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क्यों माता सती ने ली भगवान राम की परीक्षा?

पौराणिक कथा कहती है कि एक बार माता सती ने श्री राम की परीक्षा ली थी और परीक्षा के बाद माता सती के साथ जो कुछ हुआ वह बहुत पीड़ादायक था। 
Editorial
Updated:- 2025-01-06, 14:52 IST

हिन्दू धार्मिक ग्रंथों में कई ऐसी घटनाओं का उल्लेख मिलता है जिनके बारे में जानना बेहद रोचक हो सकता है, जैसे कि श्री राम और माता सती की कथा। पौराणिक कथा कहती है कि एक बार माता सती ने श्री राम की परीक्षा ली थी और परीक्षा के बाद माता सती के साथ जो कुछ हुआ वह बहुत पीड़ादायक था। जब हमने इस किस्से के बारे में हमारे एक्सपर्ट ज्योतिषाचार्य राधाकांत वत्स से पूछा तो उन्होंने हमें इस बारे में विस्तार से बताया।

क्या है माता सती और श्री राम की कथा?

जब माता सती का भगवान शिव से विवाह हुआ था तब माता सती ने महादेव से पूछा कि वह किसका ध्यान करते हैं और हर समय किसके विचारों में लीन रहते हैं, तब भगवान शिव ने माता सती को बताया कि भगवान विष्णु के सातवें अवतार श्री राम पृथ्वी पर जन्में हैं और वह उन्हीं की लीलाओं में लीन रहते हैं।

mata sati aur shri ram ki katha

आता सती की जिज्ञासा बढ़ी तो उन्होंने भगवान शिव से श्री राम की कथा सुनाने के निवेदन किया। इसके बाद भगवान शिव ने श्री राम के जन्म से लेकर उनके मौजूदा रूप से चल रहे वनवास तक की कथा माता सती को सुनाई। कथा सुनने के बाद माता सती श्री राम की लीला को लेकर असमंजस में पड़ गईं।

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असल में भगवान शिव ने जिस प्रकार से आता सती को कथा सुनाई उस प्रकार से श्री राम भगवान विष्णु के अवतार थे लेकिन माता सती के मन में यह संशय था कि अगर श्री राम भगवान हैं तो उन्हें इतने कष्ट सहने की क्या आवश्यकता है और माता सीता के वियोग में मनुष्य भांति रोने की क्या जरूरत पड़ गई।

mata sati aur shri ram ki kahani

इसी संशय ने माता सती को विवश कर दिया कि वह श्री राम की परीक्षा लें। जब भगवान राम भाई लक्ष्मण के साथ समुद्र तट के किनारे भगवान शिव की पूजा का आयोजन कर रहे थे तब माता सती आता सीता का वेश धारण कर उनके सामने पहुंची, लेकिन श्री राम उन्हें पहचान गए और उनके चरण स्पर्श किये।

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यह देख माता सती को विश्वास हो गया कि श्री राम भगवान हैं और श्री हरि नारायण के अवतार भी, लेकिन माता सती का श्री राम की परीक्षा लेना उन्हें बहुत भारी पड़ गया, चूंकि माता सीता को भगवान शिव माता मानते थे ऐसे में सती द्वारा माता सीता का रूप धारण करने से वह शिव वामांगी नहीं रही थीं।

mata sati aur shri ram ki pariksha ki kahani

भगवान शिव ने माता सती को यह समझाया कि माता सीता का स्थान लेने से वह अब महादेव की पत्नी का स्थान धारण नहीं कर सकती हैं। इसके बाद माता सती ने एक लंबे समय काल तक भगवान शिव की आराधना कर उनकी पत्नी का स्थान पुनः प्राप्त किया था।

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