जानें इस स्थान का पौराणिक महत्व, जहां हुआ था राधा-कृष्ण का विवाह

राधा-कृष्ण के विवाह से जुड़ा है इस स्थान का महत्‍व। आप भी जानें रोचक तथ्‍य। 

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जब हम सच्‍चे प्रेम के विषय में सोचते हैं तो सबसे पहले जहन में राधा-कृष्ण का नाम आता है। हिंदुस्तान ही नहीं बल्कि पूरे विश्व में राधा-कृष्ण की प्रेम कथा के बारे में लोग जानते हैं। वहीं कुछ धार्मिक शास्त्रों में राधा-कृष्ण के विवाह के बारे में भी बताया गया है। इतना ही नहीं वृंदावन में वह स्‍थल आज भी मौजूद है जहां पर राधा-कृष्ण का विवाह हुआ था।

इस पवित्र स्थान को भंडारीवन के नाम से जाना जाता है। यह स्थान वृंदावन से मात्र 10 किलोमीटर की दूरी पर है, जो लोग वृंदावन और मथुरा जाते हैं वे लोग इस वन का भ्रमण करना नहीं भूलते।

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अद्भुत है राधा-कृष्ण के विवाह की गाथा

वैसे तो यह बात विश्व विख्यात है कि श्रीकृष्ण भगवान विष्णु का स्वरूप थे और श्रीराधा देवी लक्ष्‍मी का स्वरूप थीं। दोनों ने द्वापर युग में मनुष्‍य योनी में जन्‍म लिया था और एक श्राप के चलते दोनों 100 वर्षों के लिए एक दूसरे से विवाह नहीं कर सकते थे।

गर्ग संहिता की माने तो दोनों का विवाह मनुष्य के रूप में बेशक नहीं हो पाया था, मगर श्रीकृष्ण और श्रीराधा ने दिव्य रूप धारण कर विवाह किया था और यह विवाह स्‍वंय त्रिदेवों में से एक ब्रह्मा जी ने कराया था। राधा-कृष्‍ण के विवाह में सभी देवी-देवता उपस्थित थे। इस लिहाज से देखा जाए तो श्रीकृष्ण ने सबसे पहले राधा जी से ही विवाह किया था और उसके बार रुकमणी जी उनकी धर्मपत्नी बनी थीं।

आपको यह भी जानकारी दें कि श्रीकृष्ण की 8 रानियां थीं और लाखों पटरानियां थीं, मगर जो 8 रानियां थी वह सभी देवी लक्ष्‍मी का स्वरूप थीं और श्रीराधा श्रीकृष्ण की शक्ति थीं। श्रीकृष्ण और राधा जी के विवाह के बारे में बहुत कम लोगों को ही पता है और ऐसी मान्‍यता है कि असल जीवन में श्रीराधा ने बरसाने के पुरोहित के पुत्र आयन से विवाह किया था। श्रीकृष्‍ण के मथुरा छोड़ने के बाद राधा दोबारा श्रीकृष्ण से कुरुक्षेत्र में महाभारत के युद्ध के दौरान ही मिली थीं। इसके बाद अपने जीवन के आखिरी वक्‍त में श्रीराधा द्वारिका श्रीकृष्ण के पास चली गई थीं और वहां उनकी दासी बनकर रहने लगी थीं।

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इस वन में है राधा-कृष्ण के विवाह का प्रमाण

भंडारी वन में आपको एक मंदिर दिख जाएगा जहां ब्रह्मा जी राधा-कृष्ण का विवाह कराते हुए आपको नजर आ जाएंगे। इस मंदिर में आज भी राधा-कृष्ण के भक्त आते हैं, इनमें प्रेमी युगल भी होते हैं और वह लोग भी होते हैं जिनके विवाह में बाधाएं आती हैं। यहां वह लोग भी आते हैं, जिन्हें संतान नहीं होती है और यहां आकर उन्हें संतान सुख की प्राप्ति होती है।

क्या कहते हैं पुराण?

वाराह पुराण की माने तो भंडारी वन 11वें नंबर का सबसे बड़ा वन हुआ करता था, जहां पर योगी और साधु निवास किया करते थे। यह वन यमुना के दूसरे पार है और यहां पहुंचने के केसी घाट सबसे नजदीकी स्थान है। यह घाट वृंदावन में है और यहां पर एक फुट ब्रिज बना हुआ है, जिसके माध्यम से यमुना को क्रॉस करके आप इस वन में पहुंच सकते हैं।

क्‍या है भंडारी वन की खासियत?

आपको देश दुनिया में ढेरों राधा-कृष्ण के मंदिर मिल जाएंगे, मगर भंडारी वन में राधा-कृष्ण का जो मंदिर है वहां श्रीकृष्‍ण राधा जी की मांग में सिंदूर भर रहे हैं और यह दृश्‍य बेहद अनोखा है।

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