भारत में कुछ ऐसी जगहें हैं जो कई आश्चर्यों से भरपूर हैं। यूं कहा जाए कि ये किसी चमत्कारी जगहों से कम नहीं हैं। ऐसी ही जगहों में से एक जगह है हिमाचल का मणिकरण साहिब। सफेद मंदिर और पार्वती नदी के किनारे स्थित गुरुद्वारा के नीचे से लगातार उठने वाली भाप की विशेषता, यह छोटा सा शहर अपने आस-पास के लोकप्रिय पहाड़ी शहरों की तरह ही रमणीय है।
वास्तव में यहां मौजूद गरम पानी का झरने से लेकर गुरूद्वारे के स्वादिष्ट लंगर तक, न जानें कितनी चीज़ें आश्चर्य में डाल सकती हैं। एक प्राचीन कथा से जन्मा, कसोल से 4 किमी पूर्व में स्थित यह उदास दिखने वाला तीर्थ शहर वास्तव में कई रोमांचकारी अनुभवों को छुपाता है। बेहतरीन हॉट स्प्रिंग्स, एक राजसी हिंदू मंदिर और गुरुद्वारा, पास में एक हलचल भरा बाजार और विभिन्न सस्ते आवास विकल्पों के साथ, इस छोटे से स्वर्ग में आंखों को लुभाने वाली बहुत सी चीज़ें मौजूद हैं। आइए जानें इस जगह से जुड़े कुछ रोचक तथ्यों के बारे में।
मनाली की खूबसूरत वादियों के बीच बसा मणिकरण साहिब गुरुद्वारा किसी चमत्कारी तीर्थस्थल से कम नहीं है। इस गुरूद्वारे के दर्शन के लिए देश ही नहीं विदेशों से भी लोग आते हैं। इस गुरूद्वारे की ऊंचाई 1760 मीटर है और कुल्लू से यह 45 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। इस गुरूद्वारे की सबसे ख़ास बात है कि यहां का पानी पानी बर्फीली ठण्ड में उबलता रहता है। मान्यता है कि शेषनाग के गुस्से के कारण यह पानी उबल रहा है। कहा जाता है कि इसके पीछे का कारण शेष नाग का गुस्सा है जिसकी वजह से आज भी यहां हमेशा पानी उबलता रहता है। यह भी मान्यता है कि यहां मौजूद गंधकयुक्त गर्म पानी में जो कोई भी स्नान कर ले, उसकी कई बीमारियां मुख्य रूप से जोड़ों का दर्द ठीक हो जाता है।
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मणिकरण साहिब में मौजूद लंगर दुनिया भर में मशहूर है। लेकिन क्या आप जानते हैं यहां रोज़ तैयार होने वाले लंगर का खाना झरने के पानी से ही तैयार किया जाता है। गुरुद्वारे के लंगर में खाया जाने वाला भोजन झरने में पकाया जाता है। इसी गरम पानी से गुरुद्वारे के लंगर के लिए बड़े बर्तनों में चाय बनती है, दाल और चावल पकते हैं। इसके अलावा दर्शन के लिए आये पर्यटकों को सफेद कपड़े की पोटलियों में चावल धागे से बांधकर बेचे जाते हैं। मान्यता है किनव विवाहित जोड़े इकट्ठे धागा पकड़कर चावल उबालते हैं तो उन्हें सुखद वैवाहिक जीवन का आर्शिवाद मिलता है।
मणिकरण हॉट स्प्रिंग्स में भाप से स्नान करना सबसे रोचक अनुभवों में से है। कहा जाता है कि इन गर्म झरनों में यूरेनियम, सल्फर और कई अन्य रेडियोधर्मी तत्व होते हैं जो बीमारियों और बीमारियों को काफी हद तक ठीक करने में मदद करते हैं। वैज्ञानिक कारकों के अलावा, इन झरनों में विभिन्न आध्यात्मिक मान्यताएं और इससे जुड़ा एक धार्मिक इतिहास भी है। यहां पुरुषों और महिलाओं के लिए अलग-अलग स्नान खंड हैं। चूंकि पानी काफी गर्म होता है, इसलिए किसी को धीरे-धीरे प्रवेश करने की सलाह दी जाती है, जिससे उनका शरीर धीरे-धीरे तापमान के अनुकूल हो जाए।
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पौराणिक मान्यताओं के अनुसार शेषनाग ने भगवान शिव के क्रोध से बचने के लिये यहां एक मणि फेंकी थी , जिस वजह से यह चमत्कार हुआ था। बताया जाता है कि 11 हजार वषों पहले भगवान शिव और माता पार्वती ने यहां पर तपस्या की थी। मां पार्वती जब नहा रही थीं, तब उनके कानों की बाली में से एक नग पानी में जा गिरा। फिर भगवान शिव ने अपने गणों से इस मणि को ढूंढने को कहा लेकिन वह नहीं मिल सका। इतने में भगवान शिव नाराज हो गए और उन्होंने अपनी तीसरा नेत्र खोल दिया, जिससे नैनादेवी नामक शक्ति पैदा हुई। नैना देवी ने शिव को बताया कि उनकी मणि शेषनाग के पास है। शेषनाग ने मणि को देवताओं की प्रार्थना करने पर वापस कर दिया, लेकिन वे इतने नाराज हुए कि उन्होंने जोर की फुंकार भरी जिससे इस जगह पर गर्म जल की धारा फूटने लगी। तभी से इस जगह का नाम मणिकरण पड़ गया।
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