भारत जिस तरह अपनी खूबसूरती के लिए फेमस है, ठीक उसी तरह रहस्यमयी चीजों के लिए भी फेमस है। पूर्व से लेकर पश्चिम और उत्तर से लेकर दक्षिण भारत में ऐसी कई डरावनी और रहस्यमयी जगहें मौजूद हैं, जिनका नाम सुनते ही कई लोगों की रूह तक कांप जाती है।
राजस्थान में स्थित भानगढ़ किला, दिल्ली में स्थित अग्रसेन की बावली, मेरठ में मौजूद जीपी ब्लॉक और मुंबई में स्थित मुकेश मिल्स कुछ ऐसी जगहें हैं, जिनके आसपास दिन के उजाले में भी लोग भटने के डरते हैं।
बेगुनकोदर के ऐसा रेलवे स्टेशन है, जिसके बारे में कहा जाता है कि इसकी डरावनी कहानियां इस कदर प्रचलित थीं कि इसे करीब 40 सालों तक बंद कर दिया गया था। इस आर्टिकल में हम आपको बेगुनकोदर रेलवे स्टेशन के बारे में बताने जा रहे हैं।
कहां है बेगुनकोदर रेलवे स्टेशन? (Where is begunkodar railway station)
बेगुनकोदर रेलवे स्टेशन की डरावनी कहानियों के बारे में जानने से पहले यह जान लेते हैं कि यह किस देश के किस राज्य में मौजूद है। बेगुनकोदर किसी और राज्य में नहीं, बल्कि भारत के पश्चिम बंगाल में मौजूद है। यह दक्षिण पूर्व रेलवे डिवीजन में आता है।
बेगुनकोदर रेलवे स्टेशन भूतिया रेलवे स्टेशन बंगाल के पुरुलिया में है। यह राजधानी कोलकाता से करीब 288 किमी की दूरी पर मौजूद है। यह झारखण्ड की सीमा से बिल्कुल पास में है।
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1960 में खुला था बेगुनकोदर रेलवे स्टेशन
कहा जाता है कि इस बेगुनकोदर रेलवे स्टेशन का परिचालन करीब 1960 में शुरू हुआ था। कई लोगों का मानना है कि इस रेलवे स्टेशन का शुभारंभ संथाल की रानी लाचन कुमारी ने कराया था।
माना जाता है कि शुरू में बेगुनकोदर रेलवे स्टेशन काफी प्रचलित स्टेशन हुआ करता था, लेकिन शुभारंभ के 7 साल बाद इस रेलवे स्टेशन से अजीबो गरीब आवाजें आने लगी।(उत्तर प्रदेश के भुतहा रेलवे स्टेशन)
क्या सच में रेलवे स्टेशन पर भूतों का साया था?(haunted story of begunkodar railway station)
बेगुनकोदर रेलवे स्टेशन के बारे में एक नहीं, बल्कि कई डरावनी कहानियां आज भी प्रचलित है। कहां जाता है कि इस स्टेशन पर भूत होने का दावा एक रेलवे कर्मचारी ने किया था।
रेलवे कर्मचारी के अनुसार यहां भूत-प्रेतों का साया था। कर्मचारी का कहना था कि रोज रात को एक महिला सफेद कपड़ा पहने पटरी पर टहलती थी। कई लोगों का मानना है कि उस महिला की मौत इसी स्टेशन पर एक ट्रेन दुर्घटना में हुई थी। कहा जाता है कि शाम 5 बजे के बाद इस स्टेशन के आसपास कोई भी यात्री दिखाई नहीं देता है।
सूरज ढलते ही किसी को जाने की हिम्मत नहीं पड़ी
बेगुनकोदर रेलवे स्टेशन के बारे कहा जाता है कि सूरज ढलते ही इस रेलवे स्टेशन के आसपास कोई भी भटकने की हिम्मत नहीं करता था।(कोलकाता की डरावनी जगहें)
कहा जाता है कि बेगुनकोदर रेलवे स्टेशन के पास में मौजूद रेलवे क्वार्टर में जब एक दिन स्टेशन मास्टर और उसके परिवार की डेड बॉडी मिली तो यह खबर आग की तरह फैल गई। इस घटना के बाद रेलवे स्टेशन को कई सालों के लिए बंद कर दिया गया।
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क्या सच में 40 सालों तक बंद रहा बेगुनकोदर रेलवे स्टेशन
बेगुनकोदर रेलवे स्टेशन को खौफनाक घटना के बाद इस कई सालों तक के लिए बंद कर दिया गया। कई लोगों का मानना है कि डरावनी कहानियों के चलते इसे करीब 40 से 42 सालों के लिए बंद गया।
माना जाता है कि जब साल 2009 में ममता बनर्जी रेल मंत्री बनी थी तब उन्होंने इस स्टेशन को दोबारा खोलने का आदेश दिया था। हालांकि, दोबारा खुलने के बाद भी कई वर्षों तक लोग अकेले जाने से डरते थे।
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