Hindu Beliefs: कितना सही है पूजा के बीच में पानी पीना?

पूजा-पाठ से जुड़े कई नियम शास्त्रों में बताए गए हैं लेकिन पूजा के बीच में पानी पीना कितना सही है या गलत इस बात की जानकारी बहुत कम लोगों को होती है। आइये जानते हैं इस विषय में विस्तार से।    

drink water in between puja right or wrong

Puja Ke Beech Mein Pani Pina Sahi Ya Galat: पूजा-पाठ सभी के घर में होता है। ऐसे में शास्त्रों में पूजा-पाठ से जुड़े कुछ नियम बताये गए हैं। इसी कड़ी में आज हम ज्योतिष एक्सपर्ट डॉ राधाकांत वत्स से जानेंगे कि पूजा करते के बीच प्यास लगने पर पानी पीना सही है या गलत और क्या है इसके पीछे का तर्क।

हिन्दू धर्म ग्रंथों में पूजा-पाठ के दौरान बरती जाने वाली सावधानियों के बारे में विस्तार से बताया गया है। इन्हीं से एक है पूजा करते समय बीच में प्यास लगने पर पानी पीने से जुड़ी सावधानी या यूं कहें कि नियम। इस विषय में न सिर्फ धार्मिक बल्कि ज्योतिषीय तर्क भी मौजूद हैं।

पूजा के बीच में पानी पीने से जुड़ा धार्मिक तर्क

worship rules in hinduism

  • शास्त्रों में इस बात का वर्णन मिलता है कि जब हम पूजा करते हैं जैसे कि मंत्रों का जाप करते हैं, श्लोक का पाठ करते हैं, आरती (आरती करने के नियम) गाते हैं, माला करते हैं नित्य पूजा करते हैं या विशेष अहवान एवं अनुष्ठान करते हैं, उस समय हमारा शरीर एक दिव्य ऊर्जा से बंध जाता है।
  • माना जाता है कि उस समय अगर हम जल का स्पर्श भी करते हैं तो उस ऊर्जा का संचार बीच में टूट जाता है और पूजा की शुद्धि भंग होती है। इसलिए धर्म शास्त्रों में पूजा के बीच में पानी पानी के लिए मना किया जाता है ताकि पूजा की पवित्रता पूर्णतः बनी रहे।

पूजा के बीच में पानी पीने से जुड़ा ज्योतिष तर्क

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  • ज्योतिष शास्त्र कहता है कि जब हम पूजा के दौरान प्यास लगने पर पानी पीते हैं तो इससे हमारे ग्रह कमजोर होते हैं। पूजा के बीच में जल का स्पर्श चंद्र ग्रह (चंद्रमा को मजबूत करने के उपाय) को कमजोर करता है और पूजा स्थल की पवित्रता भंग होना राहु के दुष्प्रभाव को बढ़ाता है।
  • साथ ही, पूजा के दौरान बोले जाने वाले मंत्रों का बीच में रुक जाना मंत्र दोष उत्पन्न है जिससे पूजा का पूर्ण फल प्राप्त नहीं होता है। हालांकि ग्रंथों में ऐसा वर्णित है कि अगर मंत्रों का जाप करते हुए गला सूख रहा है तो पानी पीना गलत नहीं है।
  • पानी पीने के तरीके का भी वर्णन है। अगर पूजा के बीच में प्यास लगे तो उसके लिये एक अलग जल का पात्र रखें और उस पात्र से मात्र एक या दो घूंठ ही पानी पिए। पानी पीने के बाद उस पात्र को दूर रख दें और पुनः आचमन से शुद्धि कर पूजा शुरू करें।

तो ये थे पूजा के बीच में पानी पीने से जुड़े कुछ धार्मिक तर्क। अगर हमारी स्टोरीज से जुड़े आपके कुछ सवाल हैं, तो वो आप हमें आर्टिकल के नीचे दिए कमेंट बॉक्स में बताएं। हम आप तक सही जानकारी पहुंचाने का प्रयास करते रहेंगे। अगर आपको ये स्टोरी अच्छी लगी है, तो इसे शेयर जरूर करें। ऐसी ही अन्य स्टोरी पढ़ने के लिए जुड़ी रहें हरजिंदगी से।

Image Credit: shutterstock

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