भागदौड़ भरी इस जिंदगी में अक्सर लोग इनसोम्निया के शिकार हो जाते हैं। यह नींद से संबंधित एक विकार है जिसमें व्यक्ति को सोने में कठिनाई होती है। इस समस्या से पीड़ित लोग बिस्तर पर जाने के बाद भी घंटों करवट बदलते रहते हैं और इस दौरान, बार-बार नींद खुलती है। लेकिन, इन दिनों एक और स्थिति देखने को मिल रही है जिसमें व्यक्ति असल में ठीक नींद लेता है, लेकिन उसे ऐसा महसूस होता है कि वह सोया ही नहीं है या बहुत कम नींद ली है। इस स्थिति को हम मेडिकल भाषा में पेराडॉक्सियल इंसोमनिया के नाम से जानते हैं। पहले इस स्थिति को स्लीप स्टेट मिसपरसेप्शन के रूप में जाना जाना जाता था।Dr Kadam Nagpal, Head - Neuroimmunology and Senior Neurologist Salubritas Medcentre इस बारे में जानकारी दे रहे हैं।
पेराडॉक्सियल इंसोमनिया क्या है?
एक्सपर्ट पेराडॉक्सियल इंसोमनिया को क्रोनिक इंसोम्निया कहा जाता है। इसमें व्यक्ति को लगता है, कि उनकी नींद पूरी नहीं हुई। लेकिन, जब जांच होती है तो पता चलता है, कि व्यक्ति ने पूरी नींद ली है। यह स्थिति कुछ दिन से लेकर कुछ महीनों और सालों तक बनी रह सकती है। इसके कारण व्यक्ति दिन के समय में थकावट, ऊर्जा की कमी, ध्यान केंद्रित करने में परेशानी का सामना कर सकता है।
पेराडॉक्सियल इंसोमनिया के कारण
पेराडॉक्सियल इंसोमनिया का सटीक कारण अब तक मालूम नहीं है लेकिन, एक्सपर्ट्स इन कारणों को जिम्मेदार मानते हैं।
- मनोवैज्ञानिक कारण
- हाइपर एराउजल- बहुत ज्यादा मानसिक और शारीरिक तौर पर सक्रिय होना
- पर्यावरणीय कारण
- हार्मोनल इंबैलेंस
पेराडॉक्सियल इंसोमनिया से बचाव और इलाज
- लाइफस्टाइल में बदलाव
- स्लीप हाइजीन में सुधार
- मेडिटेशन
- सीबीटी
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Image Credit-Freepik
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