गंगा आरती देखने के लिए लोग हरिद्वार से लेकर बनारस तक जाते हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि हर जगह की गंगा आरती अलग-अलग तरह से होती है। लेकिन इनकी महत्वता एक ही होती है। हम भी गंगा आरती देखने के लिए बनारस पहुंचे। आरती की शुरुआत भगवान शिव के श्रृंगार से की गई। इसके बाद भगवान कृष्ण की आरती हुई। फिर गंगा आरती की शुरुआत हुई। लेकिन जब गंगा आरती शुरू हुई तो उसे देखकर हर कोई भक्तिमय हो गया। आरती करते समय हमारी नजर उस दीये पर पड़ी। जिसपर शेषनाग बने हुए थे। सवाल था कि आखिर गंगा आरती में शेषनाग के दीये का उपयोग क्यों होता है? इसकी जानकारी हमने वहां पर मौजूद पंडित जी से पूछा। चलिए आपको भी बताते हैं उन्होंने इसके बारे में क्या बताया।
गंगा आरती शेषनाग दीये से क्यों होती है
हिंदू धर्म में शेषनाग को एक अहम स्थान दिया गया है। ऐसा कहा जाता है कि ये भगवान विष्णु की रक्षा करते हैं। उसी तरह गंगा माता जो जीवनदायिनी कही जाती है इसलिए उनकी पूजा में इस दीये का इस्तेमाल होता है। जब भी पूजा की जाती है, तो यही कहा जाता है कि गंगा मां हमेशा पवित्र और स्वच्छ रहे।
शेषनाग और गंगा जी का क्या है संबंध
हम सभी को यह पता है कि शेषनाग भगवान विष्णु के सेवक कहे जाते हैं। इसलिए हमारी कथाओं में भी इनका वर्णन होता है। भगवान विष्णु क्षीरसागर में शेषनाग में विश्राम करते हैं। गंगा जी भगवान विष्णु के चरणों से होकर जाती है। इसलिए गंगा आरती में इनका काफी महत्व है। इससे भगवान विष्णु के प्रति आस्था और प्रार्थना को दर्शाया जाता है। ऐसा इसलिए क्योंकि काशी में शिव के साथ विष्णु भी विराजते हैं।
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काशी में नागों का महत्व
काशी को शिव की नगरी कहते हैं। जहां शिव होते हैं वहां नाग जरूर होते हैं। शेषनाग उनमें से प्रमुख हैं। इसलिए गंगा आरती में जहां शिव और गंगा दोनों हैं। वहां पर इनकी उपस्थिति भी जरूरी है। इसलिए काशी की गंगा आरती इस खास दीये से की जाती है, ताकि यहां की आरती पूर्ण हो सके।
काशी की गंगा आरती बहुत अच्छी होती है। रात के समय हमने इस गंगा आरती का आनंद लिया। इसे देखकर हम भी अपनी सारी परेशानी को भूल गए। साथ ही, ऐसा लगा जैसे की भगवान का आशीर्वाद हर तरफ से मिल रहा है। आप भी जाएं तो इस चीज पर जरूर ध्यान दीजिएगा। इससे आपको भी इस आरती की महत्वता पता चल जाएगी।
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