बैंगलुरु से चार घंटे की दूरी पर स्थित हैं मैसूर पैलेस। भारत के सबसे खूबसूरत महलों में शुमार मैसूर पैलेस कला और संस्कृति का बेजोड़ नमूना है। इस महल का समृद्ध इतिहास गुजरे जमाने की की कहानी बयां करता है। वर्तमान में महल का जो ढांचा नजर आता है, उसकी नींव महाराजा कृष्णराजेंद्र चतुर्थ वाडियार ने रखी थी। मैसूर पैलेस देखने में बहुत भव्य नजर आता है। इस महल से जुड़ी कुछ रोचक बातों के बारे में आइए जानते हैं-
अपने वर्तमान स्वरूप में यह महल जैसा नजर आता है, वैसा यह अपने मूल स्वरूप में नहीं था। दरअसल पहले यह महल पूरी तरह से लकड़ी का बना था। माना जाता है कि 1897 में राजकुमारी जयालक्ष्मी के विवाह के समय यह महल जलकर खाक हो गया था। माना जाता है कि उस समय मैसूर में दरासा उत्सव मनाया जा रहा था।
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आज मैसूर पैलेस का जो ढांचा नजर आता है, वह इसका चौथा संस्करण है। इस महल को तैयार होने में 15 साल का लंबा समय लगा। 1887 में निर्माण कार्यों की शुरुआत के बाद 1912 में जाकर यह पूर्ण हुआ। इस महल को किसी भारतीय शिल्पकार ने नहीं, बल्कि ब्रिटिश आर्कीटेक्ट हेनरी इरविन ने बनवाया था।
मैसूर पैलेस को अंबा विलास पैलेस के नाम से भी जाना जाता है। ताज महल के बाद यह देश का दूसरा सबसे अधिक विजिट किया जाने वाला पैलेस है। कोरोना के संक्रमण के कारण लॉकडाउन के समय को छोड़ दें तो इस भव्य ऐतिहासिक इमारत को देखने के लिए यहां सालभर सैलानियों का तांता लगा रहता है। खासतौर पर दसारा के जश्न के दौरान यहां सैलानियों का उत्साह देखते ही बनता है।
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मैसूर पैलेस दिन के समय में जितना भव्य दिखता है, रात में उससे भी ज्यादा खूबसूरत दिखता है। संडे, पब्लिक हॉलीडे और दसारा के दौरान रात में यह महल जगमगाता नजर आता है। दिलचस्प बात ये है कि इस महल में 96000 से लेकर 98,000 के करीब बल्ब लगे हुए हैं, जिनके कारण यह ढांचा रात में दूर से ही दमकता हुआ नजर आता है।
मैसूर पैलेस देखते हुए सुनहरा हौदा देखना एक यादगार अनुभव है। आपको यह जानकर हैरानी होगी कि इसके मंडप में 80 किलो से ज्यादा सोने का इस्तेमाल हुआ है। दसारा की झांकी के दौरान यह हौदा भी देखने को मिलता है।
इस महल के करीब ही एक रेजिडेंशियल म्यूजिम भी बना हुआ है। यहां आने वाले ज्यादातर सैलानियों को इस बारे में जानकारी नहीं होती। यहां पर मैसूर पैलेस में शासन करने वाले राजाओं के समय के फोटोग्राफ, पेंटिंग्स, विंटेज फर्नीचर और दूसरी खूबसूरत चीजें देखने को मिलती है।
इस रॉयल पैलेस में कुछ 12 मंदिर बने हुए हैं और एक मंदिर 14वीं सदी से भी ज्यादा पुराना है। इनमें कोडी भाररावास्वामी मंदिर, श्वेत वराहस्वामी मंदिर और त्रिनयश्वरा स्वामी मंदिर प्रमुख हैं। इन मंदिरों की स्थापत्य कला भी बरबस ही आकर्षित करती है।
मैसूर पैलेस से जुड़े ये रोचक तथ्य अगर आपको अच्छे लगे तो इन्हें जरूर शेयर करें। ट्रेवल और डेस्टिनेशन्स से जुड़ी अन्य अपडेट्स के लिए विजिट करती रहें हरजिंदगी।
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