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निमिषा प्रिया नहीं बल्कि यह थी वो पहली भारतीय महिला जिसे दी गई थी फांसी, क्‍या आप जानना चाहेंगी उसका नाम और अपराध?

निमिषा प्रिया केस ने फिर से उठाए हैं सवाल, क्‍या भारत में किसी महिला को दी गई है फांसी? जानिए कौन थी वो पहली भारतीय महिला जिसे मिली थी फांसी की सज़ा और क्‍या था उसका अपराध।
Editorial
Updated:- 2025-07-15, 20:26 IST

बीते दो दिनों से निमिषा प्रिया का नाम सुर्खियों पर छाया हुआ है। यह भारतीय मूल की वो महिला है, जिसे यमन में फंसी दी जानी थी, मगर अब इस प्रक्रिया को टाल दिया गया है। निमिषा यमन में नर्स का काम करती थी और उस पर एक यमनी नागरिक की हत्‍या का आरोप था, जिसके तहत उसे फंसी की सजा सुनाई गई थी। हालांकि, भारतीय अधिकारियों के हस्‍तक्षेप से इस फंसी का टाल दिया गया है। मगर निमिषा के केस ने लोगों के मन में एक प्रश्‍न उठा दिया है? अचानक से गूगल सर्च पर 'who was the first indian woman to be hanged?'की-वर्ड को सर्च किया जाने लगा है। इसलिए हमने भी यह करके देखा और जवाब आया 'रतन बाई जैन'। जी हां, रतन बाई जैन भारत की पहली महिला थी, जिसे आजाद भारत में सूली पर चढ़ाया गया था। चलिए इस लेख में आगे पढ़ते हैं कि आखिर रतन बाई जैन कौन थी? उसका अपराध क्‍या था? और भारत में फंसी को लेकर क्‍या कानून है? हमारे इन सभी प्रश्‍नों के उत्‍तर दे रहे हैं सुप्रीम कोर्ट के वरिष्‍ठ एडवोकेट अश्‍वनि दुबे। वह कहते हैं, 'भारत में महिला हो या पुरुष फांसी को लेकर दोनों के लिए एक सा कानून है। हां, भारत में केवल रेयर ऑफ रेयर केस में ही फंसी की सजा सुनाई जाती है और फिर सजा सुनाने के बाद भी बहुत सारे कानूनी दांव-पेंच होते हैं, जो मुजरिम को सजा-ए-मौत से बचा सकते हैं।' तो चलिए जानते हैं इस बारे में विस्‍तार से-

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कौन थी रतन बाई जैन ?

  • निमिषा प्रिया के केस ने एक बार फिर से 70 साल पुरानी उस सुबह की याद दिला दी, जब किसी के लिए जीवन का सूरज हमेशा के लिए डूबने वाला था और वो थी रतन बाई जैन।
  • सन् 1955 जनवरी 3, को रतन को दिल्‍ली की तिहाड़ जेल में सूली पर चढ़ा दिया गया था। भारतीय इतिहास में अब तक दी गई फंसियों में यह पहली फंसी थी, जो किसी महिला को दी गई थी। इसके बाद से आज तक किसी भी महिला को भारत में फंसी नहीं दी गई है।
  • रतन बाई दिल्‍ली में रहने वाली एक आम महिला ही थी। एक फैमिली प्‍लानिंग क्‍लीनिक में काम करती थी और मैनेजर के पद पर थी।
  • मात्र 35 वर्ष आयु में सूली पर चढ़ा दी गई इस महिला का अपराधा था कि उसने 3 लड़कियों का मर्डर किया था। उस शक था कि उन 3 लड़कियों का उसके पति से अफेयर चल रहा है।
  • लड़कियों को अपने रास्‍ते से हटाने के लिए रतन ने उन्‍हें एक ड्रिंक में जहर मिलाकर दे दिया था, जिससे उनकी मौत हो गई।

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सीमा गविताऔर रेणुका शिंदे

भारत में अब तक कितनी महिलाओं को सुनाई जा चुकी है फंसी की सजा?

मिनिस्‍ट्री ऑफ होम अफेयर्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक 31 दिसंबर 2022 से अब तक भारतीय जेल में 544 ऐसे कैदी हैं, जिन्‍हें सजा-ए-मौत दी जा चुकी है। NCRB's Prison Statistics Reports भी यही आंकड़े दर्शाती है। वहीं इनमें से 15 से 20 महिला कैदियों की संख्‍या है, जिन्‍हें फंसी की सजा सुनाई गई है।

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अश्‍वनी जी कहते हैं, "ऐसा नहीं है कि महिलाओं और पुरुषों के लिए फंसी की सजा का अलग-अलग नियम कानून हैं। ऐसा भी नहीं है कि रतना बाई जैन के बाद से किसी महिला को भारत में फंसी की सजा न सुनाई गई हो, मगर ज्‍यादातर केसों में फांसी की सजा पाने वाली महिलाओं को मर्सी मिल गई और सजा-ए-मौत ताउम्र कारावास में बदल गई। " सीमा गविता, रेणुका शिंदे और शबनम का केस ऐसा ही है। इन सभी को फंसी की सजा मिलने के कई वर्षों बाद राहत मिली और सजा उम्रकैद में बदल गई। कई केस तो आज भी पेंडिंग हैं।

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कब होती है फांसी की सजा?

फंसी की सजा कोर्ट द्वारा तब सुनाई जाती है, जब जुर्म संवेदनशीलता की सारी हदें पार कर चुका हो। फंसी की सजा मिलने के बाद अपराधी को कई स्‍तर पर मौके दिए जाते हैं कि वो अपने लिए दया की अपील करें। अश्‍वनि जी बताते हैं, " सुप्रीम कोर्ट द्वारा दी गई फांसी की सजा को माफ करने के लिए अपराधी राष्‍ट्रपति से अपील कर सकता है। यदि अपील खारिज हो जाए, तो गर्वनर ऑफ इंडिया से भी अपील की जाती है। अपील करने का यह आखिरी दरवाजा है, जो अपाराधी खटखटा सकता है। इसके बाद ट्रायल कोर्ट पर निर्भर करता है अपराधी को मौका दिया जाना है या नहीं। इन सबके अलावा एनजीओ और अन्‍य समाजिक संगठनों द्वारा भी अपराधी की सजा को माफ करने या टालने की अपील की जा सकती है, जिसके आधार पर सजा-ए-मौत की जगह उम्रकैद की सजा हो सकती है।"

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