दशहरा एक ऐसा त्यौहार है जो पूरे देश में बड़ी ही धूम-धाम से मनाया जाता है। नवरात्रि से शुरू होकर दशहरा तक लगभग 10 दिनों तक चलने वाला ये त्यौहार हिन्दुओं का एक मुख्य त्यौहार है। यूं तो दशहरा सभी जगह अपनी धूम के लिए प्रसिद्ध है लेकिन भारत की कुछ ऐसी जगहें भी हैं जहां दशहरा का मेला कुछ ख़ास तरीके से लगता है।
पश्चिम बंगाल में पंडाल हो या अहमदाबाद में पूरी रात 'गरबा' करना हो, कोलकाता का सिन्दूर खेला हो या फिर बनारस में विजयदशमी का जश्न। ऐसी न जानें कितनी जगहें हैं जहां दशहरा का मेला बड़े ही भव्य तरीके से लगता है। आइए जानें उन जगहों के बारे में जहां दशहरा के त्यौहार की अलग धूम होती है।
कोलकाता, पश्चिम बंगाल
रंगीन पंडाल, मुंह में पानी लाने वाली बंगाली मिठाई संदेश की भीनी -भीनी खुशबू, पवित्र भोग और युवाओं के बीच अलग तरह की ऊर्जा। हुगली नदी के किनारे से लेकर हावड़ा ब्रिज का शांत वातावरण। जी हां, बात हो रही है पश्चिमी बंगाल की राजधानी कोलकाता की। कोलकाता एक ऐसा शहर जहां की न सिर्फ सुबह बल्कि शाम भी दुर्गा पूजा के पूरे जश्न में डूबी रहती है। जहां एक तरफ नवरात्रि की दुर्गा पूजा की धूम होती है वहीं दशहरे में सिंदूर खेला की रस्म के साथ भव्य मेला लगाया जाता है। दशहरे के मेले के दौरान पंडालों में अनेक सांस्कृतिक कार्यक्रमों से लेकर कोलकाता की स्वादिष्ट मिठाइयां और व्यंजनों की धूम होती है। जी हां. यह ऐसा शहर है जहां न सिर्फ पश्चिमी बंगाल बल्कि पूरे भारत के लोग दशहरे का जश्न मनाने आते हैं। दशहरे के त्यौहार में आप भी कोलकाता जाकर यहां के पंडालों में यहां की अद्वितीय सांस्कृतिक अनुभवों के साथ पेश की जाने वाली रस्मों और मेले का भरपूर मजा उठा सकते हैं।
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कुल्लू दशहरा, हिमाचल प्रदेश
कुल्लू में दशहरा कुल्लू घाटी के लोकप्रिय त्यौहार द्वारा चिन्हित किया जाता है। यह त्यौहार एक भव्य अवसर है और नृत्य और इसमें संगीत प्रदर्शन होते हैं जो विभिन्न स्थानीय परंपराओं को प्रदर्शित करते हैं। पूरी कुल्लू घाटी को चमकीले रंगों के साथ सजाया जाता है और त्यौहार के लिए देवी-देवताओं की मूर्तियों को मुख्य मैदान में ले जाने वाला एक विशाल जुलूस निकाला जाता है। इस त्यौहार का समापन व्यास नदी के किनारे लंका दहन के बहुत प्रसिद्ध प्रदर्शन के साथ होता है जिसे आप भी कभी मिस नहीं करना चाहेंगे। वास्तव में कुल्लू का दशहरा पूरी दुनिया में सबसे अच्छे दशहरा के मेले में से एक है जिसका मजा उठाने कम से कम एक बार आपको भी जरूर जाना चाहिए।
अहमदाबाद, गुजरात
