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Nav Grah Mantra: नव ग्रह मंत्रों का है गहरा महत्व, जाप से मिलते हैं ये लाभ

आज हम आपको नव ग्रह मंत्रों के महत्व के बारे में बताने जा रहे हैं जिनके जाप से आपको अनगिनत लाभ मिलेंगे और ग्रहों की कृपा बरसेगी।     
Editorial
Updated:- 2023-02-28, 15:25 IST

Nav Grah Mantra Ka Mahatva Aur Labh: ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, ब्रह्मांड में 9 ग्रह हैं जो व्यक्ति की कुंडली और उसके जीवन में विद्यमान होकर अपने अच्छे-बुरे प्रभाव दर्शाते हैं। इन नव ग्रहों का असर विवाह, करियर, स्वास्थ्य, वित्त आदि सभी पर देखने को मिलता है। ग्रहों का शुभ या अशुभ होना उनकी दिशा एवं दशा के ऊपर निर्भर करता है।

ज्योतिष एक्सपर्ट डॉ राधाकांत वत्स का मानना है कि नव ग्रहों के अशुभ परिणामों को शुभ में बदलने के लिए ही नव ग्रह पूजा की जाती है ताकि ग्रहों का आशीर्वाद मिल सके। हालांकि जो लोग नव ग्रह की पूजा किसी भी कारण से नहीं कर पाते हैं उनके लिए सरल माग है नव ग्रह मंत्रों का जाप। आइये जानते हैं नव ग्रह मंत्रों के महत्व और लाभ के बारे में।

नव ग्रह शांति मंत्र (Nav Grah Mantra)

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  • सूर्य मंत्र: ॐ ह्रां ह्रीं ह्रौं स: सूर्याय नम:।
  • चंद्र मंत्र: ओम श्रां श्रीं श्रौं सः सोमाय नमः ।
  • मंगल मंत्र: ओम क्रां क्रीं क्रौं स: भौमाय नम: ।
  • बुध मंत्र: ओम ब्रां ब्रीं ब्रौं सः बुधाय नमः ।
  • गुरु (गुरुवार के उपाय) मंत्र: ॐ ग्रां ग्रीं ग्रौं सः गुरुवे नमः।
  • शुक्र मंत्र: ओम द्रां द्रीं द्रौम सः शुक्राय नमः ।
  • शनि मंत्र: ओम प्रां प्रीं प्रोम सह शनै नमः ।
  • राहु मंत्र: ॐ भ्रां भ्रीं भ्रौं सः राहवे नमः।
  • केतु मंत्र: ॐ स्रां स्रीं स्रौं सः केतवे नमः।

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नवग्रह शांति गायत्री मंत्र (Nav Grah Gayatri Mantra)

  • सूर्य गायत्री मंत्र: ॐ भास्कराय विद्मिहे महातेजाय धीमहि। तन्नो: सूर्य: प्रचोदयात।।
  • चंद्र गायत्री मंत्र: ॐ क्षीरपुत्राय विद्मिहे मृतात्वाय धीमहि। तन्नम्चंद्र: प्रचोदयात।।
  • भौमा गायत्री मंत्र: ॐ अंगारकाय विद्मिहे वाणेशाय धीमहि। तन्नो: भौम प्रचोदयात।।
  • बुध गायत्री मंत्र: ॐ सौम्यरुपाय विद्मिहे वाणेशाय धीमहि। तन्नो: बुध: प्रचोदयात।।
  • बृहस्पति गायत्री मंत्र: ॐ गुरुदेवाय विद्मिहे वाणेशाय धीमहि। तन्नो: गुरु: प्रचोदयात।।
  • शुक्र गायत्री मंत्र: ॐ भृगुसुताय विद्मिहे दिव्यदेहाय धीमहि। तन्नो: शुक्र: प्रचोदयात।।
  • शनि गायत्री मंत्र: ॐ शिरोरुपाय विद्मिहे मृत्युरुपाय धीमहि। तन्नो: सौरि: प्रचोदयात।।
  • राहु गायत्री मंत्र: ॐ शिरोरुपाय विद्मिहे अमृतेशाय धीमहि। तन्नो: राहु: प्रचोदयात।।
  • केतु गायत्री मंत्र: ॐ गदाहस्ताय विद्मिहे अमृतेशाय धीमहि। तन्नो: केतु: प्रचोदयात।।

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नवग्रह मंत्र का महत्व

  • नव ग्रह मंत्र को ग्रहों पर नियंत्रण रखने वाला बताया गया है।
  • मान्यता है कि नव ग्रह मंत्र का जाप करने से शुभ ग्रह मजबूत होते हैं।
  • नव ग्रह (नव ग्रह आरती) मंत्र का जाप करने से पाप ग्रह कमजोर पड़ जाते हैं।
  • नव ग्रह मंत्र का जाप शास्त्रों में भी पुण्यकारी और महाफलदायक बताया गया है।

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नवग्रह मंत्र के लाभ

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  • नव ग्रह मंत्र के जाप से जीवन की हर बाधा दूर हो जाती है।
  • नव ग्रह मंत्र के जाप से ग्रह दोष का दुष्प्रभाव दूर होता है।
  • नव ग्रह मंत्र के जाप से जीवन के संघर्षों में कमी और खुशियों में बढ़ोतरी होती है।
  • नव ग्रह मंत्र के जाप से घर में सुख, समृद्धि, संपन्नता और स्वास्थ्य का वास बना रहता है।
  • नव ग्रह मंत्र के जाप से वास्तु दोष भी दूर होता है।

तो ये है नव ग्रह मंत्र का महत्व और लाभ। अगर आपको यह स्टोरी अच्छी लगी हो तो इसे फेसबुक पर जरूर शेयर करें और इसी तरह के अन्य लेख पढ़ने के लिए जुड़ी रहें आपकी अपनी वेबसाइट हरजिन्दगी के साथ। आपका इस बारे में क्या ख्याल है? हमें कमेंट बॉक्स में जरूर बताएं।

Image Credit: Wikipedia, Social Media

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