देवी लक्ष्मी को धन और समृद्धि की देवी कहा जाता है। हिंदुओं के प्रमुख देवी-देवताओं में से एक देवी लक्ष्मी को कई रूपों को पूजा जाता है। देश के अलग-अलग हिस्सों में अलग-अलग रूपों में उनकी पूजा की जाती है। मान्यता है कि माता लक्ष्मी के मंदिर में जाकर पूजन-अर्चन करने से आर्थिक संकट दूर होते हैं। भारत के कई राज्यों में महालक्ष्मी के प्राचीन और प्रसिद्ध मंदिर स्थित हैं। ये सभी मंदिर बेहद प्राचीन हैं और अपनी निमार्ण संबंधी कहानियों के लिए प्रचलित है। इन मंदिरों की कला-कृति और खूबसूरती देखते ही बनती है। तो चलिए आज उनमें से कुछ एक सबसे प्रसिद्ध मंदिरों के बारे में जानते हैं।
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अष्टलक्ष्मी मंदिर चेन्नई के इलियट समुद्र तट के पास स्थित है। इस मंदिर की खासियत ये है कि ये लगभग 65 फीट लम्बा और 45 फीट चौड़ा है। मंदिर (दक्षिणेश्वर काली मंदिर के बारे में जानें) में देवी लक्ष्मी के 8 स्वरूपों की पूजा होती है और इन सभी स्वरूपों को चार मंजिल के बने इस मंदिर के आठ अलग-अलग कमरों में स्थापित किया गया है। इस मंदिर में देवी लक्ष्मी और भगवान विष्णु विराजमान हैं। इस मंदिर की खुबसूरती देखते ही बनती है।
महाराष्ट्र के कोल्हापुर में स्थित महालक्ष्मी मंदिर का इतिहास बहुत पुराना है। ऐसा कहा जाता है कि सातवीं शताब्दी में इस मंदिर का निर्माण चालुक्य शासक कर्णदेव ने करवाया था। इसके बाद नौवीं शताब्दी में शिलहार यादव ने इसका पुनर्निर्माण करवाया था। ये मंदिर अपनी दीवारों पर उकेरी हुई कला-कृतियों के लिए काफी फेमस है।
तिरुपति के पास तिरुचुरा नामक गांव में देवी पद्मावती का मंदिर है। ये मंदिर 'अलमेलमंगापुरम' के नाम से भी जाना जाता है। ऐसी मान्यता है कि तिरुपति बालाजी के मंदिर में मांगी गई मुराद तभी पूरी होती है, जब आप बालाजी के साथ-साथ देवी पद्मावती का भी आशीर्वाद लें। ये मंदिर बेहद खूबसूरत है।
हिमाचल प्रदेश के चंबा से 65 किलोमीटर दूर भरमौर में स्थित महालक्ष्मी का मंदिर है, जहां देवी लक्ष्मी के साथ-साथ गणेश और नरसिंह भगवान की भी पूजा होती है। प्राकृतिक वादियों में बसा ये मंदिर बेहद पुराना है और इसे धार्मिक दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है।
दिल्ली के लक्ष्मीनारायण मंदिर के इतिहास की बात करें तो इसे 1622 में वीरसिंह देव ने बनवाया था। उसके बाद 1793 में पृथ्वीसिंह ने इसका जीर्णोद्धार कराया। वहीं, सन् 1938 में बिड़ला समूह ने इसका विस्तार और पुनरुद्धार किया, जिसकी वजह से इसे बिड़ला मंदिर (दिल्ली के इस मंदिर के बारे में जानें) भी कहा जाता है।
हिमाचल के चंबा में स्थित ये मंदिर बहुत विशाल और प्राचीन है। दसवीं शताब्दी में इस मंदिर को राजा साहिल वर्मन ने बनवाया था और ये शिखर शैली में बनवाया गया मंदिर है। ये मंदिर अपनी पारंपरिक वास्तुकारी और मूर्तिकला के लिए जाना जाता है।
इंदौर के महालक्ष्मी मंदिर का निर्माण 1832 में मल्हारराव ने कराया था। 1933 में इस मंदिर में भयानक आग लग गई, जिससे ये पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गया। फिर साल 1942 में मंदिर का पुनः जीर्णोद्धार कराया गया। मुंबई के महालक्ष्मी मंदिर की तर्ज पर इस मंदिर का जीर्णोद्धार किया गया है। इस मंदिर की खास बात ये है कि यहां की लक्ष्मी प्रतिमा लगभग सात हजार साल पुरानी है और प्रतिमा का वजन लगभग चालीस किलो है और इसकी लंबाई लगभग चार फीट है।
ये महालक्ष्मी मंदिर तमिलनाडु के वेल्लू जिले के श्रीपुरम में स्थित है। इसे 'दक्षिण भारत का स्वर्ण मंदिर' भी कहा जाता है। पलार नदी के किनारे स्थित ये मंदिर सौ एकड़ एरिया में फैला हुआ है।
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तो अगर आपका कभी इन शहरों में जाना हो तो इन मंदिरों के दर्शन किए बिना वापस ना आएं। अगर आपको ये जानकारी अच्छी लगी तो जुड़ी रहिए हमारे साथ। इस तरह की और जानकारी पाने के लिए पढ़ती रहिए हरजिंदगी।
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