कोरोना महामारी के बीच ओलंपिक खेल जापान में 23 जुलाई से शुरू हो कर 8 अगस्त तक चलेंगे। पिछले साल कोरोना के प्रकोप को देखते हुए ओलंपिक को स्थगित कर दिया गया था। इस बार 4 भारतीय महिला पहलवान टोक्यो ओलंपिक में भारत का प्रतिनिधित्व करेंगी, जिसमें सोनम मलिक, विनेश फोगाट, अंशु मलिक, और सीमा बिस्ला शामिल हैं। बता दें कि पिछली बार भारत से सिर्फ 3 महिला पहलवानों को ओलंपिक में जाने का मौका मिला था।
वहीं बात करें सोनम मलिक की तो वह रेसलिंग में ओलंपिक के लिए क्वालीफाई करने वाली सबसे कम उम्र की महिला खिलाड़ी हैं। 19 साल की उम्र में उनकी परफॉर्मेंस ना सिर्फ शानदार है बल्कि वह ओलंपिक मेडल जीत चुकीं साक्षी मलिक को दो बार हरा चुकी हैं। हरियाणा के छोटे से गांव से लेकर ओलंपिक का सफर तय करना सोनम मलिक के लिए आसान नहीं था। अब उनका लक्ष्य देश के लिए गोल्ड मेडल लाना है। आइए जानते हैं सोनम मलिक की जिंदगी से जुड़ी कुछ खास बातें-
सोनम मलिक का जन्म 15 अप्रैल 2002 में हुआ था, वह हरियाणा के छोटे से कस्बे गोहाना के मदीना गांव की रहने वाली हैं। वह 62 किग्रा वर्ग में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत का प्रतिनिधित्व करती हैं। उनके पिता राजिंदर मलिक भी एक पहलवान रह चुके हैं, उन्होंने स्थानीय स्तर पर कई टूर्नामेंटों में भाग लिया। सोनम के पिता के अलावा उनकी फैमिली में और भी कई लोग पहलवान हैं। अपने कजिन भाई और पिता से प्रभावित होकर उन्होंने भी पहलवानी में आने का निर्णय लिया। बेटी की रुचि को देखते हुए उनके पिता ने अपने गांव के ही नेताजी सुभाष चंद्र बोस स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स में उनका एडमिशन करवाया। यहां उन्हें कोच अजमेर मलिक ट्रेनिंग देते थे।
सोनम मलिक को शुरुआती दिनों में ट्रेनिंग करने में काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा। दरअसल एकेडमी में बुनियादी चीजों की कमी थी, कुश्ती के लिए मैट नहीं होने की वजह से खिलाड़ियों को मिट्टी पर ही प्रैक्टिस करनी पड़ती थी। बारिश के दिनों में मैदान में कीचड़ हो जाती थी, जिसकी वजह से खिलाड़ी (हॉकी खिलाड़ी मोनिका मलिक के बारे में जानें) सड़कों पर प्रैक्टिस करते थे। प्रशिक्षण अच्छा होता था, लेकिन बुनियादी चीजों की कमी खेल को काफी प्रभावित करती थी। रेसलिंग के अलावा सोनम एक स्टूडेंट हैं और आर्ट्स में ग्रैजुएशन कर रही हैं। वह अपनी पढ़ाई जाट हीरोज मेमोरियल कॉलेज, रोहतक से कर रही हैं।
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नवभारत टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, सोनम मलिक के लिए एक वक्त ऐसा भी आया था, जब वह पैरालिसिस की स्थिति में पहुंच गई थीं। वो वक्त सोनम मलिक के लिए काफी मुश्किलों से भरा था। दरअसल नस की समस्या की वजह से उनके हाथ में हलचल कम हो गई थी। रिपोर्ट के अनुसार, उन दिनों सोनम अपना हाथ हिला नहीं पा रहीं थीं। डॉक्टरों को उनकी सेहत में कोई सुधार नजर नहीं आ रहा था और उन्हें दूसरे खेल में जाने की सलाह दी जाने लगी। वहीं सोनम के पिता ने बेटी को ठीक करने के लिए आयुर्वेदिक तरीका आजमाया, क्योंकि उनके पास इतने पैसे नहीं थे कि वह इसका इलाज महंगे अस्पताल में करा सकें। आयुर्वेदिक इलाज के बाद सोनम में फर्क नजर आने लगा और 6 महीने बाद वह अपनी प्रैक्टिस पर वापस लौट आईं।
सोनम मलिक का सपना है कि वह देश के लिए ओलंपिक में मेडल जीत कर लाए। इतने कम उम्र में अपनी प्रतिभा का परचम लहराने वाली सोनम मलिक अपना बेस्ट देने के लिए पूरी तरह से तैयार हैं। उम्मीद कि आपको सोनम मलिक से जुड़ी जानकारी पसंद आई होगी। साथ ही अगर आपको यह लेख अच्छा लगा हो तो इसे शेयर जरूर करें व इसी तरह के अन्य लेख पढ़ने के लिए जुड़ी रहें आपकी अपनी वेबसाइट हरजिन्दगी के साथ।
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