गोकुल की गलियों में श्री कृष्ण खेलते थे, माखन चुराते थे, गोपियों को परेशान करते थे और उनकी मटकी तोड़ देते थे। ऐसे किस्से हम बचपन से ही सुनते आ रहे हैं। श्रीकृष्ण से जुड़ी कथाओं को हिंदू धर्म में बहुत महत्व दिया जाता है। जहां भी श्रीकृष्ण से जुड़े मंदिरों की बात आती है तो मथुरा का द्वारकाधीश मंदिर और वृंदावन का बांके बिहारी मंदिर सबसे ऊपर आता है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि श्रीकृष्ण के बचपन से जुड़ा एक मंदिर बहुत प्रसिद्ध है। ये है गोकुल का नंद भवन मंदिर जिसे चौरासी खंबा मंदिर भी कहा जाता है।
गोकुल का ये प्रसिद्ध श्री कृष्ण मंदिर कई टूरिस्ट और श्रद्धालुओं को अपनी ओर आकर्षित करता है। जिस तरह मथुरा के द्वारकाधीश मंदिर और वृंदावन के बांके बिहारी मंदिर में जाने के लिए तंग गलियों से गुजरना पड़ता है उसी तरह गोकुल के इस मंदिर का रास्ता भी है। इस मंदिर के पास एक यशोदा भवन भी है। माना जाता है कि इस भवन में बलराम के जन्म के बाद यशोदा कुछ समय के लिए रही थीं।
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मान्यता है कि इस मंदिर में भगवान श्री कृष्ण का बचपन बीता था। नंदबाबा और मां यशोदा के साथ श्री कृष्ण इसी घर में रहा करते थे जब वासुदेव और देवकी को कंस ने बंदी बना लिया था। इस मंदिर में कृष्ण का बाल रूप मौजूद है। यहां कई मूर्तियां रखी हुई हैं जिसमें से एक मूर्ति के बारे में ये कहा जाता है कि वो ज़मीन से अपने-आप निकली थी। इस मंदिर के पास ही एक गौशाला भी है।
इस मंदिर को नंद भवन, नंद महल और चौरासी खंबा मंदिर जैसे कई नामों से जाना जाता है। इस मंदिर का नाम 84 खंबा मंदिर इसलिए रखा गया क्योंकि ये 84 खंबों पर टिका हुआ है।
मंदिर की दीवारें कृष्ण की तस्वीरों और पेंटिंग से भरी पड़ी हैं और कृष्ण के बचपन से जुड़े कई किस्से इन दीवारों के जरिए ही आप देख सकती हैं।
वहां जाकर रोज़ मंदिर आने वाले लोगों से अगर आप पूछेंगी तो इस मंदिर से जुड़ी अलग-अलग मान्यताएं सामने आएंगी। नंद बाबा के मंदिर से जुड़ी एक कहानी बताई जाती है। जिसमें कहा गया है कि भगवान श्री कृष्ण अपने माता-पिता को चार-धाम की यात्रा का सुख गोकुल में ही देना चाहते थे इसलिए उन्होंने भगवान विश्वकर्मा से कहा था कि वो उनके घर में 84 खंबे लगा दें। इसपर विश्वकर्मा जी ने कहा था कि इन खंबों को कलियुग में कोई गिन नहीं पाएगा। इसीलिए ये मान्यता चली आ रही है कि अगर आप इस मंदिर के दर्शन करेंगे तो यहां पर आपको चार धाम की यात्रा का फल मिलेगा और साथ ही साथ आप इस मंदिर के खंबों को कभी गिन नहीं सकते। मान्यता है कि यहां या तो एक खंबा ज्यादा गिनती में आएगा या फिर एक खंबा कम। अब आप सोचेंगे कि आखिर इस मंदिर में 84 खंबे ही क्यों हैं तो इसका जवाब भी उन पौराणिक कथाओं में मिलता है जो इस मंदिर की स्थापना के बारे में बताती हैं। मान्यता के अनुसार क्योंकि हिंदू धर्म में 84 लाख वर्णों का जिक्र है जिनसे होकर गुजरने के बाद इंसान को मनुष्य रूप मिलता है इसलिए इस मंदिर में 84 खंबे लगाए गए हैं। जो पूरे संसार में मौजूद जीवन के बारे में बताते हैं।
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गोकुल अगर आप जा रही हैं तो एक बात का ध्यान रखना बहुत जरूरी है। यहां पर आपको कई गाइड, फर्जी पंडित आदि मिल जाएंगे जो ये दावा करेंगे कि ये आपको पूरा गोकुल ठीक से घुमा देंगे। लेकिन ऐसा नहीं है। ये बस एक इंसान से दूसरे इंसान तक आपको लेकर जाएंगे और हर किसी को आपको पैसे देने होंगे। अगर आप पैसे नहीं देते हैं तो वो झगड़ा करने की कोशिश भी करेंगे। ऐसे टूरिस्ट ट्रैप्स से हमेशा बचकर रहें। गोकुल बहुत बड़ा शहर नहीं है और इसलिए आपको ऐसे किसी गाइड की जरूरत नहीं है। आप पूरी सावधानी से जांच पड़ताल के बाद खुद ही इसे घूम सकती हैं। ऐसी ही सतर्कता मथुरा और वृंदावन घूमने के समय भी बरतें।
हर कदम पर ऐसे फेक गाइड मौजूद रहते हैं तो उन्हें पैसे देने से बचें।
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All Photo Credit: Tourmyindia/ Pinterest/ wandering thoughts
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