भारत एक ऐसा देश है जहां हर गली और हर शहर से कोई ना कोई कहानी जुड़ी हुई है। ऐतिहासिक धरोहरों से भरे इस देश में बहुत से रहस्य भी जुड़े हुए हैं। अलग-अलग धार्मिक मान्यताओं वाले इस देश में आस्था एक ऐसी ताकत है जो हमारी सभ्यता का हिस्सा है। हम मंदिरों, मस्जिदों, गुरुद्वारों में जाकर प्रार्थना करते हैं और हमेशा ये सोचते हैं कि कोई तो दैवीय ताकत है जो हमारी प्राथर्ना सुन लेगी। गाहे-बगाहे हमारे सामने कुछ ऐसी चीज़ें आ जाती हैं जिनपर यकीन करना मुश्किल होता है।
ऐसा ही एक रहस्य है शिवपुर की दरगाह का पत्थर जिसे सिर्फ एक उंगली से उठाने का दावा किया जाता है। इस पत्थर के साथ जुड़ी है सूफी संत कमर अली दर्वेश की कहानी। कहा जाता है कि ये पत्थर श्रापित है और इसे बड़े से बड़ा पहलवान भी अकेले नहीं उठा सकता है।
सूफी संत और श्रापित पत्थर की कहानी-
पुणे के पास मौजूद एक छोटे से कस्बे शिवपुर की इस दरगाह की कहानी करीब 800 साल पुरानी बताई जाती है। ये पूरी तरह से लोककथा के आधार पर ही काम करता है, लेकिन पत्थर का रहस्य हमेशा से बना हुआ है।
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लोककथा के अनुसार जहां अभी दरगाह है वहां 800 साल पहले एक अखाड़ा हुआ करता था। ये वो समय था जब यहां मौजूद पहलवान सूफी संत कमर अली का उपहास किया करते थे। वो सूफी संत का इतना मज़ाक उड़ाते थे कि एक दिन संत कमर अली ने उन्हें ये अंदाज़ा करवाने का निश्चय किया कि उनकी ताकत भी व्यर्थ साबित हो सकती है।
उस समय उन्होंने पास रखे पत्थर पर मंत्र फूंके और पहलवानों को उसे उठाने के लिए कहा। उस वक्त कोई भी पहलवान उस पत्थर को उठा नहीं पाया। फिर सूफी संत ने अपना नाम लिया और अपनी उंगली से ही उस पत्थर को उठा लिया।(समय के साथ भुला दिए गए भारत के ये ऐतिहासिक स्थान)
इसी कहानी का एक और वर्जन भी है जिसमें कहा जाता है कि सूफी संत के परिवार वाले ही उनका मज़ाक उड़ाते थे और उनके भाई और आस-पास के कुछ लड़के पहलवानी किया करते थे जबकि सूफी संत आध्यात्म से जुड़े हुए थे और उन्होंने फिर जिस जगह पर पत्थर को श्राप दिया था उस जगह पर ही अब दरगाह बनाई गई है।
कैसे एक उंगली पर उठता है पत्थर?
स्थानीय धार्मिक मान्यता के अनुसार अगर 11 लोग इस पत्थर को सूफी संत का नाम लेकर उठाते हैं तो ये पत्थर एक उंगली पर उठ जाता है। सभी 11 लोग अपनी सिर्फ 1-1 उंगली ही पत्थर पर लगाते हैं और ऐसे में पत्थर कुछ इस तरह से हवा में उठा लिया जाता है मानो वो उड़ रहा हो।
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धार्मिक मान्यताओं के परे इस उड़ते पत्थर की कहानी का कोई भी साइंटिफिक दावा नहीं है। ये आज भी एक रहस्य है कि इस तरह की घटना कैसे होती है और अगर नहीं होती तो इतने लोग इस पत्थर की कहानी को सच क्यों मानते हैं।
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भारत के कई रहस्यों में से एक ये रहस्य भी है जो अभी अनसुलझा ही है। अगर आपको ये स्टोरी अच्छी लगी हो तो इसे शेयर जरूर करें। ऐसी ही अन्य स्टोरी पढ़ने के लिए जुड़े रहें हरजिंदगी से।
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