भारत में सड़कों पर वीआईपी कल्चर कई तरीकों से दिखाई देता है, जो अक्सर आम जनता को असुविधा और अव्यवस्था का कारण बनता है। वीआईपी कल्चर को समझने और इसके अलग-अलग पहलुओं पर ध्यान देने के लिए यहां कुछ बिंदु दिए गए हैं। असल में भारत में वीआईपी कल्चर का मतलब ऊंचे पद पर बैठे सरकारी अधिकारियों, राजनेताओं, और मशहूर हस्तियों को दिए जाने वाले विशेष व्यवहार और विशेषाधिकारों से है। ऐसे में किसी नेता मंत्री या आला अधिकारी से अपना रिश्ता जोड़कर चालान या फाइन से बच निकलने की कोशिश करते हैं। लेकिन अब पुलिस ऐसे लोगों से सख्ती से निपट रही है।
पहले वीआईपी वाहनों पर लाल बत्ती का इस्तेमाल किया जाता था, जिससे ये विशेषाधिकार प्रदर्शित होते थे। हालांकि, अब सुप्रीम कोर्ट ने लाल बत्ती के इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगा दिया है, लेकिन यह अभी भी कुछ जगहों पर देखा जा सकता है। वीआईपी के लिए विशेष मार्ग और एंट्री पॉइंट्स निर्धारित किए जाते हैं, जिससे वे बिना किसी रुकावट के अपनी मंजिल तक पहुंच सकें। इससे आम लोगों के लिए उपलब्ध मार्ग और एंट्री पॉइंट्स कम हो जाते हैं।
वीआईपी व्यक्तियों को विशेष सुरक्षा और एस्कॉर्ट प्रदान किए जाते हैं, जो उनके आवागमन के दौरान ट्रैफिक में रुकावट का कारण बनते हैं। इससे आम जनता को असुविधा होती है। वीआईपी मूवमेंट के दौरान सड़कों को ब्लॉक कर दिया जाता है या ट्रैफिक को डायवर्ट कर दिया जाता है, जिससे लंबी ट्रैफिक जाम और देरी होती है। यह खास तौर पर उस समय होता है, जब कोई वीआईपी शख्स किसी जरूरी कार्यक्रम में भाग लेने जा रहा होता है।
वीआईपी लोगों को सार्वजनिक कार्यक्रमों और सेवाओं में प्राथमिकता दी जाती है, जिससे आम लोगों को लंबा इंतजार करना पड़ता है और उन्हें असुविधा होती है। वीआईपी शख्स के लिए स्पेशल पार्किंग सुविधाएं भी उपलब्ध कराई जाती हैं। उनके वाहनों के लिए पार्किंग स्थलों को आरक्षित कर दिया जाता है, जिससे आम लोगों को पार्किंग की समस्या का सामना करना पड़ता है।
सार्वजनिक संस्थानों में वीआईपी लोगों को विशेष तरजीह दी जाती है, जिससे आम नागरिकों को उचित सेवा प्राप्त करने में कठिनाई होती है। ट्रैफिक पुलिस वीआईपी काफिलों को प्राथमिकता देती है, जिससे आम जनता को ट्रैफिक नियमों के सख्त अनुपालन के बावजूद असुविधा का सामना करना पड़ता है। वीआईपी काफिलों के लिए ट्रैफिक को रोका जाता है और उन्हें पहले जाने दिया जाता है। आम जनता अक्सर वीआईपी कल्चर के कारण असुविधा और असंतोष महसूस करती है। उन्हें लगता है कि वीआईपी व्यक्तियों के विशेषाधिकार उनके अधिकारों का हनन करते हैं और उन्हें अपने ही देश में दूसरे दर्जे का नागरिक बना देते हैं।
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यातायात पुलिस वीआईपी कल्चर पर संज्ञान ले रही है क्योंकि इसके पीछे कई समस्याएं हैं। हालांकि सरकार ने वीआईपी कल्चर को कम करने के लिए कई कदम उठाए हैं, जैसे लाल बत्ती पर प्रतिबंध और वीआईपी सुरक्षा को सीमित करना, लेकिन इसका प्रभाव अभी पूरी तरह से नहीं देखा गया है। आम जनता को अभी भी कई जगहों पर वीआईपी कल्चर का सामना करना पड़ता है।
कुछ लोग अवैध रूप से सायरन और बीकन लाइट का इस्तेमाल करते हैं, जिससे ट्रैफिक में बेकार में रुकावट होती है और लोगों को परेशानी होती है।
वीआईपी वाहनों की अवैध पार्किंग और ट्रैफिक नियमों की अवहेलना आम है, जिससे ट्रैफिक जाम और दुर्घटनाएं होती हैं।
वीआईपी सुरक्षा कर्मियों द्वारा अक्सर यातायात नियमों और संकेतों की अवहेलना की जाती है, जिससे ट्रैफिक में बेकार में बाधाएं उत्पन्न होती हैं।
कुछ मामलों में, वीआईपी सुरक्षा कर्मी आम नागरिकों को उत्पीड़ित करते हैं और उन्हें उचित तरीके से रास्ता नहीं देने पर धमकाते हैं।
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समानता को बढ़ावा देने और यातायात नियमों को लागू करने के लिए, पुलिस वीआईपी कल्चर के उल्लंघन पर नकेल कस रही है, यह सुनिश्चित करते हुए कि हर कोई समान यातायात नियमों का पालन करे, चाहे उसकी सिचुएशन या पद कुछ भी हो। उदाहरण के लिए सुप्रीम कोर्ट ने लाल बत्ती के उपयोग पर प्रतिबंध लगाकर एक बड़ा कदम उठाया। यातायात पुलिस वीआईपी काफिलों और सुरक्षा वाहनों के लिए भी सख्त नियम लागू कर रही है। पुलिस आम नागरिकों की सुरक्षा और सुविधा को प्राथमिकता दे रही है, जिससे वीआईपी कल्चर का प्रभाव कम हो रहा है।
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