औरंगजेब के तोड़े हुए हिंदू मंदिर बनवाने से लेकर मराठाओं के लिए लड़ने तक, जानिए अहिल्याबाई होल्कर के बारे में

अहिल्याबाई होल्कर के बारे में जानें जिन्होंने महिला सशक्तिकरण की मिसाल स्थापित की। उन्हें लोग संत की तरह पूजते हैं। 

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भारत का इतिहास बहुत ही समृद्ध रहा है। इस देश ने कई लड़ाइयां देखी हैं, कई शासकों का राज देखा है, लेकिन ये देश सिर्फ राजाओं से नहीं बल्कि रानियों से भी फेमस रहा। भारत की रानियां, महारानियां और मल्लिकाएं सिर्फ सौंदर्य और प्रतिभा के लिए ही नहीं जानी जाती बल्कि उनकी सैन्य शक्ति, सामाजिक कार्य और कई कारणों से वो फेमस रही हैं। हरजिंदगी अपनी सीरीज 'क्वीन्स ऑफ इंडिया' में आपको ऐसी ही रानियों और मल्लिकाओं के बारे में बता रही है। इसी कड़ी में आज बात करते हैं अहिल्याबाई होल्कर की।

अहिल्याबाई होल्कर का नाम सुनकर शायद आपको देश के कई कॉलेज और यूनिवर्सिटीज के बारे में याद आता हो, लेकिन यकीन मानिए उनकी शख्सियत और ख्याती सिर्फ इतनी ही नहीं है। अहिल्याबाई होल्कर मध्यप्रदेश के महेश्वर की कर्ताधर्ता थीं और होलकर साम्राज्य का एक अहम हिस्सा।

उन्होंने कई लोगों के आक्रमण से अपने मालवा की रक्षा की थी। उन्हें उनके सामाजिक कार्यों के बारे में भी जाना जाता है।

सोमनाथ मंदिर सहित औरंगजेब द्वारा तोड़े हुए मंदिरों का करवाया निर्माण-

अहिल्याबाई होल्कर ने कई धार्मिक कार्य किए। उन्होंने औरंगजेब द्वारा तोड़े हुए मंदिरों का दोबारा निर्माण करवाया। उन्होंने पूरे भारत में श्रीनगर, हरिद्वार, केदारनाथ, बदरीनाथ, प्रयाग, वाराणसी, नैमिषारण्य, पुरी, रामेश्वरम, सोमनाथ, महाबलेश्वर, पुणे, इंदौर, उडुपी, गोकर्ण, काठमांडू आदि में बहुत से मंदिर बनवाए हैं।

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पति की मृत्यु के बाद ली सैन्य शिक्षा-

जब अहिल्याबाई के पति खांडेराव होल्कर की मृत्यु हुई तो अहिल्याबाई के ससुर मल्हार राव होल्कर ने उन्हें सति होने से रोक दिया। मल्हार राव ने उन्हें सैन्य शिक्षा दी और उस दौर में उन्हें महिला सशक्तिकरण की मिसाल माना जाता है।

अपने राज्य की रक्षा के लिए लड़े कई युद्ध-

अहिल्याबाई होल्कर उन रानियों में से एक थीं जो सैन्य शक्ति से लेकर राजकीय कार्यों में भी बहुत अच्छी थीं। उन्होंने तुकाजी राव होल्कर को सेनापति के तौर पर नियुक्त किया और उसके साथ ही उन्होंने कई युद्ध जीते।(मध्यप्रदेश की रानी रूपमति की कहानी)

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जब अहिल्याबाई के ससुर की भी मौत हो गई तो पुरुष उत्तराधिकारी ना होने के कारण उन्हें काफी संघर्ष के साथ राज्य की बागडोर संभालनी पड़ी। उन्होंने राजपूत, भील, दीवान गंगाधर राव और कई विदेशी शासकों के आक्रमण से अपने राज्य को बचाया था।

संत की तरह पूजी जाती हैं अहिल्याबाई-

अहिल्याबाई के नाम पर मंदिर बने हैं और उन्हें संत की तरह पूजा जाता है। आप अहिल्याबाई की मूर्तियां और मंदिर पूरे हिंदुस्तान में ट्रेस कर सकते हैं।

ahilya bai holkar temple

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सिर्फ मंदिर ही नहीं बनवाए कई सामाजिक स्थान-

अहिल्याबाई ने पूरे हिंदुस्तान में सिर्फ मंदिर ही नहीं बनवाए बल्कि मंदिर, अनाथ आश्रम, सिंचाई टैंक्स आदि बहुत कुछ बनवाए और खुद साधारण जीवन जीती रहीं। वो हमेशा ही महेश्वर के एक आम व्यक्ति की तरह ही रहीं।

अगर बात की जाए अहिल्याबाई होल्कर की तो उन्हें हमेशा से ही समाजसेवी माना जाता रहा है। उन्होंने कभी भी किसी को भी मृत्यु दंड नहीं दिया। इतना ही नहीं उन्होंने कैदियों से शपथ लेकर उन्हें छोड़ने का काम भी किया। अहिल्याबाई ने 7/12 स्कीम चलाई जहां किसानों को खेती करने के लिए राज्य पैसे देगा और फिर उपज भी बांटी जाएगी। उन्होंने कई राज्य कर भी समाप्त कर दिए थे जिससे मालवा राज्य बहुत ही समृद्ध राज्य बन गया था।

अहिल्याबाई एक मिसाल हैं जो हमें कुछ ना कुछ सिखा सकती हैं। वो एक ऐसी रानी थीं जिन्होंने सत्ता का लोभ नहीं बल्कि समृद्धि को चुना। वो एक ऐसी महिला थीं जो 1700 की सदी में भी पढ़-लिखकर आत्मनिर्भरता का पाठ पढ़ाती थीं। 13 अगस्त 1795 को 70 साल की उम्र में उनकी मृत्यु हो गई। अहिल्याबाई वाकई एक सशक्त महिला थीं।

आप और किस रानी के बारे में जानना चाहते हैं ये हमें कमेंट बॉक्स में बताएं। अगर आपको ये स्टोरी अच्छी लगी है तो इसे शेयर जरूर करें। ऐसी ही अन्य स्टोरी पढ़ने के लिए जुड़े रहें हरजिंदगी से।

Photo Credit: Betterindia/ Rediff/ google arts and culture

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