Mahalakshmi Temple: सनातन काल से हिन्दू धर्म और सभ्यता में मां लक्ष्मी को धन की देवी के रूप में पूजा जाता रहा है। देश में लाखों भक्त हर दिन सुबह-शाम मां लक्ष्मी की पूजा-पाठ करते रहते हैं। दिवाली और धनतेरस के खास मौके पर लगभग हर हिन्दू घर में मां लक्ष्मी की पूजा-पाठ धूमधाम से होती है।
इस साल 10 नवंबर को धनतेरस और 12 नवंबर को दिवाली का महापर्व मनाया जाएगा। 12 नवंबर आने में अब बहुत कम ही दिन बचे हुए हैं। ऐसे में कई लोग धनतेरस और दिवाली के मौके पर मां लक्ष्मी का दर्शन करने और पूजा-पाठ करने पहुचेंगे।
दक्षिण भारत से लेकर उत्तर भारत और पूर्व भारत से लेकर पश्चिम भारत में ऐसे कई पवित्र और फेमस लक्ष्मी मंदिर मौजूद है, जहां सिर्फ दर्शन करने से भक्तों की सभी मुरादें पूरी हो जाती हैं।
मध्य प्रदेश में भी ऐसा ही महालक्ष्मी जी का मंदिर है, जो आजकल काफी चर्चा में है। इस आर्टिकल में हम आपको मध्य प्रदेश में मौजूद इस लक्ष्मी मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं।
इस आर्टिकल में जिस महालक्ष्मी मंदिर के बारे में जिक्र कर रहे हैं, वो इंदौर शहर में मौजूद है। मुख्य शहर से कुछ ही दूरी पर मौजूद यह मंदिर स्थानी लोगों के साथ-साथ पूरे मध्य प्रदेश के लिए पवित्र मंदिर है।
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि इंदौर शहर भारत का सबसे साफ-सुथरा शहर माना जाता है। इसलिए यहां हर दिन हजारों लोग घूमने या मंदिर दर्शन करने के लिए पहुंचते रहते हैं।
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इंदौर में स्थित इस मंदिर का इतिहास करीब 188 साल से भी अधिक प्राचीन माना जाता है। मंदिर के बारे में कहा जाता है कि इस मंदिर का निर्माण करीब 1832 में इंदौर के राजा राजा हरि राव होलकर ने करवाया था।
एक अन्य कहानी है कि करीब 1933 के आसपास मंदिर में आग लगने की वजह से मंदिर तहस-नहस हो गया था, लेकिन बाद में करीब 1942 में फिर से निर्माण करवाया गया। (दक्षिण भारत के फेमस लक्ष्मी मंदिर)
कहा जाता है कि होलकर वंश के लोग नवरात्रि, धनतेरस और दिवाली के खास मौके पर दर्शन करने आते थे और मंदिर के आसपास दीपों को जलाते थे। इसके बाद राज्य का खजाना खोला जाता है और राजा के साथ स्थानीय लोग आशीर्वाद लेते थे।
महालक्ष्मी मंदिर की पौराणिक कथा बेहद ही रोचक है। कहा जाता है कि दिवाली के मौके मां लक्ष्मी के मंदिर में पीले चावल चढ़ाने से धन की बारिश होती है। कई लोग दिवाली पर पीले चावल चढ़ाकर मां को घर आने का आमंत्रण देते हैं।
मंदिर में पीले चावल चढ़ाने से मां लक्ष्मी प्रसन्न होती है और भक्तों के घरों में सुख-समृद्धि बनी रहती है। कई लोगों का मानना है कि चावल चढ़ाने के बाद कुछ चावल को तिजरो में रखने से धन में वृद्धि होती है। (सस्ते में कन्याकुमारी घूमने का मौका)
कहा जाता है कि यह मंदिर करीब तीन बार क्षतिग्रस्त हुआ था, लेकिन एक बार भी मां की प्रतिमा को कोई भी नुकसान नहीं पहुंचा। कई लोगों का मानना है कि शुरुआती दौर में मंदिर को कच्ची मिट्टी से बनाया गया था। कई लोगों का माना है कि इस मंदिर में एक बार आग भी लग चुकी है।
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महालक्ष्मी मंदिर में आसपास हर साल दिवाली के मौके पर महोत्सव आयोजित होता है। यह महोत्सव धनतेरस के दिन शुरू होता है और भाई दूज तक चलता है। इस खास मौके पर शहर के साथ-साथ राज्य के हर कोने से भक्त दर्शन करने पहुंचते हैं।
महोत्सव में खाने-पीने की स्टॉल से लेकर बच्चों के खेलने के लिए झूला आदि चीजें मौजूद होती हैं। सुबह से ही मेले में लोगों की भीड़ इकट्टा होने लगती है और शाम तक लाखों लोग पहुंच जाते हैं। दिवाली के खास मौके पर मंदिर को दुल्हन की तरह सजा दिया जाता है।
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