हिंदू पंचांग के अनुसार बसंत पंचमी का पर्व माघ माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाया जाता है। इस दिन को देवी सरस्वती की पूजा की जाती है और पीले रंग के वस्त्र धारण किए जाते हैं। शास्त्रों में बसंत पंचमी को ऋषि पंचमी से उल्लेखित किया गया है। ऐसा कहा जाता है कि बसंत पंचमी के दिन मां सरस्वती की पूजा-अर्चना करने से व्यक्ति को शुभ फलों की प्राप्ति हो सकती है और विद्या के साथ-साथ कला में भी शुभ परिणाम मिलते हैं। अब ऐसे में बसंत पंचमी के दिन मां सरस्वती की पूजा-अर्चना करने के दौरान गुलाल अर्पित करने का महत्व क्या है। इसके बारे में ज्योतिषाचार्य पंडित अरविंद त्रिपाठी से विस्तार से जानते हैं।
बसंत पंचमी के दिन मां सरस्वती को गुलाल चढ़ाने का विशेष लाभ है। इस दिन वसंत ऋतु का आरंभ होता है, जो हरियाली, खुशहाली और नयापन का प्रतीक मानी जाती है। मां सरस्वती को गुलाल चढ़ाने से वातावरण में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है, जिससे व्यक्ति को मानसिक शांति और मानसिक शक्ति मिलती है। गुलाल के रंग जीवंतता और उल्लास का प्रतीक होते हैं, और इसे मां सरस्वती को चढ़ाकर व्यक्ति अपने जीवन में नए उत्साह और उमंग की शुरुआत करता है। गुलाल चढ़ाने से श्रद्धालुओं को सफलता, समृद्धि और जीवन में सकारात्मक बदलाव की कामना पूरी होती है। इस दिन विशेष रूप से शिक्षा, कला और संगीत में निपुणता की प्राप्ति के लिए मां सरस्वती की कृपा प्राप्त हो सके।
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गुलाल लगाना शुभता और समृद्धि का प्रतीक है। ज्योतिष शास्त्र में, मां सरस्वती को ज्ञान, विद्या और कला की देवी माना जाता है। उन्हें गुलाल अर्पित करने से ज्ञान और कला में वृद्धि होती है। गुलाल में सकारात्मक ऊर्जा होती है। मां सरस्वती को गुलाल लगाने से आसपास का वातावरण शुद्ध होता है और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। मां सरस्वती को पीला, गुलाबी या सफेद रंग का गुलाल लगाना चाहिए। ये रंग ज्ञान और पवित्रता का प्रतीक हैं। आपको बता दें, पीला गुलाल गुरु ग्रह से संबंधित है। यह ज्ञान, विद्या और समृद्धि का प्रतीक है। सफेद गुलाल चंद्रमा ग्रह से संबंधित है। यह शांति, पवित्रता और मानसिक शांति का प्रतीक है और गुलाबी गुलाल प्रेम और सकारात्मक का प्रतीक है।
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Image Credit- HerZindagi
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