भारत देश अपनी अमर प्रेम कहानियों के लिए जाना जाता है। जहां लोग एक-दूसरे के प्यार में जान देने को भी तैयार रहते हैं। मध्य प्रदेश का मांडू नगर भी ऐसी ही प्रसिद्ध प्रेम कहानी का साक्षी है। यह कहानी है मांडू नगर के राजा बाज बहादुर और रानी रूपमती की। इस प्रेमी जोड़े का नाम मांडू के इतिहास में बड़े ही गर्व के साथ लिया जाता है। राजा और राजा की यह प्रेम कहानी किसी फिल्म से कम नहीं है, जहां युद्ध, प्रेम, संगीत और विरह जैसी सभी भाव मौजूद हैं।
आज के इस आर्टिकल में हम आपको रानी रूपमती और राजा बाज बहादुर की अमर प्रेम कहानी के बारे में बताएंगे। जो मांडू के इतिहास में अमर है-
इतिहास के अनुसार रानी रूपमती राज्य के किसान की बेटी थीं, जो कि गाना गाया करती थीं। रानी बिल्कुल अपने नाम की तरह ही खूबसूरत और गुणी थीं। एक बार राजा उन्हें अपने दरबार में बतौर गायिका बुलाया, वहीं दोनों के बीच प्यार की शुरुआत हुई। जिसके साथ ही दोनों का अंतर्धार्मिक विवाह हुआ। राजा और रानी दोनों खुशी-खुशी साथ रहने लगे।
रानी और राजा की यह कहानी अधूरी ही रही। इतिहास में इसका कारण बादशाह अकबर को माना गया। माना जाता है कि जब रानी की खूबियों के बारे में बादशाह अकबर को पता लगा, तो वो रानी रूपमती पर मोहित हो गए और उन्होंने रानी को पाने की इच्छा जाहिर की।
रानी रूपमती को पाने के लिए बादशाह अकबर ने बाज बहादुर को एक पत्र लिखा। जिसमें उन्होंने रानी को दिल्ली के दरबार भेजने का आदेश दिया। यह सुनकर राजा बाज बहादुर गुस्से में आगबबूला हो गए। साथ ही जवाब में राजा ने बादशाह अकबर की रानी को मांडू भिजवाने की बात कह दी। पत्र का ऐसा जवाब सुनकर अकबर ने गुस्से में सिपहसालार आदम खां को मालवा पर हमला करने का आदेश दे दिया।
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राजा बाज बहादुर ने अपनी छोटी सी सेना के साथ अकबर की सेना से युद्ध किया। लेकिन युद्ध में राजा को हार मिली और आदम खां ने बाज बहादुर को बंदी बना लिया। राजा के युद्ध हारते ही अकबर की सेना रानी रूपमती को लेने के लिए निकल पड़ी, लेकिन रानी को जैसे ही इस बात की भनक लगी उन्होंने हीरा निगल कर अपने प्राण त्याग दिए।
जब बादशाह अकबर तक रानी के मृत्यु की खबर पहुंची, तो उन्हें इस बात का बहुत पछतावा हुआ। जिस कारण उन्होंने राजा बाज बहादुर को आजाद कर दिया। रिहा होने के बाद राजा बाज बहादुर ने मांडू की राजधानी सारंगपुर जाने की इच्छा जाहिर की, वहां पर रानी की कब्र मौजूद थी।
राजा ने रानी की कब्र पर सिर पटक-पटक कर अपनी जान दे दी। इस घटना ने बादशाह अकबर पर गहरा प्रभाव डाला, उसका पश्चाताप करने के लिए बादशाह ने 1568 में एक मकबरे का निर्माण करवाया। जहां राजा बाज बहादुर के मकबरे पर आशिक-ए-सादिक और रूपमती की समाधि पर शहीद-ए-वफा लिखवाया। कुछ इस तरह से इस प्रेम कहानी के खत्म होने का कारण बादशाह अकबर रहे।
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मांडू का किला आगे चलकर प्रेम का प्रतीक बना। आज यह मध्य प्रदेश के प्रसिद्ध पर्यटक स्थलों में गिना जाता है। यहां पर मौजूद इमारतें और खंडहर इस प्रेम कहानी कहानी के साक्षी हैं। यही वजह है कि मांडू में स्थित इस महल को राजा और रानी के प्रेम का प्रतीक माना जाता है।
तो ये थी मांडू के राजा और रानी रूपमती की ट्रैजिक लव स्टोरी। आपको हमारा यह आर्टिकल अगर पसंद आया हो तो इसे लाइक और शेयर करें, साथ ही ऐसी जानकारियों के लिए जुड़े रहें हर जिंदगी के साथ।
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