हिन्दू धर्म में फुलेरा दूज का व्रत बेहद महत्वपूर्ण और सौभाग्यशाली माना जाता है। पंचांग के हिसाब से यह व्रत फाल्गुन महीने के शुक्ल पक्ष के दूसरे दिन मनाया जाता है। यह पर्व भगवान कृष्ण और राधा रानी के प्रेम को समर्पित है। ब्रज क्षेत्र में इस दिन का विशेष महत्व है, जहां इसे बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है। इस दिन श्री कृष्ण और श्री राधा फूलों की होली खेलते हैं, जो वसंत के आगमन का प्रतीक है। फुलेरा दूज को अबूझ मुहूर्त माना जाता है, जिसका अर्थ है कि इस दिन कोई भी शुभ कार्य बिना किसी मुहूर्त के किया जा सकता है। यह त्योहार प्रेम, आनंद और उत्सव का प्रतीक है। अब ऐसे में इस साल फुलेरा दूज का पर्व कब मनाया जाएगा और श्री राधा-कृष्ण की पूजा का शुभ मुहूर्त और महत्व क्या है। इसके बारे में इस लेख में ज्योतिषाचार्य पंडित अरविंद त्रिपाठी से जानते हैं।
यह पर्व हिंदू पंचांग के अनुसार फाल्गुन महीने के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को मनाया जाता है। यह पर्व भगवान कृष्ण और राधा रानी को समर्पित है। द्वितीया तिथि 1 मार्च, शनिवार को सुबह 3:16 बजे से शुरू होगी। यह तिथि 2 मार्च रविवार के दिन देर रात 12 बजकर 09 मिनट पर समाप्त होगा। इसलिए उदया तिथि के अनुसार, फुलेरा दूज 1 मार्च शनिवार के दिन मनाया जाएगा।
फुलेरा दूज के दिन श्रीराधा और भगवान श्रीकृष्ण की पूजा के लिए शुभ मुहूर्त के बारे में यहां जान लें।
फाल्गुन महीने के शुक्ल पक्ष की दूसरी तिथि पर कई शुभ संयोग बन रहे हैं। इनमें शुभ योग, साध्य योग, त्रिपुष्कर योग और शिववास योग शामिल हैं। इन शुभ समयों में भगवान कृष्ण और राधा रानी की पूजा करने से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। इसके साथ ही सुख-समृद्धि में भी वृद्धि होती है। इसके अलावा, घर में सुख-शांति बनी रहती है।
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फुलेरा दूज का पर्व हिंदू धर्म में विशेष महत्व रखता है। यह पर्व राधा-कृष्ण के प्रेम का प्रतीक है और इसे वसंत पंचमी और होली के बीच मनाया जाता है। इस दिन राधा-कृष्ण की पूजा करने का विशेष महत्व है। यह पर्व राधा-कृष्ण के दिव्य प्रेम को समर्पित है। इस दिन उनकी पूजा करने से प्रेम और सद्भाव में वृद्धि होती है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन राधा-कृष्ण की पूजा करने से वैवाहिक जीवन में प्रेम और खुशहाली आती है।
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Image Credit- HerZindagi
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