हरजिंदगी ने इस साल वुमनप्रेन्योर अवॉर्ड्स का अब तक का पहला एडिशन पेश किया। जहां उन महिलाओं को अवार्ड्स से नवाज़ा गया जिन्होंने अपनी मेहनत और काबिलियत के दम पर न सिर्फ बिज़नस का रास्ता चुना बल्कि अपने बिजनस को सफलता की ऊचाइयों तक भी पहुंचाया। पुरस्कारों की मेजबानी नई दिल्ली में की गई जहां माननीय केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री, स्मृति जुबिन ईरानी ने मुख्य अतिथि के रूप में कार्यक्रम की शोभा बढ़ाई।
इस अवार्ड्स फंक्शन के दौरान 15 विभिन्न पुरस्कार श्रेणियों के माध्यम से महिला उद्यमियों को उनकी उपलब्धियों के लिए सम्मानित किया गया। इस सूची में एक नाम स्टेला रिचर्ड का भी था जिन्होंने अपने व्यवसाय की नीव महिलओं की सेहत से शुरू की थी और आज उनके बेहतर रोजगार का जरिया भी बनी हैं।
स्टेला की जर्नी के बारे में बताने से पहले उनके व्यवसाय के बारे में जान लेते हैं। स्टेला रिचर्ड विनस्टार की फाउंडर और सीईओ हैं। उन्होंने फेमिन हायजीन प्रोडक्ट्स और खास तौर सेनेटरी नैपकिन्स को एक नई सोच और तकनीक के साथ पेशा किया जिससे वह ज्यादा से ज्यादा लकड़ियों की इमरजेंसी पीरियड्स के दौरान मदद कर सकें।
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स्टेला वेंडिंग मशीन की एक ऐसी अनोखी तकनीक लाईं जिससे जर्म-फ्री मेथड के जरिये इस्तेमाल किये गए पीरियड पैड्स को डिस्पोज किया जा सके। स्टेला रिचर्ड की सेवा और उन मूल्यों के प्रति मजबूत प्रतिबद्धता जो व्यक्तियों, स्कूलों, ग्रामीण क्षेत्रों, कॉर्पोरेट में मौजूद महिलाओं की मदद करते हैं, उन्हीं ने आज स्टेला को एक सफल महिला उद्यमिता के रूप में उभारा है।
स्टेला को आई आई टी, दिल्ली और मिनिस्टरी ऑफ़ साइंस से दिसंबर 2017में गोल्ड मैडल मिल चुका है। इस जीत ने स्टेला और उनके विनस्टार को जीत के शिखर तक पहुंचाया है। विनस्टार उच्चतम क्वालिटी प्रोडक्ट्स महिलाओं तक पहुंचाता है वो भी उचित मूल्य पर। स्टेला अब अपने इस सपने के साथ वैश्विक तौर पर उड़ान भरने के लिए तैयार हैं और वह इसे भारत ही नहीं बल्कि दुनिया भर में ले जाना चाहती हैं ताकि महिलाओं को ज्यादा से ज्यादा सुविधा, सेहत और रोजगार मिले।
हम रोजगार की बात क्यों कर रहे हैं, इस बारे में भी बता देते हैं। असल में, स्टेला की कंपनी में 99% महिलाएं काम कर रही हैं। यह कहना गलत नहीं होगा कि स्टेला महिलओं को न सिर्फ सेहत बल्कि रोजगार भी दे रही हैं। स्टेला की कंपनी एक महिला सशक्त कंपनी है। स्टेला ने अपनी जर्नी के बारे में हमसे बात करते हुए बताया कि, 'अपनी कंपनी शुरू करने के लिए फंड मेरी चुनौती थी और मुझे इस बात का कोई स्पष्ट अंदाजा नहीं था कि कहां स्टार्ट करना है और ग्राहकों से कैसे संपर्क करना है।'
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स्टेला ने आगे बताया कि, 'मेरे स्टार्टअप आइडिया के बलबूते मैंने विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग और आईआईटी दिल्ली के फंड से महिला उद्यमी गोल्ड मेडल पुरस्कार जीता। मैंने कंपनी न सिर्फ बहुत सारे संघर्षों बल्कि लोगों के मुझे फेल होते हुए देखने की मंशा को परखते हुए कभी न हार मानने के इरादे से शुरू की। स्टेला की कंपनी में अभी तकरीबन 25 महिलाएं काम करती हैं। उनका ऑफिस दिल्ली के साथ-साथ चेन्नई और तमिलनाडु में भी है।
जहां एक तरफ स्टेला की कंपनी ने साल 2021 में 95 लाख कमाए थे तो वहीं, 2022 में 45 लाख की कमाई हुई। स्टेला को अब तक 10 से भी ज्यादा अवार्ड मिल चुके हैं।
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