सावन का महीना चल रहा है और हो सकता है कि कई लोगों का इस महीने में उपवास भी हो। भारत में अधिकतर त्योहारों पर उपवास रखने की प्रथा है और इस दौरान अगर देखा जाए तो साबूदाने की खपत बहुत ज्यादा बढ़ जाती है। लोगों को साबूदाना खाने का मन भी करता है और उपवास के समय इसे शुद्ध भी माना जाता है। साबूदाना बहुत ही साधारण का इंग्रीडिएंट है जो लगभग हर भारतीय किचन में मिलता है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि ये बनता कैसे है?
साबूदाना जिसे आप कई तरह से इस्तेमाल करते होंगे उसके बनने के पीछे भी एक कहानी है और शायद आपको यकीन नहीं होगा कि इसे बनाने में एक ऐसे पेड़ का हाथ है जिसे बहुत ही आसानी से उगाया जा सकता है। हालांकि, ये मूलत: अफ्रीका में पाया जाता है, लेकिन इसकी खेती हर जगह होने लगी है।
किस चीज से बनता है साबूदाना?
साबूदाना दक्षिण अफ्रीका में पाम ट्री के स्टार्च से बनाया जाता है और भारत सहित कई साउथ ईस्ट एशियन देशों में इसे टैपियोका से बनाया जाता है जिसे कसावा रूट (कंद) भी कहा जाता है। इसे भारत सहित पुर्तगाल, दक्षिण अमेरिका, वेस्ट इंडीज आदि देशों में भी काफी प्रसिद्ध है।
साबूदाना असल में इन पेड़ों के स्टार्च से बनता है जिसे मोतियों के रूप में प्रोसेस किया जाता है। साबूदाने का साइज क्या होगा ये स्टार्च निकालने वाले पेड़ और उसे प्रोसेस करने के तरीके पर निर्भर करता है।
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स्टार्च से कैसे बनते हैं साबूदाना पर्ल्स?
साबूदाना बनने का प्रोसेस कई महीनों तक चल सकता है। हालांकि, आजकल मशीनों के जरिए इस प्रोसेस को कुछ दिनों का कर दिया गया है।
- सबसे पहले कंद को मशीनों में धोया जाता है और फिर उसका छिलका निकाला जाता है। कई साबूदाना फैक्ट्री में ये प्रोसेस हाथ से किया जाता है।
- इसके बाद कंद को क्रश किया जाता है। क्रश करने के बाद ही उसका जूस निकलता है जो कुछ दिन तक स्टोर किया जाता है।
- इसे स्टोर करने का नतीजा ये होता है कि भारी स्टार्च नीचे रह जाता है और पानी ऊपर आ जाता है।
- पानी को निकाल कर स्टार्च को इकट्ठा किया जाता है।
- इसके बाद इस स्टार्च को एक मशीन में डाला जाता है जो इसे प्रोसेस करती है। छलनी जैसे छेदों वाली ये मशीन इस स्टार्च को साबूदाना पर्ल्स में बदल देती है।
- ये पर्ल्स अभी रफ होते हैं और इसे ग्लूकोज और अन्य स्टार्च से बने पाउडर से पॉलिश किया जाता है।
- पॉलिश करने के बाद इन्हें पैक किया जाता है और फिर ये साबूदाना पर्ल्स बाज़ार में बिकने के लिए जाते हैं।

पूरी तरह स्टार्च से बना साबूदाना क्या होता है सेहत के लिए अच्छा?
साबूदाना जिसे इतना खाया जाता है वो असल में खाने में अच्छा तो लगता है और इंस्टेंट एनर्जी भी देता है, लेकिन इसमें न्यूट्रिएंट्स नहीं होते। इसे रेगुलर डाइट का हिस्सा तो बनाया जाता है, लेकिन ये सिर्फ और सिर्फ स्टार्च ही होता है। क्योंकि इसमें स्टार्च बहुत ज्यादा होता है इसलिए ये कई तरह के डिशेज में इस्तेमाल किया जा सकता है, लेकिन इसे हेल्दी नहीं माना जा सकता है। उपवास के समय साबूदाना का स्टार्च ज्यादा होने के कारण ये एनर्जी तो देता है, लेकिन इसे रोजाना खाना अच्छा नहीं हो सकता है।
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साबूदाने से जुड़े मिथक-
साबूदाने से कई मिथक भी जुड़े हुए हैं जिनमें से एक ये भी है कि साबूदाना नॉन वेज होता है। मैं आपको बता दूं कि साबूदाना नॉन वेज नहीं होता है और इसे कई लोग उपवास में सिर्फ इसलिए नहीं खाते हैं क्योंकि ये बहुत ज्यादा प्रोसेस्ड होता है और ये कंद से निकलता है। इसके अलावा, साबूदाना उपवास के लिए एक अच्छा सोर्स माना जाता है।
हरजिंदगी की तरफ से आपको इसके पहले भी साबूदाने से जुड़ी कई रेसिपीज के बारे में बताया जा चुका है। इसे आप किस तरह से खाते हैं ये पूरी तरह से आप पर निर्भर करता है। अगर आपको ये स्टोरी अच्छी लगी तो इसे शेयर जरूर करें। ऐसी ही अन्य स्टोरी पढ़ने के लिए जुड़े रहें हरजिंदगी से।
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