Father's Day 2020: इस वीकएंड अपने पिता के साथ देखिए ये 8 बॉलीवुड फिल्में

अपने पिता के साथ अगर आप इस फादर्स डे थोड़ा क्वालिटी टाइम बिताना चाहते हैं, तो ये फिल्में आपके लिए बेस्ट ऑप्शन साबित हो सकती हैं।

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अगर आपको और आपके पिता को फिल्मों का शौक है तो क्यों न इस फादर्स डे उनके साथ थोड़ा सा वक्त बिताया जाए। 21 जून को हर साल फादर्स डे मनाया जाता है। इस फादर्स डे पर आप अपने पिता के साथ बॉलीवुड की कुछ क्लासिक फिल्में देख सकते हैं। भले ही इस वक्त बाहर जाकर फादर्स डे सेलिब्रेट करना सही आइडिया न लगे, लेकिन क्यों न आप अपने पिता के लिए घर पर ही कुछ अच्छा प्लान करें। वैसे तो माता-पिता के साथ वक्त बिताने के लिए किसी खास दिन की ज़रूरत नहीं होती है, लेकिन फिर भी साल के एक दिन उन्हें बहुत स्पेशल तो फील करवाया जा सकता है। फादर्स डे पर पिता के लिए आप बेहतरीन खाना बनाने से लेकर उनके साथ कोई फिल्म या सीरीज देखने तक सब कुछ कर सकते हैं। तो चलिए हम आपको बताते हैं कि कौन सी फिल्में देखी जा सकती हैं फादर्स डे के दिन।

1. एक लड़की को देखा तो ऐसा लगा

अनिल कपूर और सोनम कपूर की ये फिल्म बहुत ही खास है। इस फिल्म में बहुत ही खास मैसेज दिया गया है। पिता अपनी समलैंगिक बेटी का समर्थन करता है और सारे समाज के सामने उसे स्वीकार करता है। फिल्म में दिखाया गया है कि सोनम कपूर एक सहमी हुई सी लड़की हैं जो अपने घर वालों से अपने समलैंगिक होने की सच्चाई छुपाती हैं। लेकिन उनके भाई को ये बात पता चल जाती है। उनका भाई चाहता है कि सोनम किसी से लड़के से शादी कर लें। फिल्म में राजकुमार राव भी हैं जो एक नाटक के प्रोड्यूसर की भूमिका निभा रहे हैं।

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फिल्म बहुत ही अच्छी तरह से लिखी गई है और एक वर्ग के लोगों को ये बहुत पसंद भी आई है। सोनम कपूर और अनिल कपूर का बॉन्ड इस फिल्म में बखूबी दिखाया गया है।

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2. थप्पड़

जहां बात पिता और बेटी के बॉन्ड की है तो 'थप्पड़' फिल्म भला कैसे पीछे रह सकती है। अमृता का किरदार निभा रहीं तापसी पन्नू जब अपने पति से अलग हो जाती हैं तो उनके पिता का किरदार निभा रहे कुमुद मिश्रा अपनी बेटी का सपोर्ट करते हैं। इतना ही नहीं, वही अकेले होते हैं जो अपनी बेटी का दर्द समझते हैं। फिल्म में दिखाया गया है कि कैसे हर रोज़ जब अमृता के साथ कोई नई घटना होती है तो उसके पिता उसे समझाते हैं और उसका साथ देते हैं।

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3. चाची 420

अगर कोई सीरियस फिल्म देखने का मन नहीं है तो क्यों न क्लासिक फिल्म 'चाची 420' देखी जाए। इस फिल्म में कमल हासन और उनकी बेटी का किरदार निभा रहीं फातिमा सना शेख की बहुत ही बेहतरीन बॉन्डिंग दिखाई गई है। अपनी बेटी के साथ रहने के लिए कमल हासन एक आया के रूप में अपने ससुर के घर जाते हैं। कमल हासन की कॉमेडी और सना शेख की मासूमियत आपको बहुत अच्छी लगेगी।

