Nav Grah: हिन्दू धर्म शास्त्रों में नव ग्रहों का वर्णन मिलता है जिन्हें अत्यंत महत्वपूर्ण बताया गया है। नव ग्रहों की दिशा और दशा व्यक्ति से जुड़ी होती है और उसके जीवन पर अच्छे-बुरे दोनों प्रभाव डालती है। नव ग्रह उत्तम स्थान पर हों तो व्यक्ति को अपार धन का स्वामी बना सकते हैं और अगर निम्न स्थान पर हों तो व्यक्ति अपने जीवन की सारी जमापूंजी एक पल में खो बैठता है।
नव ग्रहों के प्रभाव के कारण ही बनते काम बिगड़ जाते हैं और बिगड़े काम संवर जाते हैं। ऐसे में नव ग्रहों की कृपा प्राप्त करने या उनका आशीर्वाद बनाए रखने के लिए ज्योतिष में बड़ा ही सरल उपाय बताया गया है। हमारे ज्योतिष एक्सपर्ट डॉ राधाकांत वत्स का कहना है कि नव ग्रहों को अत्यधिक प्रसन्नता आरती सुनने से होती है। इसलिए नव ग्रहों की आरती करनी चाहिए। इससे उनकी कृपा व्यक्ति पर हमेशा बनी रहती है।
हालांकि नवग्रह की आरती के कुछ नियम और अन्य लाभ भी हैं जो आज हम आपको इस लेख के जरिये बताने जा रहे हैं। आपको बीएस करना ये है कि नव ग्रह की आरती के नियमों का पालन करते हुए ही आरती करें।
नव ग्रह आरती (Nav Grah Aarti)
नवग्रह हैं देव हमारे, मिलकर आये हैं सारे ।
जिनकी करें हैं हम आरती ।
भानुजी, हम सब उतारें तेरी आरती ॥
मण्डल मध्य सूर्यदेव (सूर्यदेव के मंत्र) हैं, रक्त वर्ण है जिनका ।
सबको दे प्रकाश हरें अन्धकार सभी जन-जन का ।
महिमा है इनकी न्यारी, सारे जग के रखवारी ।
जिनकी करें हैं हम आरती ।
भानुजी, हम सब उतारें तेरी आरती ॥
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पूर्व दिशा में शुक्र देव हैं सुन्दर रूप विराजे ।
ईशान कोण और अग्नि कोण में बुध चन्द्रमा साजे ॥
जो इनकी पूजा करता, लक्ष्मी से पूरा भरता ॥
जिनकी करें हैं हम आरती ।
भानुजी, हम सब उतारें तेरी आरती ॥
उत्तर दिशा में बृहस्पति जो देव गुरु कहलाये ।
दक्षिण दिशा में भूमिपुत्र श्री भौम रूप धर आये ।
महिमा है इनकी न्यारी, झोली नित भरें हमारी ।
जिनकी करें हैं हम आरती ।
भानुजी , हम सब उतारें तेरी आरती ॥
पश्चिम दिशा में तीन देव हैं, शक्ति जिनकी भारी ।
राहु , केतु और शनिदेव (शनिदेव को क्यों चढ़ाया जाता है सरसों का तेल) नित रक्षा करें हमारी ॥
मूरति है जिनकी काली, सारे जग के यह वाली ।
जिनकी करें हैं हम आरती ।
भानुजी, हम सब उतारें तेरी आरती ॥
अधिदेव, प्रत्याधिदेव, दिग्पाल देव सब साजें ।
'ओंकार' ब्रह्मा विष्णु शिव मण्डल बीच विराजे ॥
सृष्टि के जीवन दाता, जन-जन के भाग्य विधाता ॥
जिनकी करें हैं हम आरती ।
भानुजी, हम सब उतारें तेरी आरती ॥
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नव ग्रह आरती के नियम (Nav Grah Aarti Niyam)
- नव ग्रहों की आरती अन्य देवी-देवताओं की आरती से भिन्न होती है।
- नव ग्रह आरती सुबह के समय ही करनी चाहिए।
- नव ग्रह आरती करते समय सूर्य की तरफ मुख होना चाहिए।
- नव ग्रह आरती मंदिर के सामने बैठ कर नहीं की जाती है।
- नव ग्रह आरती करने के बाद सूर्य के मंत्रों का जाप करना चाहिए।
- माना जाता है कि सूर्य पूजन से अन्य ग्रह भी उत्तम स्थिति में बने रहते हैं।

नव ग्रह आरती के लाभ (Nav Grah Aarti Benefits)
- नव ग्रह आरती करने से एक साथ सभी ग्रहों की पूजा हो जाती है।
- नव ग्रह आरती करने से व्यक्ति को ग्रह दोष से मुक्ति मिलती है।
- नव ग्रह आरती करने से व्यक्ति को हर ग्रह से जुड़े अंग के रोग के छुटकारा मिल जाता है।
- नव ग्रह आरती करने से विवाह, मकान, दुकान, नौकरी आदि चीजों में आ रही अड़चनें दूर हो जाती हैं।
तो ये थी नव ग्रह की आरती और उससे मिलने वाले लाभों की जानकारी। अगर आपको यह स्टोरी अच्छी लगी हो तो इसे फेसबुक पर जरूर शेयर करें और इसी तरह के अन्य लेख पढ़ने के लिए जुड़ी रहें आपकी अपनी वेबसाइट हरजिन्दगी के साथ। आपका इस बारे में क्या ख्याल है? हमें कमेंट बॉक्स में जरूर बताएं।
Image Credit: Shutterstock, Pexels
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