तिरुपति बालाजी यानि देश का सबसे अमीर मंदिर। अक्सर बालाजी को इसी नाम से जाना जाता है और यही कारण है कि ये मंदिर चर्चा में भी बहुत रहता है। जहां एक ओर कई मंदिर कोरोना वायरस के डर के कारण बंद हैं वहीं दूसरी ओर तिरुपति बालाजी के द्वार खुले हुए हैं। हालांकि, इस दौरान मंदिर में कोरोना वायरस के 700 से भी ज्यादा केस आए हैं और ये मंदिर सुर्खियों में आ गया है। लेकिन क्या आप जानती हैं कि तिरुपति बालाजी से जुड़ी बहुत सी कहानियां और मान्यताएं ऐसी हैं जिनकी वजह से तिरुपति के भक्त इस मंदिर से दूर नहीं रह पाते हैं।
इस वजह से दान दिए जाते हैं बाल-
तिरुपति बालाजी में बालाजी की मूर्ति के सिर पर बहुत ही अच्छे बाल मौजूद हैं। आप इतने आभूषणों के बीच उन्हें देख नहीं पाते, लेकिन बालाजी की मूर्ति के ऊपर बाल होते हैं। इससे जुड़ी दो कहानियां हैं जिनके बारे में शायद आपको नहीं पता हो।
पहली कहानी है एक युद्ध की जहां भगवान बालाजी ने एक भेड़ चराने वाले के कारण अपने कुछ बाल खो दिए थे। उस वक्त एक गंधर्व राजकुमारी नीला देवी ने इसे देखा और अपने बालों को काटकर बालाजी को दे दिया ताकि बालाजी उसे अपने सिर पर लगा लें। नीला देवी की भक्ति को देखकर बालाजी बहुत प्रसन्न हुए और वर्दान दिया कि जो भी उनके मंदिर में बाल अपर्ण करेगा उसकी मनोकामना पूरी होगी और बालाजी का आशीर्वाद उसे मिलेगा। यही कारण है कि बालाजी के मंदिर में लोग बाल अर्पण करते हैं।
बालाजी के मंदिर से जुड़ी दूसरी कहानी भी कुछ ऐसी ही है। देवी नीलादरी ने एक दिन भगवान बालाजी को सोते हुए देखा और हवा के एक झोंके से उनके बाल उड़े। उस वक्त नीलादरी (नीलादेवी) ने देखा कि भगवान बालाजी के सिर के कुछ बाल नहीं हैं और उस वक्त नीलादेवी ने अपने ही बाल काटकर उन्हें दे दिए। ये बात भगवान को बहुत अच्छी लगी और इसके बाद भगवान ने नीलादरी को वर्दान दिया।
तिरुपति बालाजी के मंदिर के पास एक पहाड़ को नीलादरी हिल्स भी कहा जाता है। पास में ही नीला देवी का मंदिर भी है।
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क्यों लगाया जाता है ठोड़ी (चिन) पर चंदन-
इस मंदिर के महाद्वार के सामने की ओर एक लोहे की छड़ी रखी हुई है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार इसी छड़ी से अनंत अल्वर (Ananthaalvar) ने भगवान को मारा था जिससे उनकी ठोड़ी से खून आ गया था। उसी के बाद से भक्त यहां आकर अपनी ठोड़ी पर चंदन लगाकर जाते हैं।
एक गुप्त गांव जहां कोई नहीं जा सकता-
तिरुपति बालाजी मंदिर से 22 किलोमीटर दूर एक गांव हैं जहां गांव के लोगों के अलावा कोई और अंदर नहीं जा सकता। कहा जाता है कि इस गांव में महिलाएं अब भी ब्लाउज नहीं पहनती हैं। इसी गांव से तिरुपति बालाजी के लिए फूल, दूध, घी, मक्खन आदि आता है। इस जगह के बारे में कई लेखों में वर्णन किया गया है, लेकिन इसकी कोई तस्वीर आदि नहीं है।
50,000 में मिलेंगे बालाजी के कपड़े-
भगवान बालाजी की मू्र्ति को नीचे धोती से सजाया जाता है और ऊपर साड़ी से। मंदिर के अंदर सर्विस है जहां एक जोड़ा 50 हज़ार की दक्षिणा देकर ये कपड़े ले सकता है। हालांकि, इसके टिकट बहुत कम होते हैं और बहुत ही कम जोड़े ये सौभाग्य प्राप्त कर पाते हैं।
हज़ारों सालों से जल रहे हैं दिए-
मंदिर की प्रतिमा के सामने कुछ दिए जल रहे हैं जो कभी बुझाए नहीं जाते। आज तक किसी को भी ये नहीं पता कि ये दिए पहली बार कब जलाए गए थे। लोगों का कहना है कि ये हज़ारों सालों से जल रहे हैं।
मूर्ति के पीछे से आती है समुद्र की लहरों की आवाज़-
इस फैक्ट पर यकीन करने के लिए आपको खुद इसे सुनना होगा, लेकिन इस फैक्ट को लोग सच मानते हैं। ये आवाज़ कहां से आती है इसे अब तक कोई नहीं जानता। देश के प्रसिद्ध मंदिरों में से एक बालाजी मंदिर के सबसे बड़े रहस्यों में से एक ये भी है।
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मूर्ति से कभी खत्म नहीं होता मॉइश्चर-
मूर्ति को साफ रखने और सूखा रखने की बहुत कोशिश की जाती है, लेकिन हर सुबह मूर्ति को स्नान करवाने के बाद पसीने की कुछ बूंदे मूर्ति में आ जाती हैं। इसे बार-बार पोछा जाता है।
ऐसे न जाने कितने ही फैक्ट्स हैं जो तिरुपति बालाजी से जुड़े हुए हैं। ये मंदिर वाकई बहुत खास है और यहां आने वाले भक्तों की आस्था भी बहुत खास है। अगर आपको ये स्टोरी अच्छी लगी हो तो इसे शेयर जरूर करें। ऐसी ही अन्य स्टोरी पढ़ने के लिए जुड़े रहें हरजिंदगी से।
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