राधा-कृष्णा का नाम तो पूरी दुनिया एक साथ लेती हैं और कई ऐसे हजारों मंदिर हैं जहां राधा-कृष्णा की पूजा एक साथ की जाती हैं लेकिन एक ऐसा भी मंदिर है जहां भगवान कृष्ण के साथ रुक्मिणी को पूजा जाता है। पूरे वर्ल्ड में कई ऐसे मंदिर हैं जहां भगवान कृष्ण और राधा की मूर्ति एक साथ होती है या फिर भगवान कृष्ण अपने बड़े भाई बलराम के साथ होते हैं। हम जन्माष्टमी 2020 के मौके पर आपको इसी मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं।
हिन्दू धर्म के अनुसार 16,108 पत्नियां होने के बाद भी भगवान कृष्ण के उनकी पत्नियों के साथ बहुत ही कम मंदिर हैं लेकिन एक ऐसा मंदिर है जहां भगवान कृष्ण को रुक्मिणी के साथ पूजा जाता है।
महाराष्ट्र में पुणे से लगभग 200 कि.मी की दूरी पर एक गांव है जहां श्रीकृष्ण को और किसी के साथ नहीं बल्कि उनकी पत्नी रुक्मिणी के साथ पूजा जाता है। इस मंदिर में दर्शन करने के लिए हजारों मीलों का सफर तय कर भक्त आते हैं।
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महाराष्ट्र के पंढरपुर नाम के गांव में भगवान कृष्ण और उनकी पत्नी रुक्मिणी का विट्ठल रुक्मिणी मंदिर नाम का एक मंदिर है। इस मंदिर में भगवान कृष्ण और देवी रुक्मिणी के काले रंग की सुंदर मूर्तियां हैं।
यह मंदिर भक्तों के लिए गहरी आस्था का केन्द्र बना हुआ है, चंद्रभागा नदी के तट पर है स्थित विट्ठल रुक्मिणी मंदिर पूर्व दिशा में भीमा नदी के तट पर है। भीमा नदी को यहां पर चंद्रभागा के नाम से जाना जाता है। आषाढ़, कार्तिक, चैत्र और माघ महीनों के दौरान नदी के किनारे मेला लगता है जिसमें हजारों लोग आते हैं। उन मेलों में भजन-कीर्तन करके भगवान विट्ठल को प्रसन्न किया जाता है।
कई भक्त अपने घरों से मंदिर तक के लिए पैदल यात्रा भी करते हैं जिसे दिंडी यात्रा कहा जाता है। ऐसी मान्यता है कि इस यात्रा को आषाढ़ी एकादशी या कार्तिक एकादशी को मंदिर में खत्म करने का महत्व है। इसलिए भक्त इसी समय से कुछ दिन पहले यात्रा शुरू करते हैं ताकि इस दिन यात्रा पूरी कर सकें।
रेल मार्ग
पंढरपुर से लगभग 52 कि.मी. की दूरी पर कुर्डुवादी का रेल्वे स्टेशन है। कुर्डुवादी से पंढरपुर के लिए आसानी से बस मिल जाती है।
सड़क मार्ग
पंढरपुर से पुणे की दूरी लगभग 200 कि.मी और मुंबई की दूरी लगभग 370 कि.मी. है। वहां तक अन्य साधन से आकर सड़क मार्ग से विट्ठल रुक्मिणी मंदिर पहुंचा जा सकता है।
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हवाई मार्ग
पंढरपुर से सबसे पास में पुणे का एयरपोर्ट है। पंढरपुर से पुणे एयरपोर्ट की दूरी लगभग 200 कि.मी. है। वहां तक हवाई मार्ग से आकर सड़क मार्ग से पंढरपुर के विट्ठल रुक्मिणी मंदिर पहुंच सकते हैं।
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