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वाराणसी में दशाश्वमेध और अस्सी घाट पर ही क्यों होती है गंगा आरती? जानें इसका महत्व

वाराणसी की आरती बेहद नामी मानी जाती है। ऐसा लगता है मानो साक्षात स्वर्ग देख रहे हो। अब ऐसे में सवाल है कि वाराणसी के दशाश्वमेध और अस्सी घाट मं गंगा आरती क्यों होती है। आइए इस लेख में विस्तार से जानते हैं। 
Editorial
Updated:- 2025-06-06, 15:07 IST

जैसे ही सूरज पश्चिम की ओर झुकने लगता है और गंगा के किनारे सुनहरी रोशनी फैल जाती है, दशाश्वमेध घाट पर हलचल बढ़ने लगती है। भक्त उत्सुकता और श्रद्धा से भरे हुए किनारों पर अपनी जगहें लेने लगते हैं। इतना ही नहीं, दीयों की लौ गंगा के पवित्र जल पर नृत्य करती हुई प्रतीत होती है, और ऐसा लगता है मानो स्वयं मां गंगा इस प्रकाश और ध्वनि की आराधना में शामिल हो रही हों। आरती के दौरान बजने वाले मंत्र और स्तोत्र वातावरण को और भी पवित्र और ऊर्जावान बना देते हैं। आपतो बता दें, वाराणसी में यह भव्य दृश्य दशाश्वमेध और अस्सी घाट पर ही होती है। अब ऐसे में सवाल है कि आखिर इन्हीं दोनों घाटों पर ही क्यों गंगा आरती होती है। आइए इस लेख में ज्योतिषाचार्य पंडित अरविंद त्रिपाठी से विस्तार से जानते हैं।

वाराणसी के दशाश्वमेध घाट पर गंगा आरती का महत्व

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दशाश्वमेध घाट काशी विश्वनाथ मंदिर के करीब स्थित है, जो भगवान शिव को समर्पित है। गंगा आरती अप्रत्यक्ष रूप से भगवान शिव की भी आराधना है, क्योंकि गंगा को उनकी जटाओं से बहने वाली माना जाता है। इतना ही नहीं, दशाश्वमेध घाट का नाम 'दस अश्वमेध यज्ञ' के नाम पर पड़ा है, जो माना जाता है कि भगवान ब्रह्मा ने यहां दस अश्वमेध यज्ञ किए थे।

वाराणसी के अस्सी घाट पर गंगा आरती का महत्व

अस्सी घाट वाराणसी के सबसे पुराने और महत्वपूर्ण घाटों में से एक है। यह अस्सी नदी और गंगा नदी के संगम पर स्थित है, जिससे इसका धार्मिक महत्व और बढ़ जाता है। आपको बता दें, अस्सी घाट से जुड़ी कई पौराणिक कथाएं हैं। ऐसा माना जाता है कि देवी दुर्गा ने शुंभ और निशुंभ नामक राक्षसों का वध करने के बाद अपनी तलवार यहीं फेंकी थी, जिससे अस्सी नदी का उद्गम हुआ।

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वाराणसी की गंगा आरती कराती है साक्षात भगवान के दर्शन

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वाराणसी की गंगा आरती, विशेष रूप से दशाश्वमेध घाट पर और अस्सी घाट पर एक भव्य अनुभव होता है। आरती की लौ, मंत्रोच्चार, घंटे-घड़ियाल की ध्वनि और गंगा की लहरों के बीच वह वातावरण ऐसा प्रतीत होता है मानो स्वयं भगवान साक्षात उपस्थित हों। जिससे यह दृश्य स्वर्ग से कम नहीं नजर आता है।

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Image Credit- HerZindagi

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