हिंदू धर्म में भगवान की आरती करने का विशेष महत्व है। कोई भी पूजा बिना आरती के संपन्न नहीं मानी जाती है। पुराणों में बताया गया है कि आरती करने का प्रथम उद्देश्य ईश्वर की आराधना करना होता है। ऐसी मान्यता है कि जब भगवान की आरती की जाती है, तब ईश्वर की सारी शक्ति दीपक की लौ में समा जाती है। ऐसा होने से घर में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवेश होता है। वहीं दूसरी मान्यता के अनुसार भक्त अपने ईश्वर की आरती उनकी नजर उतारने के लिए भी करते हैं। भगवान की आरती कर के भक्त उनके प्रति अपने प्रेम को प्रकट करते हैं।
उज्जैन के पंडित कैलाश नारायण शर्मा कहते हैं, 'आरती, हिंदू धर्म में ईश्वर की उपासना करने की एक विधि है। इसे करने के कुछ नियम-कायदे हैं। अगर आप इन नियम-कायदों को ध्यान में रख कर भगवान की आरती करते हैं तो इसका विशेष फल आपको जरूर मिलता है।'
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भगवान की आरती करते वक्त दीपक को घुमाने के तरीके और संख्या पर विशेष ध्यान रखें। अमूमन लोगों को यह नहीं पता होता है कि आरती की शुरुआत हमेशा भगवान के चरणों से होनी चाहिए। 4 बार आरती को सीधी दिशा में घुमाएं और उसके बाद 2 बार ईश्वर की नाभि की आरती उतारें। इसके बाद भगवान के मुख की 7 बार आरती उतारें।
दिन में कितनी बार करनी चाहिए आरती
मंदिरों में भगवान की आरती 5 बार की जाती है। सबसे पहली आरती ब्रह्म मुहूर्त में भगवान को नींद से जगाने के लिए जाती है। दूसरी बार भगवान को स्नान कराने के बाद उनकी नजर उतारने के लिए आरती की जाती है। दोपहर में जब भगवान विश्राम के लिए जाते हैं, तब भी उनकी आरती की जाती है। शाम को जब भगवान विश्राम करने के बाद उठते हैं, एक बार तब भी आरती की जाती है। आखिरी आरती रात में भगवान को सुलाते वक्त की जाती है। घर पर आप दिनभर में 5 बार आरती न कर सकें तो केवल सुबह और रात में पूरी विधि से भगवान की आरती करके भी फल प्राप्त कर सकते हैं।
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किससे करें आरती
स्कंद पुराण में इस बात का उल्लेख मिलता है कि भगवान की आरती गाय के दूध से बने घी(गाय के दूध से बने घी के फायदे) में डूबी हुई रुई की 5 बत्तियों से की जानी चाहिए। इसे पंच प्रदीप कहा जाता है। इतना ही नहीं आप सरसों के तेल में भीगी मौली से भी बत्ती तैयार कर सकते हैं और इसे आरती में इस्तेमाल कर सकते हैं। इस बात का हमेशा ध्यान रखें कि बत्तियां हमेशा विषम संख्या में 3, 5, 7, 11, 21, 51, 101 या फिर 1001 ही हों। इसके अलावा आप कपूर से भी भगवान की आरती उतार सकते हैं। कपूर से भगवान की आरती करने से घर में मौजूद नकारात्मक ऊर्जा भी नष्ट हो जाती है।
कैसी होनी चाहिए आरती की थाली
भगवान की आरती से पहले आपको आरती की थाली सजा लेनी चाहिए। आरती की थाली तांबे, पीतल या फिर चांदी आदि धातु की होनी चाहिए। बहुत सारे लोग स्टील की प्लेट को ही आरती की थाली बना लेते हैं मगर, ऐसा करना गलत है। अगर आपके पास इनमें से किसी भी धातु की थाली नहीं है तो आप बांस से बनी डलिया का इस्तेमाल करें। भगवान की आरती उतारने के लिए पीतल या चांदी से बना दिया ही इस्तेमाल करें। अगर इन दोनों धातुओं से बना दिया आपके पास नहीं है तो मिट्टी और आटे का बना दिया(दीपक जलाते समय इन बातों का रखें ध्यान) इस्तेमाल करना सही रहता है। इसके साथ ही थाली में गंगा जल, कुमकुम, चावल, चंदन, अगरबत्ती, फूल और भोग चढ़ाने के लिए फल या मीठा जरूर रखें।
आरती के समय रखें इन बातों का ध्यान
आरती करते वक्त आप भगवान के भजन गा सकते हैं या फिर कोई विशेष मंत्र का उच्चारण कर सकते हैं। कोशिश करें कि आप जो भी बोल रहे हैं , उसका उच्चारण सही हो। साथ ही आरती के वक्त किसी और विषय में न सोचें। खासतौर पर मोबाइल फोन की ओर से अपना ध्यान हटा लें और 5 मिनट ही सही मगर एकाग्रता के साथ भगवान की आरती करें।
यदि आप भगवान की आरती करते वक्त इन सभी बातों का ध्यान रखती हैं तो भगवान को प्रसन्न करने में आप सफल हो सकती हैं। धर्म और वास्तु से जुड़ी और भी रोचक टिप्स जानने के लिए पढ़ती रहें HerZindagi।
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