Butler Palace Haunted Story:भारत के सबसे बड़े राज्यों में शामिल उत्तर प्रदेश में घूमने के लिए एक से एक बेहतरीन और खूबसूरत जगहें हैं। इसलिए यहां हर दिन देश के हर कोने से पर्यटक घूमने के लिए पहुंचते हैं। अयोध्या, बनारस, प्रयागराज, आगरा, मथुरा और वृंदावन जैसे शहरों में हर दिन हजारों सैलानी पहुंचते रहते हैं।
उत्तर प्रदेश में घूमने के मामले में राज्य की राजधानी लखनऊ भी किसी अन्य शहर से कम नहीं है। नवाबों के शहर के नाम से फेमस लखनऊ कई बेहतरीन चीजों के लिए दुनिया भर में फेमस है।
लेकिनउत्तर प्रदेश की राजधानी में एक ऐसा महल है जो आज भी हजारों लोगों के लिए भूतिया कहानी बना हुआ है। इस आर्टिकल में हम आपको लखनऊ में मौजूद उस भूतिया महल के बारे में बताने जा रहे हैं।
लखनऊ में स्थित भूतिया का इतिहास
लखनऊ में स्थित जिस खूबसूरत महल के बारे में जिक्र कर रहे हैं उस महल का नाम 'बटलर पैलेस' है। इस महल का इतिहास भी बेहद दिलचस्प है। कहा जाता है कि बटलर पैलेस की नींव 1907 में सीई डिप्टी कमिश्नर बने हरकोर्ट बटलर ने रखी थी। हरकोर्ट बटलर के नाम पर ही इस खूबसूरत महल का नाम रख गया था।(भारत की सबसे रहस्यमयी जगह)
जब हरकोर्ट बटलर ने महल की नींव रखी तो पूरा नहीं बन सका और साल 1915 के आसपास राजा महमूदाबाद ने फिर से मरम्मत करवाई, लेकिन महल पूरा नहीं बन सका।
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बटलर पैलेस पूरा क्यों नहीं बन पाया?
कहा जाता है कि बटलर पैलेस न ही हरकोर्ट बटलर के दौरान और न ही राजा महमूदाबाद के दौरान पूरे तरीके से बन पाया। महल का एक हिस्सा बना भी था, तो गोमती में आई बाढ़ के चलते महल का हिस्सा तहस-नहस हो गया था। इसके बाद राजा महमूदाबाद ने महल को फिर से बनाने का काम बंद करवा दिया। इसलिए कई लोग इसे आधा-अधूरा महल के नाम से भी जानते हैं।(दिल्ली का भूतिया मकान)
क्या सच में बटलर पैलेस बेहद खूबसूरत था?
कहा जाता है कि इस महल का जितना भी हिस्सा बना था वो बेहद ही खूबसूरत लगता था। कई लोगों का मानना है कि अगर यह महल पूरे तरीके से बन जाता तो ऐसा महल शायद ही किसी और स्थान पर देखने को मिलता। आधे-अधूरे निर्मित इस महल की खूबसूरती आज भी पूरे प्रदेश में काफी प्रचलित है। महल की स्थापत्य कला राजस्थानी ढंग का है।
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क्या सच में बटलर पैलेस भूतिया है?
इस खूबसूरत महल के अंदर ऐसे कई वीरान खंडहर और कोठी मौजूद हैं जिन्हें देखने के बाद कई लोग डर जाते हैं। महल के अंदर हर तरफ घने पेड़-पौधे और घास मौजूद है।
कई लोगों का मानना है कि शाम होते ही इस महल के अंदर कभी-कभी चिल्लाने और रोने की आवाज आती रहती है। इसलिए सूरज ढलने के बाद कई लोग महल के आसपास घूमने के लिए नहीं जाते हैं। हालांकि, कुछ लोगों का यह भी मानना है कि खंडहर होने के चलते इस महल को कई लोग भूतिया महल के नाम से भी जानते हैं।
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