पंजाब के अमृतसर को हर कोई स्वर्ण मंदिर के नाम से जानता है। यह जगह देश के सबसे खूबसूरत पवित्र स्थानों में से एक है। क्योंकि यहां सिखों का प्रमुख गुरुद्वारा स्वर्ण मंदिर है। इस वजह से न केवल सिख बल्कि अन्य धर्मों के लोग भी बड़ी संख्या में इस पवित्र स्थान के दर्शन के लिए आते हैं। लेकिन कई लोग हैं, जो अमृतसर की अन्य खूबसूरती के बारे में नहीं जानते।
गोल्डन टेंपल के दर्शन करने के बाद उन्हें समझ नहीं आता की वह और कहां जाएं। अगर आप यहां 3 दिन का ट्रिप प्लान कर रहे हैं और किसी अच्छी जगह पर घूमने जाना चाहते हैं, तो यह आर्टिकल आपके काम आएगा। आज के इस आर्टिकल में हम आपको अमृतसर की कुछ फेमस जगहों के बारे में विस्तार से जानकारी देंगे।
गोबिंदगढ़ किला
पंजाब में स्थित एक ऐतिहासिक किला है। गोविंदगढ़ किला अमृतसर शहर के केंद्र में स्थित है। इस किले का निर्माण 17वीं शताब्दी में महाराजा रणजीत सिंह ने करवाया था। माना जाता है कि गुरु गोबिंद सिंह के नाम पर ही किले का नाम गोविंदगढ़ रखा गया। यह पंजाब में घूमने के लिए सबसे अच्छी जगह में से एक है।
- इस किले का निर्माण मुगल और सिख शैली में किया गया है। यहां की दीवारों पर आपको लाल पत्थर और मार्बल नजर आएंगे।
- किले में एंट्री के लिए एक बड़ा द्वार है, मंदिर और बगीचा देखने को मिलेगा।
- समय- सुबह 10 बजे से रात 10 बजे तक आप जा सकते हैं।
दुर्गियाना मंदिर, अमृतसर
अगर अमृतसर घूमने गए हैं, तो आपको दुर्गियाना मंदिर में दर्शन के लिए जरूर जाना चाहिए। गोल्डन टेंपल देखने के बाद आप यहां आ सकते हैं। यह पंजाब में स्थित एक प्रसिद्ध हिंदू मंदिर में से एक माना जाता है। यह मंदिर अमृतसर शहर के बीचों-बीच स्थित है। इसका निर्माण 16वीं शताब्दी का बताया जाता है। यह मंदिर मां मां दुर्गा को समर्पित है।
- इस मंदिर को चांदी का मंदिर भी कहा जाता है ,क्योंकि इसके बड़े और बेहतरीन डिजाइन वाले चांदी के दरवाजे हैं।
- अमृतसर के राजा सांसी एयरपोर्ट से मंदिर की दूरी कार व टैक्सी से मात्र आधे घंटे की है।
- अमृतसर रेलवे स्टेशन से यहां पहुंचने में आपको मात्र 5 मिनट का समय लगेगा।
श्री राम तीर्थ मंदिर, अमृतसर
गोल्डन टेंपल के बाद अगर आप श्री राम तीर्थ मंदिर में दर्शन करने चले गए, तो आपको ट्रिप पूरा हो जाएगा। क्योंकि मंदिर की खूबसूरती हर किसी को अपनी ओर आकर्षित करती है। श्री राम तीर्थ मंदिर भगवान राम को समर्पित है।
कहा जाता है कि भगवान राम द्वारा माता सीता का परित्याग करने के पश्चात वाल्मीकि जी ने सीताजी को इसी स्थान पर अपने आश्रम में आश्रय दिया था। इसके अलावा यह भी कहा जाता है कि यहां पर ही लव और कुश का भी जन्म हुआ था।
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image credit- amritsartourism.in
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