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4. पा

अमिताभ बच्चन और अभिषेक बच्चन की ये फिल्म बहुत ही खास है। इस फिल्म को बहुत पसंद किया गया था। अमिताभ एक ऐसे बच्चे के किरदार में थे जिसे प्रोगेरिया (progeria) नामक बीमारी थी। वो अपने पिता यानि अभिषेक बच्चन और मां यानि विद्या बालन दोनों को मिलाना चाहता है और जिंदगी के अंतिम पलों में भी वो अपने माता-पिता की खुशियों में उनका साथ देना चाहता है। फिल्म में माता-पिता और बच्चे के एक अनोखे बॉन्ड को दिखाया गया है।

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5. पीकू

पिता और बेटी के रिश्ते की मासूमियत को बड़े ही कॉमिकल अंदाज़ में दिखाती फिल्म है 'पीकू'। इस फिल्म में अमिताभ बच्चन और दीपिका पादुकोण के किरदारों को बखूबी पिरोया गया है। फिल्म में पिता और बेटी की ये जोड़ी दिल्ली से कोलकाता तक की यात्रा करती है। बीच में इरफान खान भी अपने कॉमेडी टाइमिंग का तड़का देते हैं।

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6. कुंवारा बाप

70 के दशक की क्लासिक फिल्म जिसमें मेहमूद और नासिर हुसैन ने काम किया था। अगर आपको क्लासिक फिल्में देखना पसंद है तो ये फिल्म जरूर अच्छी लगेगी। एक रिक्शा वाला अपनी जिंदगी को पूरी तरह से बदल देता है जब उसे पोलियो से ग्रसित एक बच्चा मिलता है। वो उस बच्चे को अपने बच्चे की तरह प्यार और सद्भावना से पालता है। कुंवारा बाप फिल्म इस बात को दिखाती है कि वाकई कोई बिना बच्चे को जन्म दिए भी माता-पिता का किरदार निभा सकता है। फिल्म के कुछ सीन आपको बहुत इमेशनल कर सकते हैं।

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7. अप्पू

ये एक नहीं बल्कि तीन फिल्मों की सीरीज है। इस मास्टपीस में सत्यजीत रे ने दिखाया है कि कैसे एक छोटा लड़का अपू पूरी दुनिया की सैर करता है अपने पिता के साथ। जब उसके पिता नहीं रहते और वो खुद पिता बनता है तब भी वो उन्हीं सारी भावनाओं को जीता है। अप्पू सीरीज की तीनों फिल्में लगभग 60 साल पहले रिलीज हुई थीं (1955, 1956, 1958) पर फिर भी इन्हें अभी तक याद किया जाता है।

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8. अंग्रेजी मीडियम और हिंदी मीडियम

इरफान खान की दोनों फिल्में ये दिखाती हैं कि एक पिता अपनी बेटी के लिए क्या कुछ नहीं कर सकता है। हिंदी मीडियम में जहां पिता और मां के एफर्ट्स की बात हो रही थी, वहीं दूसरी ओर अंग्रेजी मीडियम में पिता और बेटी की बॉन्डिंग को बखूबी दिखाया गया है। इन दोनों ही फिल्मों में इरफान का रोल खाने में नमक की तरह है। अगर कुछ कॉमेडी लेकिन भावनाओं से भरपूर फिल्म देखनी है, तो हिंदी मीडियम या अंग्रेजी मीडियम देख सकती हैं।

तो इस बार अपने पिता के साथ कुछ क्लासिक फिल्में जरूर देखिए। अगर आपको भी ऐसी कोई फिल्म याद है तो हमें कमेंट बॉक्स में उसका नाम जरूर बताएं। ऐसी ही अन्य स्टोरी पढ़ने के लिए जुड़े रहें हरजिंदगी से।

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