Why is Hanuman not worshipped in Dronagiri

आखिर क्यों इस गांव में हनुमान जी से नफरत करते हैं लोग?

भारत देश में आपको कई हनुमान भक्त और हनुमान जी के मंदिर भी दिख जाएंगे, लेकिन ज्योतिषाचार्य राधाकांत वत्स ने हमें एक ऐसे गांव के बारे में बताया जहां हनुमान जी से लोग नफरत करते हैं और उस स्थान पर हनुमान जी की पूजा करना वर्जित है।
Editorial
Updated:- 2025-08-12, 12:42 IST

शास्त्रों में ऐसा बताया गया है कि हनुमान जी की पूजा करने से जीवन में सुख-समृद्धि आती है और संकटों का नाश होता है। साथ ही, यह भी लिखा हुआ है कि हनुमान जी अपने भक्तों पर हमेशा कृपा बनाए रखते हैं। भारत देश में आपको कई हनुमान भक्त और हनुमान जी के मंदिर भी दिख जाएंगे, लेकिन ज्योतिषाचार्य राधाकांत वत्स ने हमें एक ऐसे गांव के बारे में बताया जहां हनुमान जी से लोग नफरत करते हैं और उस स्थान पर हनुमान जी की पूजा करना वर्जित है। आइये जानते हैं कि आखिर कहां है ये गांव और क्यों नहीं होती यहां हनुमान जी की पूजा।

किस गाव में हनुमान जी की पूजा नहीं होती है और क्यों?

उत्तराखंड के चमोली के जोशीमठ प्रखण्ड में जोशीमठ नीति मार्ग पर द्रोणागिरि नाम का एक गांव है। इस गांव को लेकर यह बात प्रचलित है कि यहान के लोग हनुमान जी को न तो भगवान मानते हैं और उन ही उनकी पूजा करते हैं, बल्कि यहां के लोगों में हनुमान जी के प्रति भारी नाराजगी है।

dronagiri gaov mein hanuman ji ki puja kyu nahi hoti hai

इसके पीछे का कारण है रामायण से जुड़ा वो किस्सा जब हनुमान जी लक्ष्मण जी की सहायता के लिए द्रोणागिरि पर्वत अपने हाथ में उठा लाये थे। वाल्मीकि रामायण के अनुसार, जब लक्ष्मण और मेघनाद का युद्ध चल रहा था, तब मेघनाद ने मायावी शक्ति से लक्ष्मण को मूर्छित कर दिया था।

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इसके बाद, लक्ष्मण के प्राणों की रक्षा करने के लिए हनुमान जी लंका के वैद्य के कहने पर द्रोणागिरि पहुंचे संजीवनी बूटी लेने, लेकिन सभी बूटियां एक जैसी नजर आने पर वह पूरा पर्वत ही उठा लाए थे। कहा जाता है कि जिस गांव में यह पर्वत था वह आज का द्रोणागिरि गांव ही कहलाता है।

dronagiri gaanv mein hanuman ji ki puja kyu nahi hoti hai

इसी पर्वत के नाम पर गांव का नाम पड़ा था और हनुमान जी जिस समय में इस पर्वत को उठाकर लाए थे, तब उस स्थान के लोग इस पर्वत की पूजा किया करते थे। हनुमान जी के पर्वत उठा लाने के कारण द्रोणागिरि गांव के लोगों की पूजा बंद हो गई और इसी बात से आज तक लोग नाराज हैं।

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यही कारण है कि रामायण काल के इतने समय बाद तक भी आज कलयुग में पीढ़ी-दर-पीढ़ी द्रोणागिरि गांव में हनुमान जी की पूजा वर्जित मानी जाती है। यहां तक कि यहान लोग लाल झंडा भी नहीं लाते क्योंकि वह हनुमान जी का प्रतीक माना जाता है। लोगों की नाराजगी आज भी कायम है।

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FAQ
मंगलवार के दिन हनुमान जी के सामने चौमुखी दीया जलाने का लाभ? 
मंगलवार के दिन हनुमान जी के सामने चौमुखी दीया जलाने से संकटों का नाश होता है। 
हनुमान चालीसा का पाठ कब नहीं करना चाहिए? 
हनुमान कालिस का पाठ सूतक काल, मासिक धर्म और आधी रात में नहीं करना चाहिए। 
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