अहमदाबाद में दशहरा का जश्न किसी फ़िल्मी दुनिया के दृश्य से कम नहीं होता है। रंग-बिरंगे लोक नृत्य जीवंत गरबा जिसमें न सिर्फ अहमदाबाद बल्कि दूसरी जगहों से आए हुए लोग भी हिस्सा ले सकते हैं। शहर की रंग-बिरंगी लाइट यहां के दशहरे के अनुभव को वास्तव में सपने जैसा बना देते हैं। त्योहार को जहां नवरात्र के रूप में मनाया जाता है और दिन और रात को देवी शक्ति की मूर्ति के चारों ओर आरती, देवी दुर्गा को प्रार्थना, प्रसाद व गरबा के प्रसिद्ध लोक नृत्य के प्रदर्शन से चिन्हित किया जाता है वहीं दशहरे के दौरान तो आप अपनी डांडिया स्टिक और लहंगा चोली के साथ तैयार रहें और यहां के भव्य समारोह का पूरा मजा उठाने के लिए आप भी एक बार अहमदाबाद जरूर जाएं।
मैसूर दशहरा, कर्नाटक
मैसूर में 'दशहरा' बहुत उत्साह और जोश के साथ मनाया जाता है। शहर में यात्रा करने वाले किदवंतियों का कहना है कि यह एक ऐसा शुभ दिन होता है जब देवी चामुंडेश्वरी (जिसे दुर्गा भी कहा जाता है) ने राक्षस महिषासुर का वध किया था। मैसूर में दशहरा के दिन आज तक देवी के साहस और वीरता का वर्णन किया जाता है और इसे धूमधाम से मनाया जाता है। इस समारोह के लिए, कई सैन्य परेड, एथलेटिक प्रदर्शन और सांस्कृतिक प्रदर्शन प्रदर्शित किए जाते हैं। इस पूरे त्योहार में शाही परंपरा की विरासत को आगे बढ़ाया जाता है और मैसूर पैलेस को भव्य रूप से सजाया जाता है। वहां के दरबार स्थानीय लोग और पर्यटक दशहरा का पूरा मज़ा उठाने आते हैं। उत्सव के अंतिम दिन, 'जंबो सावरी' शहर की हलचल भरी सड़कों पर निकाली जाती है और आप इस दिन देवी चामुंडेश्वरी की मूर्ति को लेकर एक सुनहरे विस्तृत कपड़े पहने हाथी को देख सकते हैं। यह एक ऐसा दृश्य है जिसे आप निश्चित रूप से हमेशा याद रखना चाहेंगे। तो फिर तैयार हो जाइये इस बार मैसूर में दशहरा की धूम देखने के लिए।
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वाराणसी दशहरा , उत्तर प्रदेश
वाराणसी- एक ऐसा शहर जो आध्यात्मिकता, पर्यटन और संस्कृति के अनूठे मिश्रण के लिए जाना जाता है। यह शहर हर साल दशहरा के उत्सव के दौरान इन सभी तत्वों को जीवित करता है। नवरात्रि का त्यौहार अपने साथ विभिन्न रामलीला कार्यक्रम लेकर आता है। रामनगर में आयोजित होने वाला सबसे भव्य आयोजन इनमें से प्रमुख है जो दशहरा के त्यौहार में रंग भर देता है। यहां होने वाले जीवंत कार्यक्रम दर्शकों के लिए बड़े मनोरंजन भरे होते हैं, क्योंकि वे मंच पर रामायण की 200 साल पुरानी परंपरा को रेखांकित करते हैं। आमतौर पर, स्थानीय कलाकार जगह में विभिन्न पात्रों को निभाते हैं और पूरा गांव बड़ी एकता और उत्साह के साथ त्यौहार का मज़ा उठाता है। रामलीला के विशाल जुलूसऔर प्रदर्शन के लिए यहां हर साल लाखों पर्यटक आते हैं। दशहरे के शुभ समय के दौरान मंदिरों की आध्यात्मिक यात्रा भी अपने आप को और शहर की आध्यात्मिक भावना से फिर से जोड़ने का एक शानदार तरीका है।
वास्तव में इन सभी जगहों का जश्न दशहरा के त्यौहार को और ज्यादा भव्य बनाता है। तो फिर देर किस बात की, आप भी हो जाइए तैयार इस साल दशहरा के मेले का भरपूर मज़ा उठाने के लिए।
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Image Credit:Pixabay, wikipedia and pintrest
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