यूं तो राजस्थान में कई झीले स्थित हैं और हर झील का अपना एक अलग महत्व है। लेकिन राजस्थान के उदयपुर में स्थित ढेबर झील सिर्फ स्थानीय या राष्ट्रीय स्तर पर लोगों के आकर्षण का केन्द्र नहीं है, बल्कि पूरी दुनिया से लोग इस झील को देखने के लिए आते हैं। ढेबर झील को वैसे जयसमंद झील के नाम से भी जाना जाता है। इस झील की मुख्य विशेषता यह है कि दुनिया की दूसरी सबसे पुरानी ऐतिहासिक और सबसे बड़ी कृत्रिम मीठे पानी की झील है। इस झील को 17 वीं शताब्दी में नामला ठिकाना में बनाया गया था, जब उदयपुर के राणा जय सिंह ने गोमती नदी पर एक संगमरमर बांध बनाया था। बहुत से लोगों को इस बात की जानकारी नहीं है कि जब पहली बार इस झील को बनाया गया था, उस समय यह दुनिया की सबसे बड़ी कृत्रिम झील थी। तो चलिए आज हम आपको राजस्थान में स्थित भारत की सबसे बड़ी और पुरानी ऐतिहासिक कृत्रिम मीठे पानी की झील से जुड़े कुछ रोचक तथ्यों के बारे में बता रहे हैं-
झील पर स्थित है तीन द्वीप
ढेबर झील पर तीन द्वीप हैं, और भील मिनस की जनजाति आज भी इनमें निवास करती है। दो बड़े द्वीपों को बाबा का मगरा और छोटे द्वीप को पियारी कहा जाता है। इन द्वीपों के निवासी तट तक पहुँचने के लिए भेलों (नावों) का उपयोग करते हैं। झील पर एक बांध है, जो लगभग ,202 फीट (366 मीटर) लंबा, 116 फीट (35 मीटर) ऊंचा और 70 फीट (21 मीटर) चौड़ा है।
बेहद खूबसूरत है आसपास का नजारा
संगमरमर के बांध पर छह आकर्षक स्मारक और केंद्र में एक शिव मंदिरहै। झील के उत्तरी छोर की ओर एक प्रांगण के साथ एक महल है और इसके दक्षिणी छोर पर 12 खंभों का मंडप है। वहीं, पास की दो पहाड़ियों की चोटी पर महाराणा जय सिंह द्वारा निर्मित दो पुराने महल आज भी बहुत अच्छी स्थिति में मौजूद हैं। इन महान महलों से झील का बहुत ही सुंदर दृश्य दिखाई देता है।
हुआ था तोलादान
यह तो अधिकतर लोगों को पता है कि ढेबर झील का निर्माण महाराणा जय सिंहने 1685 में करवाया था। झील को मेवाड़ के दक्षिण-पूर्वी कोने में खेती के लिए पानी की आपूर्ति के लिए बनाया गया था। लेकिन झील से जुड़ा एक दिलचस्प किस्सा यह है कि 2 जून 1961 को इसके उद्घाटन के दिन महाराणा जय सिंह का तोलादान हुआ था और तोलादान के बाद उन्होंने अपने वजन का सोना दान में दिया था। झील के चारों ओर उदयपुर की रानियों के ग्रीष्मकालीन महल हैं।
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भारत की दूसरी सबसे बड़ी कृत्रिम झील
राजस्थान की ढेबर झील, प्रसिद्ध गोविंद बल्लभ पंत सागर के बाद भारत की दूसरी सबसे बड़ी कृत्रिम झील है। हालांकि, गोविंद बल्लभ पंत सागर झील और ढेबर झील में एक अंतर यह है कि गोविंद बल्लभ पंत सागर झील फ्रेशवॉटर लेक है, जबकि ढेबर झील आर्टिफिशियल फ्रेशवॉटर लेक है। इस लिहाज से अगर देश में आर्टिफिशियल फ्रेशवॉटर लेककी बात हो तो उसमें ढेबर झील ही सबसे बड़ी मेन-मेड लेक है। उदयपुर जिले में स्थित, झील पूर्ण होने पर 87 किमी 2 के क्षेत्र को कवर करती है। झील मुख्य उदयपुर शहर से 45 किमी दूर स्थित है। अपनी स्थापना के समय, यह दुनिया की सबसे बड़ी कृत्रिम झील थी। बाद में 1902 में मिस्त्र के असवान बांध का निर्माण किया गया और इसकी गिनती एशिया की दूसरी सबसे बड़ी कृत्रिम मीठे पानी की झील के रूप में होने लगी।
अवश्य देखें जयसमंद वाइल्डलाइफ सैन्चुरी
ढेबर झील से घूमने के लिए एक अद्भुत जगह है जयसमंद वाइल्डलाइफ सैन्चुरी। यह साइट अपने नेचुरल हैबिटेट में झील और समृद्ध वन्य जीवन का नज़दीकी दृश्य प्रस्तुत करती है। वाइल्डलाइफ सैन्चुरी के निवासियों में पैंथर, हिरण, जंगली सूअर, चार सींग वाले मृग, नेवले और विभिन्न प्रकार के प्रवासी पक्षी शामिल हैं। ढेबर झील के आसपास जयसमंद वन्यजीव अभयारण्य को राज्य राजमार्ग द्वारा उदयपुर से बांसवाड़ा तक पहुँचा जा सकता है।
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कोरोना संक्रमण की गंभीरता को देखते हुए अभी आप शायद इस झील की खूबसूरती को करीब से ना देख पाएं। लेकिन एक बार स्थिति सामान्य होने के बाद आप इस ऐतिहासिक झील को एक बार जरूर देखिएगा।
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