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जानें भारत के इन गुरुद्वारों के बारे में जहां भक्ति के साथ मिलता है सबसे स्वादिष्ट लंगर

अगर आप कभी किसी गुरूद्वारे में जाकर वहां के लंगर का आनंद लेने के बारे में सोच रहे हैं, तो देश के कुछ ऐसे गुरूद्वारे जहां का लंगर बेहद ख़ास है।   
Editorial
Updated:- 2021-05-04, 16:57 IST

आप सभी ने गुरूद्वारे का लंगर कभी न कभी जरूर खाया होगा और कई गुरूद्वारे देखे होंगे। लेकिन क्या आप जानते हैं भारत में कई ऐसे भी गुरूद्वारे हैं जिनका लंगर न जाने कितने लोगों का पेट भरने के साथ स्वाद में भी लाजवाब है। आइए जानें उन गुरुद्वारों के बारे में जहां कम से कम एक बार आपको भी जरूर जाना चाहिए और यहाँ के लंगर का मज़ा उठाना चाहिए।

स्वर्ण मंदिर, अमृतसर

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स्वर्ण मंदिर भारत के सबसे प्रसिद्ध गुरुद्वारों में से एक है। यह सबसे प्रसिद्ध गुरुद्वारा, स्वर्ण मंदिर, जिसे दरबार साहिब या श्री हरमंदिर साहिब के नाम से भी जाना जाता है। यह पंजाब के अमृतसर में स्थित है और ये सिक्ख धर्म के अलावा भी सभी धर्मों के लिए मायने रखता है। यहां दर्शन के लिए दूर-दूर से लोग आते हैं और यहां के स्वादिष्ट लंगर का स्वाद उठाते हैं। स्वर्ण मंदिर का लंगर हर दिन 50 हजार लोगों की भारी संख्या की सेवा करता है। खास अवसरों पर ये संख्या अक्सर एक लाख हो जाती है और यहां के भोजन का स्वाद वास्तव में बेहद लाजवाब होता है। बड़ी संख्या के बावजूद, गुरुद्वारा में कभी भी स्वच्छता और गुणवत्ता से समझौता नहीं किया जाता है।

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गुरुद्वारा बंगला साहिब

bangla sahib langar

सफेद संगमरमर की दीवारों और उन पर कारीगरों द्वारा बनाई गई जटिल नक्काशी से सजा गुरुद्वारा बंगला साहिब पूरे दिल्ली की शान है। ये गुरुद्वारा दिल्ली के कनॉट प्लेस के बीच में स्थित है और ये गुरुद्वारा चाय और नाश्ते के लिए 24 घंटे खुला है, लेकिन लंगर सुबह 11.00 बजे से 4.00 बजे और शाम 7.30 से 11.00 बजे के बीच परोसा जाता है। यहां की रसोई बेहद ख़ास तरीके से तैयार की जाती है जहां कई आधुनिक सुविधाओं से भरी हुई रसोई है। आप रसोई में जाकर सब्ज़ियों को छीलते, काटते, उन्हें पकाते और परोसते लोगों को देखकर उनकी श्रद्धा और भक्ति का अंदाजा लगा सकते हैं। यहां एक साथ मिनटों में आधुनिक तरीकों और मशीनों से 50 ,000 लोगों का खाना तैयार किया जाता है। ये लंगर वास्तव में बेहद स्वादिष्ट होता है और यहां दूर-दूर से लोग लंगर छकने के लिए आते हैं। यही नहीं कोरोना काल में भी बांग्ला साहिब न जाने कितने कोविड मरीज़ों को खाना पहुंचाने में मदद कर रहा है।

गुरुद्वारा मणिकरण साहिब जी

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हरि हर घाट, मणिकरण रोड, कुल्लू जिले में मौजूद कुल्लू पहाड़ों के बीच, नदी के किनारे, एक खूबसूरत नज़ारे के बीच बना यह गुरुद्वारा देखने में बेहद खूबसूरत होने के साथ इस गुरुद्वारे के अंदर एक गुफा भी मौजूद है। यहाँ तक कि बेहद कम तापमान में भी आपको इस गुफा में गर्म पानी के कई स्रोत मिल जाएँगे, जिसका उबलता पानी आपके शरीर को एक अनोखी ठंडक देता है। यहाँ रोज़ हजारों लोगों का लंगर तैयार किया जाता है और परोसा गया लंगर हद से ज्यादा स्वादिष्ट होता है जो आपकी भूख को पूरी तरह शांत कर देता है।

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श्री हेमकुंट साहिब

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शहर की हलचल से दूर, श्री हेमकुंट साहिब जी का नज़ारा देखकर शायद आप भी आश्चर्य में पद जाएंगे । चारों तरफ बर्फीले पहाड़ों से घिरा हुआ है ये गुरुद्वारा मन को एक अलग ही शांति देता है। यह जगह हिमालय में लगभग 4650 मीटर की ऊँचाई पर स्थित है और ऋषिकेश से लगभग 275 कि.मी. दूर है। गुरुद्वारे के पास ही एक झील भी है, जिसमें जादुई गुण होने की बात कही जाती है। गुरुद्वारे पहुँच कर आप गरमा-गरम चाय और स्वादिष्ट लंगर का आनंद ले सकते हैं। यहाँ तक कि खिचड़ी और सब्जी जैसे सरल भारतीय भोजन का स्वाद चखकर भी आप उंगलियाँ चाटते रह जाएँगे।

तख्त श्री पटना साहिब

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तख्त श्री पटना साहिब सिख धर्म के सबसे प्रतिष्ठित गुरु, श्री गुरु गोबिंद सिंह का जन्म स्थान है। प्राचीन संगमरमर से बना गुरुद्वारा दिन के किसी भी समय शानदार दिखता है। यहां पर लंगर शाम 7.30 बजे शुरू होता है और परोसा गया खाना बेहद स्वादिष्ट होता है। देश भर से लोग यहाँ आध्यात्म तलाशने आते हैं और लंगर के रूप में यहां के स्वादिष्ट भोजन का मज़ा उठाते हैं। पटना से 15 कि.मी. की दूरी पर स्थित यह गुरुद्वारा रोज़ न जाने कितने लोगों को भोजन मुहैया कराता है और लोग भक्ति में लीन होकर यहां के लंगर का स्वाद लेते हैं।

वास्तव में आप इन गुरुद्वारों में जाकर लंगर का आनंद उठा सकते हैं साथ ही लंगर की तैयारी में अपना भरपूर योगदान भी दे सकते हैं। लेकिन इन जगहों में जाने के लिए भी आपको कुछ दिनों तक इंतज़ार करने की जरूरत है और कोरोना के कहर की वजह से अभी घर पर रहना ही सुरक्षित विकल्प है। आप कोरोना का कहर कम होते ही इन जगहों की यात्रा की योजना बना सकते हैं।

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Image Credit: freepik and wikipedia

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