रसिद्ध शिव मंदिर है जहां हर दिन लाखों की संख्या में भक्त दर्शन के लिए पहुंचते हैं। लाखों मंदिरों में से कुछ शिव मंदिर आज भी कई रहस्यमयी कहानियों के लिए फेमस है।

भारत में एक ऐसा भी शिव मंदिर है जिसके बारे में कहा जाता है कि मंदिर के पत्थरों पर थपथपाने से डमरू की आवाज निकलती है। इस आर्टिकल में उस मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं।

कहां है यह रहस्यमयी मंदिर?

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जिस रहस्यमयी मंदिर के बारे में हम आपसे बात कर रहे हैं वो किसी और राज्य में नहीं, बल्कि हिमाचल प्रदेश की हसीन वादियों में मौजूद है। यह हिमाचल प्रदेश के सोलन जिले में स्थित है। इस चमत्कारी मंदिर का नाम 'जलोटी शिव मंदिर' है। दक्षिण-द्रविड़ शैली से निर्मित यह मंदिर अपने आप में किसी चमत्कार से कम नहीं है। मंदिर का निर्माण काला एक बेजोड़ नमूना माना जाता है।

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क्या सच में जलोटी मंदिर बनाने में 39 साल लगे थे?

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आपकी जानकारी के लिए बता दें कि सोलन में मौजूद जलोटी शिव मंदिर को एशिया के सबसे ऊंचे शिव मंदिर में से एक माना जाता है। पहाड़ पर मौजूद इस मंदिर की ऊंचाई लगभग 111 फुट है। कई लोगों का मानना है कि इस अद्भुत मंदिर का निर्माण करने में 5-10 साल नहीं, बल्कि पूरे 39 साल लग गए थे।

जलोटी मंदिर की पौराणिक कथा

जलोटी मंदिर की पौराणिक कथा को लेकर यह कहा जाता है कि पौराणिक काल में भगवान शिव यहां आए थे और कुछ समय तक विश्राम किया था। बाद में स्वामी कृष्णानंद परमहंस नाम के एक बाबा यहां आए और उन्हीं के दिशा-निर्देश में इस मंदिर का निर्माण शुरू किया गया था।

क्या सच में पत्थरों को थपथपाने से डमरू की आवाज निकलती है?

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कहा जाता है कि मंदिर में स्थित पत्थरों को थपथपाने से डमरू की आवाज निकलती है। कुछ लोगों का यह भी मानना है कि पत्थरों को सिर्फ छूने मात्र से भी डमरू की आवाज निकलने लगती है। इस रहस्यमयी कहानी के लिए हर दिन हजारों भक्त दर्शन करने और डमरू की आवाज सुनने के लिए पहुंचते हैं। खासकर सावन के महीने में हर दिन यहां लाखों भक्त दर्शन के लिए पहुंचते हैं।(भारत में स्थित अद्भुत मंदिर)

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जलोटी मंदिर कैसे पहुंचें?

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जलोटी मंदिर पहुंचना बहुत आसान है। दिल्ली, पंजाब और हरियाणा आदि राज्यों से सोलन के लिए बस भी चलती है। दिल्ली कश्मीरी-गेट से हिमाचल रोडवेज बस भी चलती है।

सबसे पास में शिमला हवाई अड्डा है। यहां से कैब या टैक्सी लेकर आसानी से सोलन पहुंच सकते हैं। कालका-शिमला ट्रेन से शिमला पहुंचकर भी जलोटी मंदिर मंदिर पहुंच सकते हैं।

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