एक अच्छी मां कैसे बना जाए? यह सवाल हर मां के जहन में आता है। एक मां को पिता से ज्यादा चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। एक अच्छी मां होने के साथ-साथ अपने बच्चे के लिए रोल मॉडल बनना किसी बड़े लक्ष्य से कम नहीं होता है। आप एक अच्छी मां बनने के लिए हर संभव कोशिश करती होंगी पर फिर भी लोग कुछ ना कुछ कमियां निकाल देते होंगे। लेकिन कुछ महिलाएं हमारे समाज में ऐसी भी हैं, जो लोगों की बातों औररूढ़िवादी सोच को पीछे छोड़कर अपने प्रोफेशन को मां होने के साथ-साथ बेहतर तरह से बैलेंस कर रही हैं। ऐसी ही मॉम इन्फ्लुएंसर, मेंटल हेल्थ थेरेपिस्ट और मार्केटिंग फील्ड से जुड़ी हुई महिला हैं तन्वी एस पारेख जिन्होंने अपने सपने को पूरा करने के लिए कड़ी मेहनत की और समाज में अपनी पहचान बनाई। उनकी सफलता की जर्नी को जानने के लिए हरजिंदगी हिंदी ने बात की तन्वी एस पारेख से।
1. आप खुद को कैसे परिभाषित करना चाहेंगी?
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मैं एक सशक्त महिला होने के साथ-साथ सशक्त मां हूं और अपनी शर्तों और नियमों के अनुसार सफलता हासिल करती हूं।
2.आपने सबसे बड़ी चुनौतियां कौन सी देखी हैं?
हमारे भारतीय समाज में एक स्थिर और सेफ सपोर्ट सिस्टम हर मां के लिए नहीं है। एक मां के रूप में सबसे बड़ी चुनौती होती है कि आपके पास अपने परिवार पर निर्भर रहने के अलावा कोई विकल्प नहीं होता है और जिन मांओं के पास यह सपोर्ट भी नहीं होता है उनके लिए सब कुछ संभालना बहुत मुश्किल हो जाता है।
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3. मां होने के बाद आपको किन परेशानियों का सामना करना पड़ा?
कुछ बातें तो ऐसी थी जो सुनने में बहुत अजीब लगती हैं। लोग कई तरह से आलोचना करते हैं। मेरे बच्चा अगर को छोटी से छोटी गलती भी कर देता है तो मुझपर ही सबसे पहले उंगली उठाई जाती है। सिर्फ यही नहीं, लोग परवरिश को लेकर भी कई कमेंट करते हैं। मैंने अपने बच्चे को परिवार या ससुराल के सपोर्ट के बिना पाला है और हमेशा उसका ख्याल रखा है। इस कारण से भी लोग मुझे मां के रूप में असफल दिखाने का प्रयास करते हैं। लेकिन यह मेरा और मेरे पति का फैसला था ताकि हम अपने बच्चे को न्यूट्रल इन्वायरमेंट दे सकें। आज भी मुझे लोगों की बातों को सुनना पड़ता है, लेकिन इन बातों को मैं पीछे छोड़कर आगे बढ़ चुकी हूं। यह सभी बातें और आलोचनाएं ऐसी हैं जो कभी खत्म नहीं होंगी और जिनके पास कुछ अच्छा कहने के लिए नहीं होता है, वह इन आलोचनाओं से ही लोगों को नीचे दिखाने का प्रयास करते हैं।
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4.आप खुद को एक मां, गृहिणी और कामकाजी महिला के रूप में क्या रेटिंग देना चाहेंगी?
मुझे ऐसा लगता है कि एक मां, गृहिणी और कामकाजी महिला की जिम्मेदारियां को किसी भी प्रकार से मापा नहीं जा सकता है, लेकिन मैंने इन तीनों भूमिकाओं को संतुलित करने का प्रयास बेहतर तरह से किया है और इसके लिए मैं खुद को 10 में से 10 अंक देना चाहूंगी।
5.आपकी सबसे कठिन सीख क्या रही है?
