Maa Kali Aur Bhakt Ki Katha: हिन्दू धर्म ग्रंथों में भक्त और भगवान की कई रोचक और भावविभोर कर देने वाली कथाएं हैं। इन्हीं में से एक है भक्त रामकृष्ण परमहंस और मां काली की कथा। हमारे ज्योतिष एक्सपर्ट डॉ राधाकांत वत्स ने हमें बताया कि रामकृष्ण परमहंस मां काली के परम भक्त थे।
- रामकृष्ण परमहंस के लिए मां काली मात्र देवी नहीं बल्कि साक्षात दिखने एक हकीकत थीं। रामकृष्ण परमहंस की भक्ति ऐसी थी मां काली उनके एक बार पुकारने भर से उन्हें दर्शन देने आती थीं। अपने भक्त के हाथ से भोजन भी करती थीं और उनके अपने भक्त से बातचीत कर उन्हें आनंदित करके चली जाती थीं।

- एक दिन हुगली नदी के तट पर रामकृष्ण परमहंस अपनी भक्ति में लीन बैठे थे कि तभी वहां तोतापुरी नाम के एक सिद्ध पुरुष आए। उन्होंने जब परमहंस को देखा तो वह समझ गए कि यह कोई साधारण मनुष्य नहीं बल्कि मां काली (मां काली के मंत्र) के परम भक्त हैं।
- तोतापुरी जी के मन में ख्याल आया कि इनसे ही ज्ञान का अर्जन किया जाए लेकिन रामकृष्ण परमहंस की जहां शक्ति भी उनकी भक्ति थी तो वहीं, उनकी समस्या भी उनकी भक्ति ही थी। क्योंकि वह हर समय मां काली के ध्यान में ही डूबे रहते थे।
- जब तोतापुरी जी ने राम कृष्ण (श्री कृष्ण ने क्यों खाए थे केले के छिलके) परमहंस से ज्ञान सीखने की बात कही तो वह मान गए और तोतापूरी जी को ज्ञान से जुड़ी बातें बताने लगे लकिन जब भी परमहंस ध्यान में बैठते और ज्ञान देना शुरू करते तब-तब मां काली की भक्ति में खो जाते और ज्ञान अधूरा रह जाता।

- बार-बार ऐसा होने पर तोतापुरी जी नाराज हो गए और उन्होंने परमहंस को कठोर शब्द कहते हुए मां काली के टुकड़े करने का आदेश दे दिया। परमहंस जी चकित रह गए कि कैसे कोई मां काली के लिए ऐसे शब्दों का प्रयोग कर सकता है और मां काली के लिए ऐसे विचार मन में ला सकता है।
- वहीं, तोतापुरी जी भी इस बात पर अड़े रहे कि परमहंस जी मां काली पर तलवार से वार करें और तलवार तोतापुरी जी ही उन्हें लाकर दें। दरअसल, इस आदेश के पीछे का असल उद्येश्य ये था कि परमहंस जी मां काली की भक्ति में डूबकर कहीं न कहीं अपना ज्ञान खोते जा रहे थे।
- उन्हें मां काली के अतिरिक्त और कोई भी नजर ही नहीं आता था। हर समय ध्यान में रहने के कारण परमहंस जी अपनी जागरुकता खोने लगे थे। इसी जागरुकता को पुनः परमहंस जी में जगाने के लिए तोतापुरी जी ने ऐसा खेल रचाया।
- जब अगली बार परमहंस जी ज्ञान देने के लिए तोतापुरी जी का साथ बैठे तब उन्होंने ध्यान फिर से ध्यान लगाया और उन्हें मां का दर्शन हुए और वह पुनः उनकी छवि में खोने लगे तब तोतापुरी जी ने ध्यान केन्द्रित करने वाले स्थान यानी कि उके मस्तक को पास में पड़े एक कांच से टुकड़े से चीर दिया।

- जब परमहंस जी का ध्यान टूटा तो उन्होंने तलवार उठाकर मां काली की परछाई पर तलवार चला दी। इससे मां काली के आशीर्वाद से रामकृष्ण परमहंस जी की जागरुकता उनके भीतर पुनः लौट आई और वह रामकृष्ण से तब जाकर रामकृष्ण परमहंस बने।
तो ये थी मां काली और उनके भक्त रामकृष्ण परमहंस की कथा। अगर आपको यह स्टोरी अच्छी लगी हो तो इसे फेसबुक पर जरूर शेयर करें और इसी तरह के अन्य लेख पढ़ने के लिए जुड़ी रहें आपकी अपनी वेबसाइट हरजिन्दगी के साथ। आपका इस बारे में क्या ख्याल है? हमें कमेंट बॉक्स में जरूर बताएं।
Image Credit: Pinterest
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