कितना अद्भुत अनुभव होता है, जब कोई व्यक्ति अपनी तमाम परेशानियों से लड़कर एक मुकाम पर पहुंचता है। अगर यह कोई महिला करे, तो खुशी दोगुनी होना लाजिमी है। ऐसी कितनी महिलाएं हैं, जिन्होंने अपने काम से लोगों को चौंका दिया। ऐसी एक देश की बेटी भावना जाट ने टोक्यो ओलंपिक 2021 क्वालिफाई करके अपने परिवार और देश का नाम रौशन किया है।
भारत ने टोक्यो ओलपिंक के लिए जो 127 नाम भेजे हैं, उनमें एक नाम भावना जाट का भी। भावना रेसवॉकिंग एथलीट हैं, जिन्होंने तमाम बाधाओं को पार करने के बाद अपनी कामियाबी की कहानी लिखी। आइए जानें उनके अब तक के सफर के बारे में विस्तार से जानें।
भावना जाट राजस्थान के राजसमंद जिले के रेलमगरा के पास स्थित काबरा गांव की रहने वाली हैं। उनका जन्म 3 जनवरी 1996 में एक किसान परिवार में हुआ। तीन बच्चों में सबसे छोटी भावना ने 13 साल की उम्र से ही रेसवॉकिंग शुरू कर दी थी। आर्थिक तंगी के कारण उन्हें बीच में ही अपनी पढ़ाई छोड़नी पड़ी थी।
13 साल की उम्र में जब उन्होंने रेसवॉकिंग शुरू की, तब उनके फिजिकल एजुकेशन के टीचर हीरा लाल कुमावत ने उनकी प्रतिभा पहचानी और उन्हें जिला स्तरीय एथलेटिक्स प्रतियोगिता में ले लिया, जहां केवल 3000 मीटर रेस वॉक में स्लॉट उपलब्ध थे। वह इस आयोजन में दूसरे स्थान पर रहीं।
भावना ने आर्थिक तंगी और पड़ोसियों के ताने जैसी कई मुश्किलों का सामना किया। भावना एक ऐसे गांव से हैं, जहां आज भी महिलाओं को घर से बाहर निकलने पर रोक लगाई जाती है। उनके पड़ोसी और गांव वाले उनके पिता पर दबाव डाला करते थे कि उन्हें घर से बाहर न निकलने दिया जाए। मगर भावना के पिता और उनके भाइयों ने उनका पूरा साथ दिया। पड़ोसियों के तानों से बचने के लिए भावना तड़के 3 बजे ही प्रैक्टिस पर निकल जाया करती थीं, ताकि कोई उन्हें देख न सके।
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साल 2014 और 2015 के बीच, भावना ने जोनल और राष्ट्रीय जूनियर स्तर की प्रतियोगिताओं में पदक जीते। साल 2016 में, उन्होंने भारतीय रेलवे हावड़ा, पश्चिम बंगाल में एक टिकट कलेक्टर के रूप में नौकरी की।
2019 में ऑल इंडिया रेलवे प्रतियोगिता में 20 किलोमीटर की रेसवॉकिंग में उन्होंने गोल्ड मेडल जीता था। 20 किलोमीटर की दूरी को उन्होंने 1:36:17 सेकेंड में पूरा किया था।
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उन्होंने रांची में 2020 में हुए नेशनल चैंपियनशिप में नया रिकॉर्ड बनाया। राष्ट्रीय ओपन चैंपियनशिप में फरवरी 2020 में उन्होंने 1:29:54 का समय लेकर रेसवॉकिंग का राष्ट्रीय रिकॉर्ड तोड़ा और 2020 समर ओलंपिक के लिए क्वालीफाई किया, जिसमें 1:31:00 क्वालिफाइंग टाइम था।
जैसा कि हम बता चुके हैं कि भावना एक ऐसे गांव से हैं, जहां आप भी लड़कियों को लेकर लोगों की रूढ़िवादी सोच है। भावना ने इन सब बाधाओं से हार न मानकर अपने लिए एक मुकाम बनाया है। भावना का टोक्यो ओलंपिक तक का सफर न केवल उनके गांव, बल्कि प्रदेश में अभावों से जूझ रही बेटियों को आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करेगा।
ओलंपिक में हिस्सा लेना भावना के लिए एक नई चुनौती है, हालांकि हमें उनकी काबिलियत पर पूरा भरोसा है। आपको यह आर्टिकल अच्छा लगा तो इसे लाइक और शेयर करें। ऐसी जांबाज महिलाओं की प्रेरणादायक कहानियों को पढ़ने के लिए जुड़े रहें हरजिंदगी के साथ।
Image Credit : www.instagram.com/bhawnajat & sportsinap
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