मैसूर राजघराने का खौफनाक इतिहास, एक रानी के श्राप ने खत्म कर दिया था वंश

मैसूर रॉयल परिवार पर एक श्राप था जिसकी वजह से 400 सालों तक इस परिवार को कोई वारिस नहीं मिला। 

How maysore royal family got curse

भारत के सबसे चर्चित महलों में से एक है मैसूर पैलेस। ये वो पैलेस है जो लगभग हर त्योहार और खास मौके पर बहुत ही अच्छे से सजा दिया जाता है और उसे देखने देश-विदेश से लोग आते हैं। मैसूर पैलेस जब सजता है तो लगभग 1.5 लाख लाइट्स इस्तेमाल होती हैं और ये एक बेहतरीन नजारा होता है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि मैसूर पैलेस की इस खूबसूरती के पीछे कुछ राज़ भी दबे हुए हैं?

मैसूर पैलेस के इतिहास के साथ जुड़ी है एक ऐसी कहानी जिसने पूरे राज परिवार का विनाश कर दिया था और इस कहानी का नाता है एक रानी से।

पिछले 400 सालों से हो रही है उस रानी की पूजा

आपको शायद ये पता ना हो, लेकिन रिपोर्ट्स मानती हैं कि मैसूर रॉयल फैमिली ना सिर्फ देवी चामुंडेश्वरी की पूजा करती है बल्कि वो एक स्वर्ण मूर्ति की पूजा भी करती है और ये मूर्ति है 400 साल पहले आई एक रानी की।

mysore royal family palace

कौन थी वो रानी और क्या है मैसूर रॉयल परिवार का सीक्रेट?

इस वक्त मैसूर पर वाडियार परिवार का राज है और उनका ही है मैसूर पैलेस। पर शायद आपको ये ना पता हो, लेकिन इस परिवार के सभी वंशज गोद लिए गए हैं। जी हां, ये परिवार एक समय वंशहीन हो गया था और उसके बाद बच्चों को गोद लिया गया जिससे ये परिवार आगे बढ़ा।

ये सब कुछ कथित तौर पर हुआ एक श्राप के कारण। दरअसल, ये कहानी शुरू हुई थी राजा तिरुमलराज और उनकी पत्नी से।

ravi verma painting

राजा तिरुमलराज उस वक्त विजयनगर जैसे बहुत ही समृद्ध राज्य के शासक थे और उस वक्त मैसूर के 9वें राजा वाडियार ने तिरुमलराज से उनके राज्य का एक हिस्सा छीन लिया। इसके बाद राजा बीमार हो गए और स्वर्ग सिधार गए। उनकी पत्नी रानी अलमेलम्मा के पास ढेरों जवाहरात थे जो पति की मौत के बाद उन्होंने मंदिर में दान कर दिए थे।

वाडियार राजा ने उस वक्त रानी के जेवरात लाने के लिए नौकरों को भेजा, लेकिन रानी ने ऐसा नहीं किया। रानी अपने जेवरात लेकर भागी और कावेरी नदी में छलांग लगाने से पहले उन्होंने परिवार को श्राप दिया 'नदी में भंवर पड़ जाए, जमीन बंजर हो जाए और मैसूर के राजा के घर कभी वारिस ना हो।'

400 सालों से चला आ रहा था ये श्राप

ये श्राप 400 सालों से चला आ रहा था क्योंकि 1612 के दशक में ये श्राप मिलने के बाद से ही किसी राजा के घर कोई बच्चा नहीं हुआ था। तत्कालीन राजा अपने भांजों या भतीजों को गोद लेकर वंश आगे बढ़ाते थे। हालांकि, 2017 में ये श्राप टूटा और 2017 में तत्कालीन राजा यदुवीर कृष्णदत्ता छमा राज वाडियार और तृषिका कुमारी की शादी हुई जिसके बाद एक बेटे का जन्म हुआ।

इसे जरूर पढ़ें- औरंगजेब के तोड़े हुए हिंदू मंदिर बनवाने से लेकर मराठाओं के लिए लड़ने तक, जानिए अहिल्याबाई होल्कर के बारे में

इसे ही 400 साल पुराने श्राप का अंत माना जाता है और राज परिवार ने अपने पोते की तस्वीर के साथ फोटो भी शेयर की थी।

ये थी कहानी राज परिवार की और ये था वो श्राप जिसके कारण 400 सालों से रानी अलमेलम्मा की पूजा की जाती है। हालांकि, 400 साल पुराना श्राप टूट गया है, लेकिन फिर भी मैसूर रॉयल परिवार में एक मिरेकल ब्वॉय की जगह और कोई बच्चा नहीं पैदा हुआ है जो राजा का वारिस कहला सके। भारत के राज परिवारों से जुड़ी और कहानियां हम आपसे शेयर करते रहेंगे।

अगर आपको ये स्टोरी अच्छी लगी है तो इसे शेयर जरूर करें। ऐसी ही अन्य स्टोरी पढ़ने के लिए जुड़े रहें हरजिंदगी से।

Image Credit: notesonindianhistory/ fabhotels/ Wadiyar

HzLogo

HerZindagi ऐप के साथ पाएं हेल्थ, फिटनेस और ब्यूटी से जुड़ी हर जानकारी, सीधे आपके फोन पर! आज ही डाउनलोड करें और बनाएं अपनी जिंदगी को और बेहतर!

GET APP