मैं यह सबसे ज्यादा फील करती हूं कि मुझे भी एक ब्रेक की आवश्यकता है ताकि मैं अपने स्वास्थ्य का ध्यान रख पाऊं और अपने आराम या मन की शांति के लिए भी मुझे बहुत मुश्किल से खुद की लाइफ से कुछ पल निकालने पड़ते हैं। ऐसा करने से मैं अपनी जिम्मेदारियों को नई ऊर्जा और जोश के साथ फिर से शुरू कर पाती हूं।
6. एक महिला को सफल होने के लिए किन गुणों का होना जरूरी होता है?
मेरा मानना है कि एक महिला को सफल होने के लिए तीन गुणों की आवश्यकता होती है। सबसे पहले उनके अंदर कुछ सीखने की इच्छा होनी चाहिए, दृढ़ता होनी चाहिए और अपने मन के हिसाब से फैसले लेने आना चाहिए।
7. क्या आपने मॉम ग्लिट का सामना किया है और कैसे कोई मां इससे ओवर्कम कर सकती हैं?
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मुझे कभी-कभी मॉम ग्लिट का सामना करना पड़ता है, यह मातृत्व (मदर्स डे) का एक हिस्सा है। मेरी मानना यह है कि आप इसे कभी भी दूर नहीं कर सकते। आपको बस यह सीखने की जरूरत है कि इसके चारों तरफ आप खुद के जीवन कैसे नेविगेट कर सकती हैं। आपको बस खुद पर विश्वास रखना है और अच्छी मां बनने की कोशिश करनी होगी। (HZ Exclusive: Shilpa Shetty ने कम समर्थन और ज्यादा जिम्मेदारियों को बताया महिलाओं के लिए बाधा)
एक चीज जिससे वास्तव में मुझे मदद मिली है वह है अपनी प्राथमिकताओं का निरंतर मूल्यांकन और पुनर्मूल्यांकन करना और इस मूल्यांकन के हिसाब से जरूरत पड़ने पर अपने जीवन में बदलाव करना बेहतर होता है।
8. क्या आपको ऐसा लगता है कि मांओं से जुड़ा हुआ टॉक्सिक ग्लोरिफिकेशन किया जाता है जिससे हर मां के ऊपर प्रेशर क्रिएट होता है और इसे एक मां कैसे मैनेज कर सकती है?
मुझे लगता है कि माताओं से जुड़ा हुआ टॉक्सिक ग्लोरिफिकेशन, हर मां मैनेज करने में सक्षम होती है फिर चाहे उसकी उम्र कितनी भी क्यों ना हो। मैं मानती हूं कि यह बिल्कुल सही नहीं है पर एक मां फुल टाइम वर्क करती है और उसे घर संभालने के साथ-साथ अपने करियर को भी ध्यान में रखना होता है। हमारे समाज में हर मां कुल मिलाकर तीन समय का काम एक बार में ही करती है। मेरा मानना है कि ईमानदारी से जिस चीज की जरूरत हमारे समाज में है वह है हर पति का काम में हाथ बंटाना और घर की आर्थिक जिम्मेदारी उठाने के साथ-साथ घर के कामों को सही तरह से करना। इससे महिलाओं पर दबाव कम होगा और मुझे लगता है कि एक महिला के लिए अगर यह संभव है कि वह अपना समय बच्चों को संभालने के साथ-साथ और पुरुषों की तरह के करियर में भी आगे बढ़ें तो इसके लिए समाज में यह आवश्यक है कि घर के सभी पुरुष समान जिम्मेदारी लेने से ना हिचकिचाएं। मेरा मानना है कि फैमिली में टीम वर्क होना ज्यादा जरूरी होता है, ताकि बच्चों की परवरिश सही से हो और घर की सभी जिम्मेदारियां सिर्फ मां के कंधे पर ना हो।
हर महिला को मदर्स डे पर तन्वी एस पारेख से जरूर इंस्पिरेशन लेनी चाहिए। हमारे देश में हर जिम्मेदारी मां के सिर पर होती है, लेकिन अगर गौर किया जाए तो कई घरों में रहने वाली माताएं इस बात को अपना कर्तव्य समझती हैं, लेकिन अगर यही काम हर घर के पिता के सिर पर होगा तो हर मां कुछ वक्त अपने लिए भी निकाल पाएगी। अगर आपको यह लेख अच्छा लगा हो, तो इसे शेयर जरूर करें व इसी तरह के अन्य लेख पढ़ने के लिए जुड़ी रहें आपकी अपनी वेबसाइट हरजिन्दगी के साथ।
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