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Hindu Beliefs: दान और पुण्य का है अलग-अलग महत्व, जानें इनके बीच का अंतर

हिन्दू धर्म में दान-पुण्य का बहुत महत्व है लेकिन क्या आप जानते हैं दान और पुण्य के बीच का अंतर।   
Editorial
Updated:- 2022-12-01, 16:38 IST

Hindu Beliefs: हिन्दू धर्म में दान-पुण्य का बहुत अधिक महत्व है। माना जाता है कि दान-पुण्य करने से व्यक्ति की सभी समस्याओं का अंत हो जाता है। उसके सभी पाप मिट जाते हैं और उसे भगवान के चरणों में स्थान मिलता है लेकिन क्या आप जानते हैं कि दान और पुण्य का क्या अर्थ है।

दान और पुण्य के बीच क्या अंतर है। एक साथ बोले जाने वाले इन शब्दों का अलग-अलग महत्त्व क्या है। अगर नहीं तो आज हम आपको हमारे ज्योतिष एक्सपर्ट डॉ राधाकांत वत्स द्वारा दी गई जानकारी के आधार पर दान और पुण्य में अंतर समझाने जा रहे हैं।

  • दान का अर्थ होता है देना और पुण्य का अर्थ होता है शुभ या पवित्र। दान-पुण्य शब्द भले ही एक साथ बोले जाते हों लेकिन इनका अर्थ और महत्व एक दूसरे से बिलकुल भिन्न है।

daan

  • दान यानी कि जब हम किसी को अपनी स्वेच्छा से और क्षमता अनुसार कुछ देते हैं और पुण्य वो जो दान करके हम पाते हैं।

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  • यानी कि दान एक कर्म है जो मनुष्य द्वारा किया जाता है और पुण्य उस कर्म का फल है जो मनुष्य को प्राप्त होता है।
  • धर्म शास्त्रों के अनुसार, पुण्य भले ही दान से प्राप्त होता हो लेकिन इसका स्थान दान (गुरुवार के दिन न करें इन चीजों का दान) से कही अधिक होता है।
  • ऐसा इसलिए क्योंकि जब कोई व्यकित दान देता है तो वह दानात्मा नहीं बल्कि पुण्यात्मा कहलाता है।
  • इसके अलावा, ऐसा कहा जाता है कि भगवान भी मनुष्य को उसके कर्मों का फल उसके खाते में अर्जित पुण्य के अनुसार ही प्रदान करते हैं।

daan punya

  • जब व्यक्ति का देहांत होता है तो यमराज के यहां भी पुण्य की पूंजी देखी जाती है न कि दान की पूंजी।
  • इसी कारण से हिन्दू धर्म (हिन्दू धर्म की खूबसूरत महिलाएं) ग्रंथों में पुण्य को दान से सर्वश्रेष्ठ बताया गया है।
  • भागवत पुराण के अनुसार, व्यक्ति जीवन में दान भी करता है और पुण्य भी करता है।
  • दान दिखावा भी हो सकता है और हृदय से भी किया जा सकता है। दान गुप्त भी होता है।

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  • वहीं, पुण्य इच्छात्मक रूप से किये जाएं ये जरूरी नहीं, अनजाने में हुए सत्कर्म से भी पुण्य की प्राप्ति हो जाती है।

punya

  • पुण्य परोक्ष होते हैं यानी कि सामने से दिखाई नहीं देते लेकिन पुण्य अर्जन का जो फल मिलता है वो मनुष्य के द्वारा कमाए गए पुण्य का प्रतीक होता है।

तो ये था दान और पुण्य का अर्थ एवं दोनों का अलग अलग महत्व। अगर आपको यह स्टोरी अच्छी लगी हो तो इसे फेसबुक पर जरूर शेयर करें और इसी तरह के अन्य लेख पढ़ने के लिए जुड़ी रहें आपकी अपनी वेबसाइट हरजिन्दगी के साथ। आपका इस बारे में क्या ख्याल है? हमें कमेंट बॉक्स में जरूर बताएं।

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