अगर आप ट्रैवलिंग की शौकीन हैं और स्वतंत्रता दिवस के दौरान पड़ने वाली लंबी छुट्टियों में घूमने की प्लानिंग कर रही हैं तो दिल्ली के करीब स्थित मथुरा आप बेहद सस्ते में घूम सकती हैं। आध्यात्म और अपने मंदिरों के लिए मशहूर मथुरा में आपको घंटियों की गूंद और मंत्रोच्चार के बीच असीम शांति का अनुभव होगा। खुद को रिलैक्स करने के साथ आप यहां के मशहूर दर्शनीय स्थलों की सैर भी कर सकती हैं। उत्तर प्रदेश की आध्यात्मिक नगरी कही जाने वाली मथुरा में आप दो या तीन दिन में पूरा शहर आराम से घूम सकती हैं। तो आइए जानते हैं कि आप मथुरा में कौन-कौन सी एक्टिविटीज का मजा ले सकती हैं-
कृष्ण जन्मभूमि मंदिर के कीजिए दर्शन
मथुरा कृष्ण की जन्मभूमि है, ऐसे में यहां का कृष्ण जन्म भूमि मंदिर आपको जरूर देखना चाहिए। इस मंदिर में घूमने पर आपको एक दिव्य अनुभूति का अहसास होगा। इस मंदिर में देशभर से श्रद्धालु कृष्ण जी के दर्शन के लिए आते हैं। विदेशी सैलानियों का भी यहां तांता लगा रहता है। इस मंदिर में श्रीकृष्ण की विशाल मूर्ति मनोहारी लगती है। साथ ही इस मंदिर की स्थापत्य कला भी बेजोड़ है।
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विश्राम घाट
हमारे देश में हरिद्वार और वाराणसी जैसे शहरों में विश्राम घाट का होना इन्हें अलग पहचान देता है। मन कितना भी परेशान हो, इन जगहों पर आकर सुकून और शांति का अनुभव होता है। मथुरा का विश्राम घाट सुंदर रंगों से सजा हुआ नजर आता है और देखने में काफी खूबसूरत नजर आता है। द्वारिकाधीश मंदिर से थोड़ी ही दूर स्थित है विश्राम घाट। यह नया बाजार में स्थित है। मथुरा में कुल 25 घाट हैं और उनमें से यह एक महत्वपूर्ण घाट है। माना जाता है कि ऋषि-मुनियों ने यहां घोर तपस्या की और यहां पर विश्राम भी किया। विश्राम घाट पर यमुना महारानी का मंदिर भी बना हुआ है। तट के किनारे बैठकर आप इस मंदिर की सुंदरता निहार सकती हैं। यहां की संध्या आरती में उपस्थित होकर आपको असीम शांति का अनुभव महसूस होगा।
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प्रेम मंदिर
भगवान कृष्ण को प्रेम का पर्याय माना जाता है। इसकी अनुभूति प्रेम मंदिर में साफ महसूस की जा सकती है। कृपालु महाराज ने यहां भगवान कृष्ण और राधा के इस मंदिर का निर्माण कराया है। इस मंदिर में राधा और कृष्ण के दर्शन करने के साथ आप लेजर लाइट की रोशनी में गाए जाने वाले गीतों का आनंद ले सकती हैं। इस दौरान मंदिर की दीवारों पर पड़ने वाली रोशनी से इसकी खूबसूरती और भी ज्यादा निखर उठती है।
कंस किला
श्रीकृष्ण के पैदा होने के साथ ही कंस के वध की आकाशवाणी हुई थी। कंस ने कृष्ण को मारने के लिए कई तरह के षडयंत्र रचे, लेकिन आखिरकार वही हुआ, जो उसकी नियति में था। यमुना किनारे स्थित कंस किले के खंडहर यहां आज भी देखे जा सकते हैं। इस किले को 16वीं सदी में राजा मान सिंह ने दोबारा बनवाया था। उनके बाद महाराजा सवाई जय सिंह ने ग्रह-नक्षत्रों का पता लगाने के लिए यहां एक वेधशाला बनवाई थी। यह किला काफी बड़ा है। रोचक बात ये है कि इसमें हिंदू और इस्लामिक वास्तुकला का मिला-जुला रूप नजर आता है। हालांकि अब जबकि यह खंडहर बन चुका है, पूर्व में बनी चीजें यहां उस रूप में नहीं दिखाई देतीं, जिस तरह उनका निर्माण कराया गया था।
मथुरा म्यूजियम की करिए सैर
मथुरा में मंदिरों के दर्शन के बाद आप यहां के इतिहास के बारे में जानने के लिए मथुरा म्यूजियम का रुख कर सकती हैं। इस म्यूजियम में आपको प्राचीन काल की मूर्तियां, मिट्टी से बने सामान, पेंटिंग्स, सिक्के और ऐसी कई चीजें मिलेंगी, जो मथुरा और उसके दिलचस्प इतिहास के बारे में बताती हैं।
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