हिंदू कैलेंडर के अनुसार ओणम पर्व भाद्र माह की शुक्ल त्रयोदशी तिथि के दिन मनाया जाता है। इस बार यह पर्व साल 2024 में 6 सितंबर से शुरू होकर 15 सितंबर को खत्म होगा। यह त्यौहार केरलवासियों के लिए बेहद ही खास और महत्वपूर्ण होता है। मुख्य रूप से यह पर्व नई फसलों की अच्छी उपज के लिए समर्पित है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, ओणम का पर्व दानवीर राजा बलि के सम्मान को सेलिब्रेट किया जाता है। इस दिन भगवान विष्णु जी और महाबली की पूजा-अर्चना की जाती है। त्यौहार की खुशी मनाने के लिए लोग अपने घरों फूल की मदद से अलग-अलग तरीके से सजाते हैं। लेकिन क्या आपको पता है कि आखिर ओणम पर्व पर फूल का इतना महत्व क्यों है।
आखिर क्यों फूल का महत्व
त्यौहार के मौके पर हम सभी अपने घर को फूल-पत्ती और दीपक से सजाते हैं। लेकिन दक्षिण भारत में मनाया जाने वाला पर्व ओणम में फूल का बेहद ही खास महत्व है। यहां पर फूलों की रंगोली से लेकर फूल गृह बनाया जाता है। बता दें कि जैसे दशहरे के पर्व पर रामलीला का आयोजन और दीपावली पर घर को फूल और दीपक से सजाते हैं। उसी प्रकार ओणम में घर को साफ करने के बाद फूलों की रंगोली जिसे यहां पर पूकलम कहा जाता है। खासकर घर में फूल गृह भी बनाया जाता है, जिसे गोलाकार रूप में फूल से सजाया जाता है। यह सजावट का कार्यक्रम प्रतिदिन आठ दिन तक चलता है। साथ ही राजा बलि की मिट्टी की बनी त्रिकोणात्मक मूर्ति पर अलग-अलग फूलों से चित्र बनाते हैं। बता दें पहले दिन फूलों से जितने गोलाकार वृत्त बनाए जाते हैं, दसवें दिन तर उसके दस गुना तक गोलाकार में फूलों के वृत्त रचे जाते हैं।
फूलों के पास उत्सव मनाती हैं महिलाएं
ओणम पर्व के नौवें दिन हर घर में भगवान विष्णु की मूर्ति की पूजा की जाती है। परिवार की महिलाएं इसके इर्द-गिर्द तालियां बजाती हुई नाचती हैं। साथ ही वामन अवतार के गीत गाए जाते हैं। उसके बाद रात में गणेश जी और श्रावण देवता की मूर्ति की पूजा और मंगलदीप जलाए जाते हैं।
राजा बलि करते हैं भ्रमण
ओणम त्यौहार किसी देवी-देवता के सम्मान में नहीं बल्कि दानवीर असुर राजा बलि के लिए मनाया जाता है। राजा बलि जिसने विष्णु के अवतार भगवान वामन को 3 पग भूमि दान में दे दी थी। इस मौके पर घरों में दावत के दौरान परोसने के लिए कई तरह के केले के चिप्स बनाए जाते हैं, जो केरल का एक लोकप्रिय व्यंजन है। परिवार के सदस्य 'ओनक्कोड़ी' यानी नए कपड़ों के उपहारों का आदान-प्रदान करते हैं। साथ ही घर के आंगन में झूला लटकाया जाता है और उसे 'अंजलि' के फूलों से सजाया जाता है।
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