हिंदू धर्म में एकादशी का विशेष महत्त्व है। पुराणों में भी इस व्रत का माहात्म्य विशेष रूप से मनाया जाता है। एकादशी एक महीने में दो बार होती है एक कृष्ण पक्ष में और दूसरी शुक्ल पक्ष में। पूरे साल में 24 एकादशी होती हैं। इन सभी एकादशियों में से विजया एकादशी का अलग ही महत्त्व है। अपने नाम के अनुसार विजय प्रादन करने वाली ये एकादशी फाल्गुन मास में होती है। कहा जाता है इस एकादशी का व्रत रखने से बड़ी से बड़ी मुसीबत और शत्रुओं से छुटकारा मिलता है।
इस साल विजया एकादशी 9 मार्च 2021 को मनाई जाएगी। आइए जाने माने ज्योतिर्विद पं रमेश भोजराज द्विवेदी जी से जानें क्या है इस दिन की पूजा का शुभ मुहूर्त और महत्त्व।
कब है विजया एकादशी
विजया एकादशी व्रत फाल्गुन कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को रखा जाता है। इस दिन व्रत धारण करने से व्यक्ति की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं व जीवन के हर क्षेत्र में विजय प्राप्त होती है। यह एकादशी व्रत हर क्षेत्र में विजय दिलाता है। इस साल यह एकादशी व्रत 9 मार्च, मंगलवार को मनाया जाएगा। इस दिन शुभ मुहूर्त में पूजा करना विशेष फलदायी होता है। किसी भी एकादशी में भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा करना विशेष फलदायी होता है। विजया एकादशी में भी विष्णु पूजन विशेष महत्त्व रखता है।
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पूजा का शुभ मुहूर्त
- एकादशी तिथि आरंभ- 08 मार्च 2021 दिन सोमवार दोपहर 03 बजकर 44 मिनट से
- एकादशी तिथि समाप्त- 09 मार्च 2021 दिन मंगलवार दोपहर 03 बजकर 02 मिनट पर
- विजया एकादशी व्रत पारण मुहूर्त- 10 मार्च को सुबह 06:37:14 से 08:59:03 तक।
- चूंकि उदया तिथि में एकादशी तिथि 9 मार्च को है इसलिए इसी दिन एकादशी मनाना शुभ है।
विजया एकादशी का महत्व
कहा जाता है कि विजया एकादशी का व्रत करने से व्रत रखने वाले की समस्त मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं और सभी कष्टों से मुक्ति मिलती है। यह व्रत सभी के लिए किसी भी परेशानी से छुटकारा दिलाने के लिए विशेष फलदायी होता है और शुभ मुहूर्त में व्रत एवं विष्णु भगवान का माता लक्ष्मी समेत पूजन करने से निश्चित ही विजय प्राप्त होती है।
कैसे करें पूजन
- प्रातः जल्दी उठकर सर्वप्रथम स्नान करके साफ़ वस्त्र धारण करें।
- व्रत का संकल्प करें और फिर विष्णु जी की आराधना करें।
- भगवान विष्ण़ु को पीले फूल अर्पित करें।
- घी में हल्दी मिलाकर भगवान विष्ण़ु के सामने दीपक प्रज्ज्वलित करें।
- एकादशी की शाम तुलसी के पौधे के सामने दीपक जलाएं। लेकिन इस दिन तुलसी में जल न अर्पित करें।
- भगवान् विष्णु का माता लक्ष्मी समेत श्रद्धा भाव से पूजन करें और भोग अर्पित करें।
- द्वादशी तिथि के दिन व्रत का पारण करें।
- इस दिन जो लोग व्रत का पालन करते हैं उन्हें फलाहर ही ग्रहण करना चाहिए।
इस प्रकार विजया एकादशी में व्रत करना एवं विष्णु जी का पूजन करना सभी पापों से मुक्ति दिलाकर हर एक क्षेत्र में विजय भी दिलाता है।
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Image Credit: pintrest and freepik
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