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temple where goddess kali eat chinese food ()

इस मंदिर में चाइनीज करते हैं मां काली की पूजा, प्रसाद में चढ़ाते हैं नूडल्स

भारत में है एक चाइना टाउन है, जहां ढेर सारे चाइनीज रहते हैं। ये चाइनीज हिंदू धर्म को फॉलो करते हैं और मां काली की पूजा करते हैं। इसके साथ ही इस मंदिर में प्रसाद भी चढ़ता है। मगर यह प्रसाद अनोखा होता है, आइए जानते हैं क्या होता है इस प्रसाद में। 
Her Zindagi Editorial
Updated:- 2018-02-21, 18:46 IST

भले ही चीन और भारत के बीच लंबे समय से डोकलाम में बनी सीमा को लेकर विवाद चल रहा हो मगर चीन और भारत का रिश्ता बहुत ही अनोखा है। जहां चीन भारत की चाया के बिना नहीं रह सकता वहीं भारत का भी चीन के एलोक्ट्रोनिक आइटम्स का इस्तेमाल किए बगैर रह पाना मुश्किल है। इतना ही नहीं दोनों देशों में एक दूसरे के नागरिकों आना जाना और रहना भी बेहद आम है। भले ही सीमा पर हालात कितने ही गंभीर क्यों न हों चीन और भारत में रहने वाले एक दूसरे के देश के नागरिकों को कभी किसी तरह की पेरेशानी का सामना नहीं करना पड़ता। भारत में तो एक ऐसी जगह भी है, जहां केवल चाइनीज ही रहते हैं। इस जगह को लोग चाइना टाउन के नाम से जानते हैं। यह जगह वैस्ट बंगाल की राजधानी कोलकाता में है। 

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temple where goddess kali eat chinese food ()

वैसे इस जगह का ओरिजनल नाम टांगरा है। यहां ज्यादातर हक्का चाइनीज फैमिली रहती हैं। यह चाइनीज टेनरीज का काम करते हैं। इस कसबे में 350 टेनरीज हैं, जो चाइनीज लोगों द्वारा ही चलाई जाती हैं मगर इन टेनरीज के अलावा भी यह टाउन किसी और जगह के लिए भी फेमस है। दरअसल यहां पर एक मां काली का मंदिर है। यह मंदिर चाइनीज लोगों द्वारा ही संचालित किया जाता है। यहां पुजारी से लेकर मंदिर की साफ सफाई करने वाला तक चाइनीज ही है। इस मंदिर में ज्यादातर चाइनीज लोग ही पूजा करने भी आते हैं। हैरानी की बात तो यह है कि मंदिर में हिंदू धर्म और परंपराओं के अनुसार ही पूजा की जाती है। यहां पर पूजा होने के बाद मां काली के भक्तों को प्रसाद भी दिया जाता है। 

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प्रसाद होता है अलग

यहां प्रसाद में लड्डू, बर्फी या पेड़ा नहीं मिलता। यहां मां काली को चाइनीज फूड का प्रसाद चढ़ता है और वही प्रसाद भक्तों को बांटा जाता है। इस में नूडल्स, मोमोज, चावल, पास्ता, मेक्रोनी और चॉप्सी होती है। इस प्रसाद को वाकायदा भक्तों को पत्तल में खाने को दिया जाता है। वैसे तो यह प्रसाद रोज ही चढ़ता है मगर त्योहारों पर यहां विशेष तरह की तैयारी होती हैं। खासतौर पर नवरात्रों में पूरे नौ दिन तक यहां काली की विशेष पूजा भी की जाती है। 

क्या है मान्यता 

कहते हैं 60 वर्ष पहले इस कसबे में एक चाइनीज परिवार में बच्चे की तबियत खराब हो गई थी। कई जगह इलाज कराने पर भी जब बच्चा ठीक नहीं हुआ, तो वह परिवार बच्चे को लेकर मां काली की शरण में आए। यहां आते ही बच्चे की तबियत ठीक हो गई। इसके बाद चाइनीज समुदाय के लोगों ने इस मंदिर को अच्छे से बनवाया और यहां पूजा करने लगे। देखते ही देखते इस मंदिर में चाइनीज लोगों ने अपना पूरा कब्जा कर लिया। इसके बाद से ही इस मंदिर को चाइनीज काली माता का कहा जाने लगा और यहां पूरे विधि विधान से देवी की पूजा की जाने लगी। 

व्रत भी करते हैं चाइनीज

नवरात्रे में कुछ चाइनीज व्रत भी रखते हैं। इसमें वे आम हिंदुओं की तरह फल और व्रत का खाना ही खाते हैं। 

 

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