नवरात्रि के शुरू होते ही दुर्गा पुजा के साथ-साथ त्योहारों की झड़ी लग जाती है। दुर्गा पंडालों के अलावा लोगों में रामलीला देखने का अलग ही क्रेज होता है। बात अगर रामलीला की होती हैं, तो देश की राजधानी दिल्ली का नाम अपने आप ही जहन में आ जाता है। दिल्ली में एक जगह नहीं कई जगी रामलीला होती हैं। रोचक बात यह है कि दिल्ली कुछ रामलीलाएं देश भर में मश्हूर हैं। कुछ लोग तो इस दौरान दिल्ली में केवल यहां की रामलीलाएं देखने के लिए ट्रिप प्लान करते हैं। अगर आप दिल्ली में हैं या फिर दिल्ली से बाहर हैं और नवरात्रि के समय दिल्ली विजिट करने की सोच रही हैं तो एक बार हमारी बताई हुई दिल्ली की रामलीलाओं को देखने जरूरी जाएं। यहां पर आपको एक ही कहानी की अलग-अलग तरह से प्रस्तुती देखने को मिल जाएगी।
श्री राम भारतीय कला केंद्र का ‘श्री राम डांस ड्रामा’
बीते 62 सालों से दिल्ली के श्री राम भारतीय कला केंद्र में एक अलग तरह की रामलीला का आयोजन किया जा रहा है। इसे ‘श्री राम’ के नाम से प्रस्तुत किया जाता है। 3 घंटे की यह रामलीला एक तरह का डांस ड्रामा होती है। इस डांस ड्रामा में अलग-अलग क्लासिकल डांस फॉर्म जैसे छउ, भरतनाट्यम, कथक और डांडिया के साथ प्ले किया जाता है। इसमें रामायण के रामचरित मानस के प्रसंगों को को गीतों में ढाल कर अकादमी के कलाकार डांस करके इस नाटक को प्रस्तुत करते हैं। इस नाटक को शोभा दीपक सिंह, जो खुद भी नैशनल अवॉर्डी क्लासिकल डांसर रह चुकी हैं, वह डायरेक्ट करती हैं। यह राम लीला अनोखी इसलिए भी है क्योंकि यह नवरात्रि के पहले दिन से शुरू हो कर 1 महीने तक चलती है। इस रामलीला को राम विवाह, सीता हरण और सीता की अग्नि परीक्षा जैसे रामायण के अध्यायों से पिरोया गया है।
राम लीला मैदान
दिल्ली में रामलीला का इतिहास काफी पुराना है, लेकिन मुगल शासक औरंगजेब ने अपने शासनकाल में रामलीला पर प्रतिबंध लगा दिया था। हालांकि औरंगजेब की मृत्यु के बाद 1719 ई. में दिल्ली की गद्दी पर मुहम्मद शाह रंगीला बैठा। रंगीला के समय पुरानी दिल्ली स्थित सीताराम बाजार में रामलीला का आयोजन होता रहा। आखिरी मुगल सम्राट बहादुर शाह सफर ने भी रामलीला का मंचन करवाया। लेकिन अंग्रेजी हुकुमत ने रामलीला मैदान में होने वाले इस आयोजन को रुकवा दिया और यहां फौज के ठहरने और घोड़ों का अस्तबल बना दिया। 1911 में पंडित मदन मोहन मालवीय ने फिर से रामलीला की शुरुआत की। आज चांदनी चौक के गांधी मैदान, सुभाष मैदान और रामलीला मैदान का रामलीला मशहूर है। दिल्ली की सबसे पुराने रामलीला है परेड ग्राउंड की रामलीला। जो 95 साल पुरानी है।
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लाल किले की ‘लवकुश रामलीला’
जब दिल्ली की रामलीला का जिक्र आता है तो उसमें सबसे पहले हम लाल किले की ‘लवकुश’ रामलीला का नाम लेते हैं। यह रामलीला इसलिए खास है क्योंकि इसमें रामायण के चारित्र निभाने वाले लोग बॉलीवुड और पॉलिटिक्स से होते हैं। आपको बता दें कि दिल्ली के लाल किला मैदान में होने वाली ‘लवकुश’ रामलीला 40 साल पुरानी है और यह दुनिया की सबसे भव्य रामलीला है। इस रामलीला में राम-रावण युद्ध में बहुत सारी आधुनिक तकनीकों का प्रयोग किया जाता है। लवकुश रामलीला समिति के अध्यक्ष अशेक अग्रवाल कहते हैं, ‘आजकल के युवा किसी भी चीज का गहराई से अध्ययन करने के साथ ही सोशल मीडिया और डिजिटल दुनिया में अधिक रुचि दिखाते हैं, इसलिए हमने भी इस बार की रामलीला में और अधिक डिजिटल तकनीक का प्रयोग किया है और साथ ही हम इस बार 14 अलग-अलग भाषाओं में रामलीला का प्रसारण भी कर रहे हैं।’
ब्रॉडवे स्टाइल ‘संपूर्ण रामायण’
रामलीला का एक नया रुप आर्यन हेरिटेज फाउंडेशन द्वारा आयोजित संपूर्ण रामायण में भी देखने को मिलता है। दिल्ली के नेता जी सुभाष प्लेस में होने वाली यह रामायण बेहद खास होती है। 5 दिन चलने वाली यह रामलीला 3 घंटे की होती है और इस राम लीला में भी क्लासिकल डांस के द्वारा पूरी रामायण को स्टेज पर प्रस्तुत किया जाता है। आपको बता दें कि इस रामलीला में फेमस बॉलीवुड एक्टर उदित नारायण ने अपने गीत दिए हैं और एक्टर मुकेश कुमार ने रामलीला में संवाद दिए हैं। इतना ही नहीं इस रामलीला में नैशनल स्कूल ऑफ ड्रामा के 120 कलाकार अपनी प्रस्तुती देते हैं और इसमें नैशनल अवॉर्डी पपीहा देसाई नें डांस कोरियोग्राफ किया है।
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