सेतुबंध का अर्थ है सेतु का निर्माण। ठीक यही आपको इस योग मुद्रा में करने की आवश्यकता होती है। ब्रिज पोज़, जिसे सेतुबंधासन या चतुर पदासन भी कहा जाता है, आपके ब्रेन और रीढ़ के लिए काम करने वाले अधिक प्रभावी योगों में से एक है। साथ ही इसे रोजाना करने से आप पेट, कमर और हिप्स की चर्बी को आसानी से दूर कर सकती हैं। इसके अलावा इससे आप हेल्थ से जुड़े कई फायदे पा सकती हैं। आइए इस लोकप्रिय आसन से आपको मिलने वाले कुछ लाभों पर एक नज़र डालते हैं। लेकिन सबसे पहले इसे करने का सही तरीका जान लेते हैं।
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ब्रिज पोज़ करते समय, अपने घुटनों को हिप-चौड़ाई से अलग रखना जरूरी होता है। ऐसा करने से आप अपने हिप्स फ्लेक्सर्स को ढीला करने में सक्षम होते हैं, मसल्स का एक और सेट जो लंबे समय तक बैठने से पीड़ित होता है। जब आप ब्रिज पोज़ में अंदर और बाहर करते हैं तब हिप फ्लेक्सर्स के वैकल्पिक संकुचन और रिलैक्स से हिप्स की अच्छी एक्सरसाइज हो जाती है। जिससे आपको टोंड हिप्स पाने में मदद मिलती है।
यह समझना मुश्किल नहीं है। ब्रिज पोज के लिए आपको अपने हिप्स को ऊपर उठाना होता है ताकि ब्लड फ्लो आपके दिल और दिमाग की ओर निर्देशित हो। इससे आपके शरीर के सभी हिस्सों में ब्लड सर्कुलेशन को बढ़ावा मिलता है।
जैसे ही आप ब्रिज पोज़ को पूरा करने के लिए अपने हिप्स को ऊपर उठाते हैं, आपका यूरिनरी ट्रेक्ट और रेक्टम सिकुड़ जाता है। यह आपके डाइजेस्टिव और उत्सर्जन तंत्र के लिए अच्छा होता है। एक गिलास गर्म दूध पीने और फिर इस आसन को करने से कई बार कब्ज की समस्या दूर हो जाती है।
पीठ के निचले हिस्से की मसल्स को संकुचन की स्थिति में रखकर, ब्रिज पोज़ आपकी पीठ के निचले हिस्से को मजबूत बनाने में मदद करता है। यह कोर मसल्स को मजबूत करने में मदद करता है। जब आप खुद को संतुलित करती हैं तो शरीर के वजन को अपने पैरों पर स्थानांतरित करने, थाइज और काफ मसल्स के सपोर्ट से, पैर की मसल्स को भी टोन करने में मदद करता है। इसके साथ ही इससे कमर और पेट की चर्बी कम होती है।
जब सही तरीके से किया जाता है, तब ब्रिज पोज़ आपके पेट के अंगों और फेफड़ों को अच्छा स्ट्रेच देता है। साथ ही, आपकी ठुड्डी के नीचे आपकी गर्दन पर जो दबाव बनता है, वह आपकी थायरॉयड ग्लैंड द्वारा महसूस किया जाता है। इस तरह ब्रिज पोज इन अंगों के बेहतर कामकाज में मदद करता है।
ब्रिज पोज़ से पीठ धनुषाकार की हो जाती है। जॉब और डेस्क जॉब, जिसमें आपको पूरे दिन बैठे रहना पड़ता है, उससे लंबे समय में आपके स्पाइनल कॉलम पर बहुत हानिकारक प्रभाव पड़ सकता है। साथ ही आपकी रीढ़ की हड्डी की लंबाई भी छोटी हो सकती है। इसलिए अपनी रीढ़ की हड्डी को समय-समय पर स्ट्रेच करना और घंटों बैठने से थके हुए पैरों को फैलाने की आवश्यकता होती है। इसमें ब्रिज पोज करने से आपको मदद मिल सकती है।
ब्रिज पोज को करने से ब्लड सर्कुलेशन बेहतर होता है और यह मस्तिष्क उत्तेजना से संबंधित है। इसलिए यह मेनोपॉजल महिलाओं के लिए अच्छा होता है। ऐसा इसलिए क्योंकि मन की शांत करके मेनोपॉज के कुछ लक्षणों को दूर करने में मदद मिलती है।
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प्रेग्नेंसी के एडवांस स्टेज में महिलाओं और अल्सर, हर्निया या स्लिप डिस्क से पीड़ित महिलाओं को इस आसन को करने से बचना चाहिए। साथ ही, जिन महिलाओं की पीठ, गर्दन, कंधे या ब्रेन की सर्जरी हुई है, उन्हें ब्रिज पोज का अभ्यास करने से बचना चाहिए।
आप भी पेट, कमर और हिप्स की चर्बी कम करने के साथ-साथ यह सभी फायदे पाने के लिए रोजाना कुछ देर इस योगासन को जरूर करें। फिटनेस से जुड़ी ऐसी ही और जानकारी पाने के लिए हरजिंदगी से जुड़ी रहें।
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