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Holika Dahan Ki Devi: कौन हैं होला माता जिनकी पूजा के बिना नहीं मिलता होलिका दहन का फल?

ज्यादातर लोग यही मानते हैं कि होलिका दहन के दिन होलिका की ही पूजा की जाती है लेकिन असल में होलिका दहन के दिन होला माता की आराधना करने की परंपरा है। होलिका और होला माता दोनों अलग-अलग हैं। 
Editorial
Updated:- 2025-03-11, 23:00 IST

होलिका दहन इस साल 13 मार्च, दिन गुरुवार को होगा। होलिका दहन के दिन अग्नि प्रज्वलित कर उसकी परिक्रमा होती है और सुख-समृद्धि की कामना की जाती है। होलिका दहन के दिन जहां एक ओर होलिका जलाई जाती है तो वहीं, दूसरी ओर इस दिन होला माता की पूजा करने का भी विधान है। ज्यादातर लोग यही मानते हैं कि होलिका दहन के दिन होलिका की ही पूजा की जाती है लेकिन असल में होलिका दहन के दिन होला माता की आराधना करने की परंपरा है। होलिका और होला माता दोनों अलग-अलग हैं। साथ ही, ज्योतिषाचार्य राधाकांत वत्स ने हमें ये भी बताया कि कैसे बिना होला माता की पूजा के होलिका दहन का पुण्य फल प्राप्त नहीं होता है। तो चलिए जानते हैं कि आखिर कौन हैं होला माता और कैसे हुई इनकी उत्पत्ति एवं क्यों की जाती है होलिका दहन पर इनकी पूजा।

कौन हैं होला माता?

पौराणिक कथा के अनुसार, जब होलिका प्रहलाद को लेकर अग्नि में बैठी थीं तब उन्हें इस बात का तनिक भी ज्ञान नहीं था कि अग्नि से न जलने का जो वरदान उन्हें ब्रह्म देव से प्राप्त हुआ है वह शीघ्र ही खंडित होने वाला था।

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जब उस चिता पर अग्नि लगाई गई जिसपर होलिका और प्रहलाद बैठे हुए थे, तब प्रहलाद तो श्री हरि विष्णु की भक्ति के कारण अग्नि के प्रचंड वेग से बच गए लेकिन होलिका को उस अग्नि ने पूर्णतः जलाकर भस्म कर दिया था।

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शास्त्रों में वर्णित कथा के अनुसार, जब होलिका पूरी तरह से भस्म हुई तब उसकी नकारात्मकता अग्नि से बाहर आने लगी और लोगों को प्रभावित करने लगी जिसके बाद अग्नि देव ने अपनी एक ऊर्जा को प्रकट किया था।

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उस सकारात्मक और तेजमयी ऊर्जा के प्रभाव से नकारात्मकता नष्ट होने लगी और लोगों में आध्यात्म बढ़ने लगा जिसके बाद उस ऊर्जा ने देवी रूप धारण किया। देवी रूप में आते ही उन्हें अग्नि से उत्पन्न होने के कारण अग्नि पुत्री कहा जाने लगा।

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उसी समय ब्रह्म देव ने अग्नि पुत्री को नाम दिया होला जिसका अर्थ है होली की नकारात्मकताओं को नष्ट करने वाली। तभी से होलिका दहन के दिन होला माता की पूजा का विधान स्थापित हो गया। होला माता की पूजा से घर में धन-धान्य का वास बना रहता है।

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