आज के समय में परवरिश की परिभाषा बदल गई है। अब बच्चों को डांटा कम जाता है और उन्हें प्यार ज्यादा किया जाता है। वहीं उनकी हर फरमाइशें भी पूरी की जाती हैं। ऐसे में कब प्यार में पैंपरिंग बढ़ जाती है, उन्हें पता ही नहीं चलता। प्यार में ज्यादा पैंपरिंग होने से बच्चों के भविष्य पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। ऐसे में माता-पिता को पता होना चाहिए कि वे कहीं प्यार में ज्यादा पैंपरिंग तो नहीं कर रहे हैं। इस लेख के माध्यम से जानेंगे कि बच्चों को ज्यादा पैंपरिंग करने से क्या होता है और पैपरिंग की लिमिट क्या है? जानते हैं कोच और हीलर, लाइफ अल्केमिस्ट, साइकोथेरेपिस्ट डॉ. चांदनी तुगनैत (Dr. Chandni Tugnait) से...
बता दें कि जब बच्चों को ओवर पैंपरिंग किया जाता है तो इसके कारण बच्चों की पर्सनैलिटी ओवर डिमांडिंग हो जाती है और उसका रूड बिहेवियर माता पिता को परेशान करने लगता है।
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इससे अलग ऐसे बच्चों को कभी भी ना सुनने की आदत की नहीं होती है। वहीं अगर किसी रिलेशिनशिप में या ऑफिस में No शब्द को या रिजेक्शन को नहीं सुन पाते हैं और डिप्रेशन के शिकार हो जाते हैं।
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